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सूर्यधार, सुर्खियां और सतपाल

अपनी कमियों को दरकिनार कर महाराज ने अपने ही विभाग को लपेटा 

जिस सूर्यधार प्रोजेक्ट की वो जांच की बात महाराज कर रहे हैं उसकी आंच से क्या वे खुद बच पाएंगे ?  

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 
देहरादून : सूर्यधार प्रोजेक्ट पर सुर्खियां बटोरने के चक्कर में सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज के हाथ तब मायूसी लगी जब उन्हें पता चला कि जिस प्रोजेक्ट की जांच करने वे गए हुए हैं उसे और कोई अन्य विभाग नहीं बल्कि उनके खुद का विभाग सिंचाई विभाग बना रहा है। हालाँकि प्रोजेक्ट स्थल पर अधिकारियों व मीडिया के लावलश्कर के साथ पधारे सतपाल महाराज ने वहां बड़ी -बढ़ी घोषणाएं भी की लेकिन वे यहाँ भी वे मात खा गए क्योंकि ये घोषणाएं भी उन्ही के विभाग से सम्बंधित थी जिन्हे पूरी करने का जिम्मा भी उन्ही पर था। लेकिन अब सवाल उठता है कि घोषणाओं को पूरा करने से आखिर उन्हें किसने रोका था ? 
गौरतलब हो कि गुरुवार को सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने डोईवाला विकासखण्ड के अंतर्गत सिंचाई विभाग द्वारा जाखन नदी पर बन रहे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के ड्रीम प्रोजेक्ट सूर्यधार बांध परियोजना झील का स्थलीय निरीक्षण कर उसकी बढ़ती लागत पर नाराजगी जाहिर करते हुए जांच के आदेश दिये।इतना ही नहीं उन्होंने इसे मुख्यमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट बताते हुए इस प्रोजेक्ट से भोगपुर, घमंडपुर व लिस्ट्राबाद के 18 गांव की 1287 हेक्टेयर भूमि पर पूरे साल पर्याप्त सिंचाई की जा सकेगी। जलाशय के निर्माण से लगभग 33500 लोगों के पेयजल का भंडारण भी किया जायेगा। सिंचाई एवं पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि जलाशय निर्माण से इस क्षेत्र में पर्यटन का समुचित विकास होगा। जलाशय निर्माण के बाद क्षेत्र में जल संरक्षण व जल संवर्धन का लाभ भी क्षेत्र की जनता को प्राप्त होगा।
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वहीं  महाराज ने सूर्यधार बैराज के निरीक्षण के दौरान बताया कि नाबार्ड मद के अंतर्गत बनने वाले इस बैराज  के निर्माण की योजना लागत 50.24 करोड़ तय की गई थी जिसे बढ़ा कर 64.12 करोड़ कर दिया गया जो कि एक गंभीर मामला है। उन्होने कहा कि ऐसा क्यों हुआ है इसकी जांच की जायेगी। उन्होंने मौके पर ही अधिकारियों से भी इस संबंध में जवाब तलब किये। सिंचाई मंत्री ने माना कि परियोजना की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट में कुछ खामियाँ दिखाई दे रही हैं। उन्होंने मामले की जांच के आदेश भी दिये।
अब आते हैं सतपाल महाराज के उस बयान पर जिसमें उन्होंने कहा कि बैराज  के निर्माण की योजना लागत 50.24 करोड़ तय की गई थी जिसे बढ़ा कर 64.12 करोड़ कर दिया गया जो कि एक गंभीर मामला है।  लेकिन बयान देते वक्त महाराज यह शायद भूल गए जिस विभाग ने योजना की लागत बढ़ाई है वह किसी और का विभाग नहीं बल्कि खुद उनका विभाग है और यदि विभाग ने प्रोजेक्ट की लागत बढ़ाई तो इसकी जानकरी विभागीय मंत्री के नाते उनसे ज्यादा कौन जान सकता है कि इसकी लागत क्यों और कैसे बढ़ी और कितनी बढ़ी। इतना ही नहीं जिस दौरान इस प्रोजेक्ट की लागत बढ़ने सम्बन्धी फाइल जब उनके पास अनुमोदन के लिए आई होगी तो उन्होंने उस समय ही इस पर क्यों विचार नहीं किया। यदि सिंचाई मंत्री के नाते सतपाल महाराज उस दौरान ही अधिकारियों से पूछ-ताछ करते कि प्रोजेक्ट की लागत क्यों और कैसे बढ़ी तो आज उन्हें यह जांच नहीं बैठानी पड़ती यानि उनको पहले इस प्रोजेक्ट पर होमवर्क करना चाहिए था उसके बाद वे सुर्खियां बटोरने के लिए सूर्यधार प्रोजेक्ट स्थल का दौरा करते तो ज्यादा अच्छा होता।  
सूर्यधार प्रोजेक्ट पर जांच की आंच कहीं सतपाल महाराज के सुर्ख लाल रंग के कुर्ते तक तो नहीं पहुंचेगी इसे नकारा नहीं जा सकता है।  क्योंकि जिस विभाग द्वारा यह प्रोजेक्ट बनाया जा रहा है वह सतपाल महाराज का ही विभाग है और अब यह बात भी उठने लगी है कि बिना हेलीकाप्टर के प्रदेश की यात्रायें न कर सकने वाले मंत्री की आखिरकार सूर्यधार परियोजना स्थल के कार से निरीक्षण के क्या मायने हैं उनके इस निरीक्षण के कई निहितार्थ भी राजनीतिक गलियारों में निकाले जा रहे हैं। कि क्या सतपाल महाराज को पता नहीं था कि जिस सूर्यधार प्रोजेक्ट की वो जांच की बात वे कर रहे हैं उसकी आंच से क्या वे बच पाएंगे ?  

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