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आयुष निदेशक का कारनामा : एक तरफ जीरो सेशन की फ़ाइल दूसरी तरफ ट्रांसफर के आदेश

आयुष मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने दिए जांच के निर्देश

आयुष मंत्री के अनुमति के बिना कर डाले आयुष निदेशक ने तबादले

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

अधिकारियों की कार्यप्रणाली से नाराज हुए  डॉ. हरक

आयुष निदेशक ने एक तरफ तो तबादला सत्र शून्य करने की भेजी फाईल तो दूसरी तरफ 28 फार्मासिस्ट स्थानांतरण का किया अनुमोदन की होगी बारीकी से जांच

देहरादून : उत्तराखंड में वैसे भी अफसरशाही के बेलगाम होने के कई उदाहरण आये दिन सामने आते रहते हैं लेकिन इस बार आयुर्वेद निदेशालय के निदेशक के एक चौंका देने वाला कारनामा सामने आया है, निदेशक ने जहाँ एक तरफ प्रदेश शासन को स्थानांतरण को लेकर जीरो सेशन का प्रस्ताव शासन को भेजा तो वहीं दूसरी तरफ बैकडोर से चुपचाप भारी संख्या में फार्म सिस्टम और चिकित्सकों के ट्रांसफर कर डाले हैं। मामले में मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने जांच का आश्वासन दिया है। 

अचानक हुए इस तरह के स्थानांतरण के चर्चाओं में आने के कारण विभागीय निदेश खुद ही शंका के घेरे में आ गए हैं। वहीँ दूसरी तरफ स्थानान्तरण पर विभागीय कार्यवाही के डर से कुछ कार्मिक दबी जुबान से इसमें बड़ा खेल होने की संभावना जता रहे हैं जिसमें कर्मचारियों से पैसे लेकर ट्रांसफर करने का भी आरोप लगाया गया है।

गौरतलब हो कि उत्तराखंड की विषम भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए शासनस्तर पर किसी भी विभाग में अनुरोध के अनुसार स्थानांतरण करने पर कार्मिक की अधिकतम सेवाएं 3 वर्ष रखी गयी है। यह समय सीमा इसलिए तीन साल राखी गयी है ताकि पर्वतीय इलाकों में अधिकारियों और कर्मचारियों की कमी के चलते इलाके की जनता को परेशानी न हो।

लेकिन आयुर्वेद निदेशालय की इस स्थानांतरण सूची में ऐसे कई नाम हैं जिनकी पूरी सेवा को अभी तीन साल भी पूरे नहीं हुए और दूसरी तरफ ऐसे कर्मचारियों के ट्रांसफर कथित रूप से अनुरोध को आधार बनाकर कर दिए गए हैं। उदाहरण के लिए कुछ विशेष बिंदु पर ध्यान देने की जरूरत है जैसे उत्तरकाशी में बड़कोट और मनेरी दोनों ही चीफ फार्मेसिस्ट के पद हैं लेकिन इन पर फार्मसिस्ट के ट्रांसफर कर दिए गए हैं।जो पूरी तरह से गैरव्यवहारिक है इससे आने वाले समय में जैसे ही डीपीसी होगी तो चीफ फार्मेसिस्ट के आने पर इन्हें स्वत: ही हटना पड़ेगा। ऐसे में इन स्थानों पर अनुरोध के आधार पर स्थानांतरण क्यों किए गए यदि फार्मेसिस्ट की ही कमी थी तो प्रशासनिक कारण अथवा जनहित के आधार पर स्थानांतरण होना चाहिए था।

वहीं मामले की भनक लगते ही विभागीय मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर नाराजगी जाहिर करते हुए मामले की गहराई से जांच की करवाए जाने की बात कही है। उन्होंने कहा विभागीय अधिकारी इसी तरह मंत्रियों को अँधेरे में रखकर अपना उल्लू सीधा करते रहे हैं और बदनाम सरकार को होना पड़ता है।  उन्होंने कहा ऐसी गतिविधि करने वाले अधिकारियों को चिन्हित कर शासन को पत्र लिखा जायेगा। 

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