अधिकारी और नेता दस-दस सरकारी वाहनों का दुरपयोग करते रहे हैं खुलेआम
पत्र के बाद सरकारी महकमों में बैचैनी का माहौल
राजेन्द्र जोशी
देहरादून : उत्तराखंड में अब सरकारी गाड़ियों के लिए अधिकृत नेता, अधिकारी या उनको चलने वाले चालक अपनी मर्जी से कहीं भी नहीं जा सकेंगे। इसके लिए परिवहन विभाग ने राज्य सरकार के सभी वाहनों में VLT यानि व्हीकल लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइस लगाने के निर्देश जारी किये हैं।
अपर परिवहन आयुक्त सुनीता सिंह के हस्ताक्षरों से निकाले गए इस आदेश के तहत सरकारी विभागों की गाड़ियों पर जो डिवाइस लगाई जा रही थी वह प्रामाणिक नहीं है। लिहाज़ा अपर परिवहन आयुक्त को एक बार फिर विभागों को पत्र लिखकर कहना पड़ा कि उनके संज्ञान में आया है कि कतिपय विभागों को VLT व्हीकल लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइस की सही जानकारी नहीं है और उन्होंने AIS -140 मानकों के अनुरूप न व्हीकल लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइस ही लगाई है और न परिवहन विभाग में सूचीबद्ध ही व्हीकल लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइस वाहनों में लगाई है।
उन्होंने विभागीय अधिकारियों को बताया है कि केंद्रीय मोटरयान नियमावली 1988 के नियम 125 H के अंतर्गत वाहनों में AIS -140 मानकों युक्त व्हीकल लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइस लगाए जाने के निर्देश दिए गए हैं। ताकि सभी वाहनों की ट्रैकिंग की व्यवस्था की जा सके। उन्होंने पत्र में बताया है कि राज्य में NIC द्वारा सॉफ्टवेयर विकसित किया गया है जो AIS -140 मानकों के व्हीकल लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइस की ट्रैकिंग कर सकता है।
इस पत्र के सामने आ जाने के बाद अब यह साफ़ है कि भविष्य में जिन विभागों के अधिकारियों या कर्मचारियों को सरकारी वाहन अनुमन्य हैं वे अब कभी भी पकड़ में आ सकते हैं कि वाहन का उपयोग सरकारी कार्य पर है या व्यक्तिगत रूप से तो दुरपयोग तो नहीं किया जा रहा है। अपर परिवहन आयुक्त के इस पत्र के सामने आ जाने के बाद सरकारी महकमों में बैचैनी का माहौल है।
गौरतलब हो कि उत्तराखंड राज्य के अस्तित्व में आने के दिन से लेकर आजतक एक-एक अधिकारी और नेता दस-दस सरकारी वाहनों का दूरपयोग खुलेआम करता रहा है। लेकिन किसी भी अधिकृत अधिकारी या नेता ने इस बारे में कभी भी नहीं सोचा कि आखिर इतने वाहन कहाँ उपयोग में आ रहे हैं। इतना ही वाहनों के दुरपयोग का आलम तो यहां तक जा पहुंचा है अधिकारी या नेताओं के पुत्र,पत्नी,पुत्री और अन्य परिजन कई गाड़ियों का एक साथ प्रयोग करते रहे हैं और इनके ईंधन सहित रखरखाव का खर्चा व ड्राइवर का वेतन सरकार द्वारा वहन किया जाता रहा है।
बहरहाल इस पत्र के बाद सरकारी वाहनों के दुरपयोग पर अंकुश लग भी पायेगा या नहीं यह तो भविष्य के गर्भ में छिपा हुआ है लेकिन इस पत्र ने जरूर कुछ नेताओं और अधिकारियों की नींद जरूर हराम कर दी है जो सरकारी वाहनों का जमकर दुरपयोग कर मौज़ काट रहे हैं।