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विधायक शहजाद ने कसा तंज —”पहाड़-पहाड़ करने वाले नेताओं ने आखिर पहाड़ का कितना विकास किया?

रजत जयंती वर्ष पर चल रहे विधानसभा के विशेष सत्र के दूसरे दिन बसपा विधायक शहजाद ने विधानसभा में पलायन का मुद्दा उठाया और कहा कि जब विधायक ही मैदान में आ रहे हैं तो पलायन कैसे रुकेगा। बसपा विधायक ने कहा कि केदारनाथ की विधायक का आवास जोगीवाला में है।

उत्तराखंड विधानसभा: कांग्रेस विधायक शाहजाद के बयान से पहाड़ों के विकास पर छिड़ी बहस

देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान, कांग्रेस विधायक शाहजाद के एक तीखे सवाल ने प्रदेश की राजनीति में हड़कंप मचा दिया है। उन्होंने सीधे तौर पर पहाड़ी नेताओं के अपने क्षेत्र के प्रति योगदान पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए पूछा, “पहाड़ी नेताओं ने पहाड़ों के लिए क्या किया है?”

विधायक शाहजाद का यह बयान ऐसे समय में आया है जब विधानसभा में राज्य के भविष्य के लिए रोडमैप और विकास के विज़न पर चर्चा चल रही है। उनके इस सवाल ने पहाड़ी क्षेत्रों में राजनीतिक जवाबदेही और दशकों से चले आ रहे क्षेत्रीय असमान विकास के मुद्दे को फिर से केंद्र में ला दिया है।

 

पहाड़ी और मैदानी क्षेत्रों के बीच की खाई पर तकरार

हालांकि, विधायक शाहजाद के बयान की पुष्टि करते हुए विस्तृत खबरें उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन विधानसभा में क्षेत्रीय विकास और पहाड़ बनाम मैदान के मुद्दे पर तीखी बहस पहले भी देखी गई है।

 

हाल ही में, विधानसभा के अंदर मैदानी और पहाड़ी क्षेत्रों के नेताओं के बीच उत्तराखंडी पहचान और अधिकारों को लेकर भी गरमागरम बहस हो चुकी है।

 

मैदानी इलाकों के नेता अक्सर राज्य की सामूहिक पहचान पर जोर देते हैं, जबकि पहाड़ी क्षेत्रों के विधायक पलायन, कमजोर स्वास्थ्य सेवाओं और बुनियादी ढांचे की कमी जैसे मुद्दों को उठाते हुए क्षेत्र-विशेष पर ध्यान देने की मांग करते हैं।

 

स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर सड़कों पर संघर्ष

क्षेत्रीय विकास के मुद्दे पर केवल सदन के अंदर ही नहीं, बल्कि बाहर भी आक्रोश देखने को मिला है। पहाड़ी इलाकों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं की मांग को लेकर चौखुटिया (अल्मोड़ा) से देहरादून तक सैकड़ों किलोमीटर की लंबी पदयात्रा करने वाले प्रदर्शनकारियों को विधानसभा के पास रोक दिया गया। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि पहाड़ों में डॉक्टर, स्टाफ और उपकरणों की भारी कमी है, जिसके चलते लोगों को मूलभूत इलाज के लिए भी लंबी दूरी तय करनी पड़ती है।

 

इस तरह, विधायक शाहजाद का सवाल पहाड़ों की उपेक्षा और जनप्रतिनिधियों की जवाबदेही जैसे गंभीर मुद्दों को दर्शाता है, जो राज्य गठन के 25 साल बाद भी उत्तराखंड की राजनीति के केंद्र में बने हुए हैं।

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