- प्रधानमंत्री मोदी से राजधानी गैरसैंण बनाने की मांग
- उत्तराखण्डियों ने संसद पर की विशाल हुंकार रैली
- उत्तराखण्ड एकता मंच दिल्ली के आवाहन पर जनगीतों व गगनभेदी नारों से गूंजा संसद मार्ग
देव सिंह रावत
नई दिल्ली । उत्तराखण्ड राज्य गठन के 18 वें साल में भी प्रदेश की सरकारें, जनता, आंदोलनकारियों व उ.प्र. सरकार की कौशिक कमेटी द्वारा सर्वसम्मत से तय की गयी ‘राजधानी गैरसैंण’ को प्रदेश की राजधानी घोषित करने में जब अब तक की तमाम सरकारें असफल रही तो उत्तराखण्ड एकता मंच दिल्ली के आवाहन पर आहत उत्तराखण्डियों ने प्रधानमंत्री मोदी से अविलम्ब प्रदेश की राजधानी गैरसैंण को घोषित करने के लिए संसद की चौखट पर विशाल हुंकार रैली का आयोजन किया।
इस हुंकार रैली का शुभारंभ राज्य गठन आंदोलन के अमर शहीदों की स्मृति को नमन् करते हुए गगनभेदी शंखनाद से किया। इस हुंकार रैली में देहरादून से आये आंदोलनकारियों ने राजधानी गैरसैंण के समर्थन में जनगीतों को गायन कर संसद मार्ग को गूंजायमान कर दिया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी वादा निभाओं, राजधानी गैरसैंण बनाओं राजधानी गैरसैंण, गैरसैंण, गैरसैंण लड़के लेंगें, भिड़ कर लेंगे गैरसैंण गैरसैंण बाबा मोहन उत्तराखण्डी का बलिदान, अमर रहे अमर रहे आदि के गगनभेदी नारों से संसद मार्ग गूंज उठा।इस अवसर पर प्रधानमंत्री को एक अविलम्ब राजधानी बनाने की मांग का एक ज्ञापन दिया । इस कार्यक्रम का आयोजन उत्तराखण्ड एकता मंच दिल्ली ने दिल्ली सहित देश प्रदेश में रहने वाले समर्पित उत्तराखण्डियों को एकजूट करके कर संसद की चैखट में उतारने में सफल आयोजन किया।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री का ध्यान आंध्र प्रदेश की नयी राजधानी की तरफ भी दिलाया गया। तेलांगना राज्य गठन के चार साल के अंदर ही आंध्र प्रदेश के जनहितों के लिए समर्पित मुख्यमंत्री चंद्र बाबू नायडू ने आंध्र प्रदेश की नयी राजधानी अमरावती बनाने का ऐतिहासिक कार्य किया परन्तु उत्तराखण्ड के जनविरोधी सरकारें जनता द्वारा सर्वसम्मत से तय राजधानी गैरसैंण को घोषित करने का साहस तक नहीं जुटा पा रहे हैं।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी को उनके द्वारा 2017 को हुए उत्तराखण्ड विधानसभा चुनाव में प्रदेश सरकार के गठन के लिए जनादेश मांगते समय जनता से किये गये ‘अच्छे दिन लाने के वादे को राजधानी गैरसैंण का गठन करके पूरा करने की पुरजोर मांग की। क्योंकि उत्तराखण्डियों के भले दिन तभी आ सकते हैं जब राजधानी गैरसैंण बने। राजधानी गैरसैंण न बनने से प्रदेश के 3000 से अधिक गांव पलायन के कारण उजड़ गये है। जो देश की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है। प्रदेश सरकार के देहरादून में कुण्डली मार कर बेठे रहने से प्रदेश के सीमान्त व पर्वतीय जनपदों से शिक्षा, रोजगार, चिकित्सा, शासन पटरी से उतर गया है। बिना राजधानी गैरसैंण निर्माण के प्रदेश का न चहुंमुखी विकास हो सकता व नहीं देश की सुरक्षा हो सकती।
ज्ञापन में प्रधानमंत्री को इस तत्थ से अवगत कराया गया कि प्रदेश की एकमात्र विधानसभा भवन गैरसैंण में बना है। इसी विधानसभा भवन में 2018 में सरकार ने बजट सत्र, शीतकालीन सत्र व ग्रीष्म कालीन सत्रों के साथ कई बार मंत्रीमण्डल की बैठकें हो चूकी है। यहां पर विधायक निवास सहित तमाम महत्वपूर्ण भवनों का निर्माण भी हो चूका है। इसके बाबजूद प्रदेश के नेता व नौकरशाह देहरादूनी पंचतारा सुविधाओं में मोह में गैरसैंण को राजधानी घोषित नहीं कर रहे है। जबकि जनता निरंतर राजधानी गैरसैंण की मांग को लेकर आंदोलन कर रही है। ज्ञापन में प्रधानमंत्री का ध्यान राज्य गठन के ही दिन से प्रदेश की सरकारों द्वारा राजधानी गैरसैंण बनाने की इस सर्वसम्मत मांग को ठेंगा दिखा कर मात्र अपनी पंचतारा सनक पूरा करने के लिए देहरादून में थोपेने के किये गये विश्वासघात की तरफ दिलाया।
ज्ञापन में प्रधानमंत्री को इस तथ्य से भी अवगत किया गया कि राज्य गठन जनांदोलन के प्रारंभिक चरण में ही उप्र की सरकार ने रमाशंकर कौशिक समिति ने प्रदेश की जनता, बुद्धिजीवियों, विशेषज्ञों की विस्तृत राय जानने के बाद गैरसैंण राजधानी बनाने के लिए सबसे उपयुक्त स्थान तय कर राज्य गठन आंदोलनकारियों की मांग पर मुंहर लगायी थी। राज्य गठन के बाद प्रदेश की सरकारों ने विश्वासघात करके एक तरफ न्यायमूर्ति दीक्षित की अध्यक्षता में राजधानी चयन आयोग का गठन किया वहीं दूसरी तरफ लोेकशाही का गलाघोंट कर प्रदेश की राजधानी गुपचुप तरीके से देहरादून में स्थापित करते रहे। बिना राजधानी चयन आयोग की रिपोर्ट के देहरादून में निरंतर सरकारें निर्माण करती रही। गैरसैंण राजधानी के मार्ग में अवसरोध खडा करने की दृष्टि से बनाये गये इस राजधानी चयन आयोग ने दस साल तक प्रदेश के करोड़ों रूपये बर्बाद किये। परन्तु यह षडयंत्र भी जनभावनाओं को नहीं दबा पाया। इस रिपोर्ट में भी अधिकांश लोगों ने राजधानी गैरसैंण के पक्ष में अपना पक्ष रखा। इस बात के लिए आकृष्ठ किया गया कि गैरसैंण राजधानी न बनाये जाने से प्रदेश बदहाली के कगार पर है। इससे जनता में भारी आक्रोश है। पूरे प्रदेश में राजधानी गैरसैंण बनाने की मांग को लेकर निरंतर आंदोलन छेडा हुआ है। सरकारें जनता की आंखों में धूल झोंकने के लिए गैरसैंण में विधानसभा सत्रों को आयोजन तो करती है परन्तु वहां पर राजधानी घोषित नहीं कर रही है।
दलगत राजनीति से उपर उठ कर समर्पित उत्तराखण्डियों ने इस आयोजन में भाग लिया। इस अवसर पर आंदोलनकारियों ने गैरसैंण को राज्य गठन की जनांकांक्षाओं, लोकशाही, प्रदेश के चहंुमुखी विकास व देश की सुरक्षा का प्रतीक बताते हुए प्रधानमंत्री से राजधानी गैरसैंण बनाने की पुरजोर मांग करते हुए ज्ञापन भी दिया। देश के इस चीन से लगे प्रदेश की सीमाओं से हो रहा पलायन देश की सुरक्षा के लिए बहुत ही घातक है। वक्ताओें ने कहा की प्रदेश की जनता ने जो अभूतपूर्व जनादेश विधानसभा चुनाव 2017 में दिया वह प्रदेश की इस जनांकांक्षाओं को साकार करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी पर विश्वास करके ही दिया है। प्रदेश की जनता को आशा है कि प्रधानमंत्री जनता के विश्वास व शहीदों की शहादत का सम्मान करते हुए राजधानी गैरसैंण बनाने के लिए अपने प्रभाव का प्रयोग करेंगे।
राज्य गठन के समय सर्वसम्मति से जनता व आंदोलनकारियों द्वारा एक मत से प्रदेश की राजधानी गैरसैंण को बनाने में अब तक की सभी सरकारें असफल रही है। सबसे शर्मनाक बात यह है कि लोकतंत्र में जनता की सर्वसम्मत मांग ‘ राजधानी गैरसैंण’ को बलात नजरांदाज करके बलात देहरादून में राजधानी थोपी गयी। जबकि हकीकत यह है कि …..
(1)-प्रदेश में एक मात्र, विधानसभा भवन,विधायक निवास, सचिवालयध्आवास गैरसैंण के भराड़ी सैण में बना हुआ है।
(2)- उत्तराखण्ड प्रदेश का पूरा बजट सत्र2018 भी गैरसैंण में सम्पन्न हुआ।गैरसैंण विधानसभा भवन में विधानसभा का शीतकालीन सत्र 2017 में सम्पन्न हो चूका है। गैरसैंण में ही विधानसभा का ग्रीष्मकालीन सत्र भी सम्पन्न हो चूका है।
(3)-उत्तराखण्ड राज्य गठन जनांदोलन 1994 से पहले ही पूर्व उप्र सरकार द्वारा गठित रमां शंकर कौशिक आयोग द्वारा उत्तराखण्ड की राजधानी के लिए आंदोलनारियों, विशेषज्ञों व जागरूक जनता से गहन चिंतन मंथन व निरीक्षण कर गैरसैंण को जनांकांक्षाओं को साकार करने वाली राजधानी घोषित की।
(4) -राज्य गठन के बाद जनभावनाओं, दीक्षित आयोग व हिमालयी राज्यों की तरह गैरसैंण बनाने के बजाय देहरादून में राजधानी बनाने के षडयंत्र के तहत ‘राजधानी चयन के लिए दीक्षित आयोग’ बनाया। इस आयोग ने जानबुझ कर करोड़ों रूपये बर्बाद कर दस साल तक इसे उलझाये रखा। परन्तु इस दीक्षित आयोग ने भी दो तिहाई से अधिक लोगों ने राजधानी के लिए गैरसैंण बनाने के लिए अपना मत दिया।
(5)-आजादी के संग्राम में ‘पेशावर क्रांति’ के महानायक चंद्रसिंह गढवाली ने गैरसैंण क्षेत्र में ही इस पर्वतीय क्षेत्र का आदर्श केन्द्रीय शहर बसाने का संकल्प लिया।
(6) राज्य गठन जनांदोलन से पहले ही राज्य गठन आंदोलनकारियों ने सर्व सम्मति से प्रदेश की राजधानी गैरसैंण बनाने को एकमत थी।
(7)-उत्तराखण्ड राज्य व राजधानी गैरसैंण के लिए ही प्रदेश के सवा करोड़ जनता ने ऐतिहासिक जनांदोलन किया और शहादत दी।
(8)-राज्य गठन के बाद, राजधानी गैरसैंण बनाने की मांग को लेकर बाबा मोहन उत्तराखण्डी ने दी शहादत
(9) गैरसैंण उत्तराखण्ड प्रदेश के मध्य में स्थित है।गैरसैंण को प्रदेश के अन्य जनपदों की दूरियों को कम करने के लिए नयेे मोटर मार्ग बनाये गये हैं।
(9) हिमालयी राज्यों की तरह हिमालयी राज्य उत्तराखण्ड की राजधानी गैरसैंण पर्वतीय क्षेत्र में स्थित है। यह रेल व वायु मार्ग से कम दूरी पर स्थित है।
(10) -प्रदेश गठन के बाद जनसेवा के प्रथम दायित्व को जमीदोज करते हुए नेताओं व नौकरशाहों ने पंचतारा सुविधाओं के लिए गैरसैंण में राजधानी न बना कर जनांकाक्षाओं, शहीदों की शहादत,प्रदेश के चहुंमुखी विकास, देश की सुरक्षा को नजरांदाज करते हुए प्रदेश गठन की मूल अवधारणा का गला घोटने का काम करते हुए बलात देहरादून में ही कुण्डली मारे हुए है। इससे प्रदेश गठन की मांग के लिए जिन पर्वतीय व सीमान्त जनपदों ने दशकों लम्बा संघर्ष व शहादतें दी वहां से शिक्षा, रोजगार, चिकित्सा व शासन से उपेक्षित होने के कारण विनाशकारी पलायन हो गया।3000 के करीब गांव उजड़ने के कगार पर है। पर्वतीय जनपदों से शिक्षा, चिकित्सा, रोजगार व शासन सब पटरी से पूरी तरह उतर चूके है। इसका एक मात्र कारण देहरादून में काबिज हुक्मरानों का अनुसरण कर सीमान्त व पर्वतीय जनपदों के शिक्षक, चिकित्सक व अन्य कर्मचारियों के साथ सबल लोग देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल व ऊधमसिंह नगर में अपना तबादला करने व बसने में लगे है। इससे चीन सीमा से लगे इस सीमान्त प्रदेश की यह स्थिति देश की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन गयी है।
प्रधानमंत्री मोदी को दिये गये ज्ञापन में प्रधानमंत्री को स्मरण कराया गया कि 9 नवम्बर 2000 में राजग की अटल बिहारी वाजपेयी सरकार द्वारा गठित उत्तराखण्ड राज्य के गठन हुए 18 सालों में प्रदेश की सरकारों ने राज्य गठन जनांदोलन की जनांकांक्षाओं को साकार करने के बजाय उसको निर्ममता से रौंदने का ही कृत्य किया। इसका सबसे जीवंत उदाहरण है राज्य गठन के समय सर्वसम्मति से जनता व आंदोलनकारियों द्वारा एक मत से प्रदेश की राजधानी गैरसैंण को बनाने में अब तक की सभी सरकारें असफल रही है। सबसे शर्मनाक बात यह है कि लोकतंत्र में जनता की सर्वसम्मत मांग ‘ राजधानी गैरसैंण’ को बलात नजरांदाज करके बलात देहरादून में राजधानी थोपी गयी। प्रदेश की राजधानी गैरसैंण न बनाये जाने से और पंचतारा सुविधा भोगी नेताओं व नौकरशाहों ने षडयंत्र कर बलात देहरादून से शासन संचालित किये जाने के कारण, प्रदेश गठन की मांग करने वाले सभी पर्वतीय जनपदों में शिक्षा, चिकित्सा, रोजगार व शासन से वंचित सा हो गये है, जिस कारण यह देश का चीन सीमा से लगा उत्तराखण्ड प्रदेश में पलायन की गंभीर समस्या से ग्रसित हो कर प्रदेश उजड़ने के कगार पर है। राज्य गठन जनांदोलन में जो शहादतें व संघर्ष किया गया वह गैरसैंण राजधानी के लिए भी था। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी प्रदेश की सरकारों को इसलिए कटघरे में खडा किया है।
उससेे राज्य गठन की मांग के लिए अपना सर्वस्व निछावर करने वाले अग्रणी आंदोलनकारियों व इस आंदोलन में समर्पित प्रदेष की लाखों लाख जनता प्रदेश के शासकों द्वारा जनभावना का सम्मान करते हुए राजधानी गैरसैंण बनाने के बजाय बलात देहरादून में राजधानी थोपने से ठगा सा महसूस कर रही है। इसमें अनैक सामाजिक संगठनों व राजनैतिक दलों से जुडे समर्पित उत्तराखण्डियों ने भाग लिया। हुंकार रैली को संबोधित करने वालों में देवसिंह रावत, दिगमोहन नेगी, रघुवीर बिष्ट, छात्र नेता सचिन थपलियाल, भाजपा नेता मोहन सिंह बिष्ट,रोशनी चमोली, विनोद बिष्ट, चारू तिवारी, आदि प्रमुख थे।
संचालन शशि मोहन कोटनाला व सुरेन्द्र हालसी ने किया। हुंकार रैली को सफल बनाने में जुटे उत्तराखण्ड एकता मंच दिल्ली के अनिल पंत, मनोज आर्य,विनोद बछेती,संजय नौडियाल,राहुल सत्ती,देवेन्द्र बिष्ट, नरेश देवरानी, राकेश नेगी,श्यामसिंह रावत.संजय चैहान, उमेश रावत, देवकी शर्मा, कुषुम भट्ट, सुषमा नेगी, लक्ष्मी बिष्ट, बबीता नेगी, देव सोंटियाल,, देवेन्द्र रतूडी, सूरज रावत, प्रदीप खुदेडू, देवेन्द्र सजवान,दयाल नेगी,रवीन्द्र चैहान, मदन मोहन ढौडियाल, रवीन्द्र कोटियाल, एम एस नेगी, अनिल रतूडी, अंगद चैहान, दलीप सिंह बिष्ट संदीप रावत, संजय सिंह रावत, बोबी रावत, उदय मंमगांई राठी, जगदीश सिंह रावत, संजय चैहान,अजय रावत, कुंदन भसेरा, हयात सिंह धीरज जोशी, नवीन काला, ,मदन भण्डारी, एन एस नेगी,रमेश , प्रमोद शर्मा, पूरण चंद्र, प्रमोद शमा, मान सिंह, पदम सिंह , सुदर्शन सिंह नेगी, योगेन्द्र सिंह राणा, भगवान सिंह रावत, शिशपाल सिंह,शिवलाल भारद्वाज, मोहन जुयाल, दिनेश सिंह रावत, विजय सिंह गुसांई, सतेन्द्र सिंह रावत, मोहन सिंह रावत, सोहन सिंह रावत,सचिदानंद भट्ट, रिचा चैहान, सरोजनी, गोदाम्बरी नेगी, सुषमा खंतवाल, लक्ष्मी रावत, उमेद सिंह चैहान, कमला देवी, अनिता, इंन्दू, श्याम प्रसाद खंतवाल, देवेन्द्र बिष्ट, प्रकाश नेगी, रवीन्द्र सिंह रावत, विशन सिंह, गोपाल राम आर्य, सुनील कुमार आर्य, राजेश कुमार, हेमराज कोठारी, सुरवीर सिंह बत्वार्ल, पूजा बडोला, अभिराज शर्मा, आशा शुक्ला, दयाल, क्रांतिकारी मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष- के एल आर्य नैनीताल से, जिज्ञासु जी, जगमोहन रावत, पूजा बडोला, कवि पूरन चंद्र कांडपाल, नीरज बावडी, रेखा चैहान, युवा जन्म संगठन कर्णप्रयाग चमोली-उमेश रावत मायाराम बहुगुणा, द्वारिका चमोली, दिनेश बिष्ट, पुष्कर सिंह दिनेश नेगी :पुष्कर सिंह भंडारी, दलबीर सिंह, बीरेंद्र रावत, गोपाल बिष्ट, सुरेंद्र प्रसाद नौटियाल, दिगंबर खत्री, दरवान सिंह रावत, उम्मेद सिंह नेगी दलवीर सिंह रावत कुलदीप सिंह रावत दिनेश रावत रणबिजय रावत मनोज पुरोहित सी बी देवराडी देव सिंह रावत, सुदर्शन नेगी, मनोज पंवार, दिनेश रावत, मनोज पुरोहित, बलराज नेगी, सुदर्शन रावत, देवेन्द्र मेहता,राजेश रौतेला,जगत बिष्ट,कृपाल उप्रैती,प्रकाश धोलाखण्डी,गणेश खुलबै,नीकू लिगंवाल,भूपाल सतपोला,नरेन्द्र रावत,ललित पिलखुवाल,राम सिहं बंगारी,ख्याली शर्मा,किर्ति चौहान,अजित सिहं मेहरा,हर्षपति,मनवर रावत,दीपक ढोढियाल,जगदीश मलेठा, बासबानंद ढौंडियाल,आचार्य जगदीश नौडियाल व श्रीमती जगदीश नौडियाल, आशा शुक्ला,देवसिंह फोनिया,सम्मलित थे।
इस अवसर पर जनगीतों से संसद मार्ग को गुंजायमान करने वालों में जनगीतों के प्रख्यात गायक जयदीप सकलानी, सत्तीश धौलाखण्डी एवं साथियों ने अपने गीतों से संसद मार्ग गूंजायमान कर दिया।
हुंकार रैली में देहरादून से रैली में सम्मलित होने आये गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान के रघुवीर सिंह बिष्ट, सचिन थपलियान,जयदीप सकलानी,आंदोलनकारी संगठन के प्रमुख प्रदीप कुकरेती, राज्य आंदोलनकारी मोहन रावत,लक्ष्मी प्रसाद थपलियाल, पुष्कर नेगी, सत्तीस धौलाखण्डी, पत्रकार प्रदीप सत्ती, सन्न भट्ट, प्रिया चमोला, सूरज भट्ट, अनिल रावत,पुष्कर नेगी, दिनेश पटवाल,
चण्डीगढ़ से गढ़वाल सभा, उत्तराखंड युवा मंच, उत्तरांचल युवा परिषद के बालादत्त बेलवाल, महिपाल नेगी, उमेश पालीवाल, कुंदन लाल उनियाल, धरमपाल रावत आदि,
उत्तराखंड समाज प्रतिनिधि सभा हरियाणा के अध्यक्ष- ओ पी भट्ट अंबाला से और उनकी टीम
वरिष्ठ पत्रकार व्योमेश जुगरान, सुरेश नौटियाल, खुशाल जीना, वेद उनियाल, अमर चंद, सुषमा जुगरान ध्यानी,उत्तराखण्ड राज्य आंदोलनकारी उत्तराखण्ड जनता संघर्ष मोर्चा, उत्तराखण्ड क्रांति दल के वरिष्ठ नेता प्रताप शाही,उत्तराखण्ड राज्य लोक मंच के बृजमोहन उप्रेती, उत्तराखण्ड जनमोर्चा के बृजमोहन सेमवाल, चंद्रशेखर जोशी, सुभाष चैहान, गैरसैंण समर्थक राजनैतिक नेताओं में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता धीरेन्द्र प्रताप, इंजीनियर गणेश चंद्रा,गजेन्द्र चैहान, रालोद के दिप्र महासचिव मनमोहन शाह, आदि भी उपस्थित थे।