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कार्य व आचरण में पारदर्शिता बनाये रखें पुलिस अधिकारीः डीजीपी

देहरादून । पुलिस मुख्यालय की सभागार में नवनियुक्त पुलिस महानिदेशक अनिल कुमार रतूड़ी ने राज्य के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक की। श्री रतूड़ी ने अपने सम्बोधन में कहा कि मेरी प्राथमिकता राज्य में विधि द्वारा स्थापित व्यवस्था स्थापित करना है जिसमें दृढता परन्तु विन्रमता के साथ अपने दायित्वों का निर्वहन करते हुये बिना किसी भेदभाव के सभी नागरिकों को सुरक्षा प्रदान की जायें।

उन्होंने सभी अधिकारियों से अपने कार्य व आचरण में पारदर्शिता बनाये रखने, विभाग में स्वच्छ छवि,अनुशासन एवं अच्छा व्यवहार बनाये रखने,वरिष्ठ/कनिष्ठ अधिकारियों से निरन्तर संवाद बनाये रखने, अधीनस्थों को कार्य के अनुकूल वातावरण उपलब्ध कराने की बात कही। उन्होंने कहा कि बच्चों, महिलाओं व कमजोर वर्गा के विरुद्ध अपराधों में संवदेनशील होकर कार्य करने, जनता की शिकायतों के त्वरित निस्तारण करने के सम्बन्ध में अपने अधीनस्थों को यथोचित रूप से ब्रीफ किया जाये।

उन्होंने विवेचना व पुलिसिंग के कार्य की गुणवत्ता में सुधार के सम्बन्ध में पुलिस मुख्यालय द्वारा निर्गत निर्देशों का अनुपालन करने, यातायात प्रबन्धन पर विशेष ध्यान देने, जमीन सम्बन्धी धोखाधड़ी हेतु गठित एसआईटी द्वारा सत्यानिष्ठापूर्वक त्वरित निस्तारण करने, साइबर अपराधों के प्रति अधीनस्थों को यथोचित प्रशिक्षित करने, आपदा के दौरान त्वरित कार्यवाही करने आदि से सम्बन्ध में निर्देशित किया।

बैठक में अशोक कुमार, अपर पुलिस महानिदेशक प्रशासन, राम सिंह मीणा, अपर पुलिस महानिदेशक, अपराध एवं कानून व्यव्यस्था, दीपम सेठ, पुलिस महानिरीक्षक अपराध एवं कानून व्यव्यस्था, पीवीके प्रसाद, पुलिस महानिरीक्षक, जेल, अमित सिन्हा, पुलिस महानिरीक्षक संचार, संजय गुंज्याल, पुलिस महानिरीक्षक पी/एम, ए0पी0अंशुमन पुलिस महानिरीक्षक, अभिसूचना/सुरक्षा, जी0एस0 मार्तालिया पुलिस महानिरीक्षक मुख्यालय सहित गढ़वाल/कुमायूँ परिक्षेत्र प्रभारी, समस्त जनपद प्रभारी, सेनानायक, सीआईडी, सतर्कता, अभिसूचना के अधिकारी उपस्थित रहे।

हेकड़ीबाज नेता  होंगे नये डीजीपी रतूड़ी के लिए चुनौती

देहरादून । पुलिस के सामने अक्सर कई बार ऐसे मामले भी आ खड़े होते हैं, जो कि उसके लिए अथवा विभागीय बड़े अफसरों के लिए सिरदर्द बन जाते हैं। किसी भी मामले के आरोपी को बचाने के लिए महकमें पर दबाव भी होता हैं और ऐसा भी सामने आता रहा है कि कुछ हेकड़ीबाज सफल भी हुए। लेकिन राज्य के नये पुलिस मुखिया अनिल कुमार रतूड़ी ने पदभार ग्रहण करने के बाद पहले ही इस बात को स्पष्ट कर दिया है कि वे कानून के आगे किसी भी तरह का दबाव बर्दाश्त नहीं करेंगे।

उत्तराखण्ड में राज्य की स्थापना से लेकर अब तक की घड़ी की सूईयों पर नजर डाली जाए तो उसमें अनेक सत्ताधारियों ने कानून को साईड करके अपने काफी कार्य कराने में सफलता हासिल की है। पुलिस भी दबाव में रही और कानून भी अक्सर बौना नजर आया। चाहे वह यातायात व्यवस्था के दौरान ट्रैफिक पुलिसकर्मी की वर्दी फाड़े जाने का मामला हो, अपराधियों के मामले में कुछ को बचाने के लिए चौकी एवं विभिन्न थानों में पहुंचकर घेराव व हेकड़ी दिखाने का मसला हो या फिर अतिक्रमण हटाने के दौरान व्यापारियों तथा सत्ताधारी दल के नेताओं का रौब दिखाने का अवसर ही क्यों न हो, ऐसे मामलों ने हमेशा ही न सिर्फ पुलिस का मनोबल गिराने का काम अनेक मर्तबा किया है बल्कि विभाग के कुछ बड़े अधिकारियों के कारण भी पुलिस महकमें की किरकिरी हुई है।

पुलिस के सामने वह तस्वीर भी प्रत्यक्ष रूप से रही है जब राज्य की इसी राजधानी दून में विधानसभा सत्र के दौरान पुलिस के एक शक्तिमान नामक घोड़े की टांग बड़ी निर्दयीता से तोड़ दी गयी थी और दुखद यह है कि बाद में उस बुरी तरह से घायल-लहुलुहान शक्तिमान घोड़े ने दम ही तोड़ दिया था। यह मामला भी हेकड़ी से जुड़ा हुआ रहा है। गढ़वाल के अलावा कुमाउं मण्डल में भी पुलिस के साथ हेकड़ी दिखाने के कई मामले भी चर्चाओं व खासी सुर्खियों में रहे हैं। इनसे भी कहीं न कहीं पुलिस का मनोबल गिरा है और राजनैतिक दलों के अनेक नेताओं व कार्यकर्ताओं के चर्चे इसी प्रकार के मामलों को लेकर हुए हैं।

प्रदेश के बनाये गये नये डीजीपी अनिल रतूड़ी ने भले ही अपनी महत्वपूर्ण कुर्सी का दायित्व संभालने के वक्त कानून की पूरी तरह से पैरवी व उसके संरक्षण की बात कही हो, साथ ही किसी के भी दबाव में न आने का विश्वास दिलाया हो, लेकिन इतना जरूर है कि अनिल रतूड़ी के लिए अपनी इस राह में डगर आसान नहीं होगी? कई मामले जांच के भी होते हैं और उनमें उपरी दखल भी अक्सर सामने देखा व समझा गया है।

यही नहीं, राज्य में अनेक नदियों में होने वाले खनन के मामलों में भी अनेक सत्ताधारियों व पुलिस के मध्य तार-तम्य का खेल चर्चाओं में आता रहा है। खनन को लेकर कुछ हत्या किये जाने के मामले भी जुड़े रहे हैं। ऐसे हालातों में सूबे के मुखिया डीजीपी अनिल रतूड़ी के लिए कई मुकाम ऐसे आ सकते हैं जिनमें उन्हें लोहे के चने भी चबाने पड़ सकते हैं। वैसे उनका वर्षों का पुलिसिया तजुर्बा कोई कम अच्छे रिकार्ड वाला नहीं है। देखना व समझाना अब यह रहेगा कि आखिर डीजीपी रतूड़ी प्रदेश की मुख्य कुर्सी पर बैठकर किस प्रकार की शैली से चौतरफा बैलेंस बनाकर चलते हैं और साथ ही अपराधों पर कैसे लगाम लगाने के लिए अपना चाबुक चलाते हैं।

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