UTTARAKHAND
डोबरा चांठी पुल के लोड टेस्टिंग का कार्य पूर्ण, नवम्बर से शुरू होगा आवागमन

त्रिवेन्द्र रावत के मुख्यमंत्री बनते ही सबसे पहले इस पुल के लिए दिखाई थी सक्रियता
टेस्टिंग के दौरान पुल पर डाला गया अधिकतम भार,जिसमें पुल सुरक्षित
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून : देश के सबसे लंबे सस्पेंशन पुल और त्रिवेन्द्र सरकार की उपलब्धियों में से एक डोबरा चांठी में के लोड टेस्टिंग का काम लगभग पूर्ण हो गया है। 440 मीटर लम्बे इस झुला पुल पर यातायात नवम्बर से शुरू हो पाएगा। टेस्टिंग के बाद अब इस महीने पुल के टॉवरों से अस्थाई स्ट्रक्चर को हटाया जाएगा और उसके बाद ही पुल आम लोगों की आवाजाही के लायक हो पाएगा।
गौरतलब हो कि वर्ष 2006 में डोबरा-चांठी पुल के निर्माण को स्वीकृति मिली थी, जिसे दो साल में पूरा होना था. लेकिन तमाम अड़चनों के कारण इस पुल को बनने में 14 साल लग गये। इस पुल के बनने से प्रतापनगर के लाखों लोगों को फायदा होगा और जिला मुख्यालय तक पंहुचने में करीब 60 से 80 किलोमीटर की दूरी भी कम हो जाएगी।
प्रतापनगर के लोग साल 2006 से ही इस पुल के निर्माण की राह देख रहे थे। कभी धन की कमी तो कभी तकनीकि अड़चनों की वजह से इस पुल के निर्माण का कार्य लगातार बाधित होता रहा था। त्रिवेन्द्र रावत के मुख्यमंत्री बनते ही उन्होंने सबसे पहले इस पुल के लिए पैसे की व्यवस्था कर विभाग को तुरंत इस पुल के निर्माण करने के निर्देश दिए। अब इस पुल के अगले महीने से खुलने से अलग-थलग पड़े प्रतापनगर क्षेत्रवासियों को राहत मिल जाएगी।
गौरतलब हो कि टिहरी बांध बनने के बाद प्रतापनगर क्षेत्र में आवाजाही के लिये बने तमाम पुल झील में समा गये थे। इसके चलते प्रताप नगर के लोगों के लिये जिला मुख्यालय तक का सफर काफी लंबा और मंहगा हो गया था। यहां के लोगों की मांग थी कि एक भारी वाहन का पुल बनाया जाए जो लोगों को समस्या का निदान कर सके। स्थानीय लोगों की समस्या को ध्यान में रखते हुए पंडित नारायण दत्त तिवारी की सरकार ने वर्ष 2006 में डोबरा-चांठी पुल के निर्माण को स्वीकृति दी थी, जिसे दो साल में पूरा होना था। लेकिन तमाम अड़चनों के कारण इस पुल को बनने में 14 साल लग गये।
प्रोजेक्ट मैनेजर एसएस मखलोगा ने बताया कि पुल की टेस्टिंग के दौरान पुल पर 15 -15 टन वजन के साथ 14 ट्रक को तीस- तीस मीटर की दूरी पर पुल पर खड़ा किया गया। इस दौरान इन ट्रकों को दो घंटे तक पुल पर खड़ा रखा गया। पुल को रोकने वाले लोहे के रस्सों की रीडिंग ली गई तो पुल में मात्र 50 एमएम का झुकाया पाया गया है। इस दौरान बाद में ट्रकों को पुल से हटाया गया तो पुल वापस अपने स्थान पर चला गया। उन्होंने बताया कि कोरियन टेक्नोलॉजी के आधार पर तैयार किए गए इस पुल को लोड के अधार पर 100 एमएम झुकाव के आधार पर तैयार किया गया है। जबकि टेस्टिंग के दौरान अधिकतम भार पुल पर डाला गया जिसमें पुल सुरक्षित पाया गया है।
हालांकि उन्होंने बताया कि अभी पुल खुलने में कम से कम एक महीने का समय लगेगा। क्योंकि पुल को तैयार करने के लिए टॉवरों पर कुछ अस्थाई स्ट्रक्चर बनाया गया था। जिसे अब काम पूर्ण होने के बाद हटाया जाना है। उन्होंने कहा कि वाहनों की आवाजाही के दौरान वाहनों और लोगों की सुरक्षा के दृष्टिगत इस अस्थाई स्ट्रक्चर को नहीं हटाया जा सकता। लिहाज़ा पुल पर सभी कार्य पूर्ण होने बाद ही आवाजाही के लिए खोला जाएगा। उनके अनुसार अभी पुल की एप्रोच रोड पर भी कुछ काम बाकी है।