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राजभवन का प्रतिनिधि नामित न करने पर राज्यपाल निजी विश्वविद्यालयों पर तल्ख़

निजी विश्वविद्यालयों को बोर्ड ऑफ गवर्नर्स में अनिवार्य रूप से सरकार के प्रतिनिधि नामित करने के आदेश

देहरादून: प्रदेश के निजी विश्वविद्यालयों में राजभवन का प्रतिनिधि नामित न करने पर राज्यपाल निजी विश्वविद्यालयों पर तल्ख़ नज़र आ रही हैं, उन्होंने भी इनको सीधा करने की ठानी है, राज्यपाल की नाराज़गी यूँ ही नहीं है क्योंकि एक्ट में प्रावधान होने के बावजूद निजी विश्वविद्यालय राजभवन और सरकार का प्रतिनिधि नामित करने से अब तक कन्नी काटते रहे हैं। निजी विश्वविद्यालयों की मनमानी के बाद अब राजभवन ने निजी विश्वविद्यालयों को बोर्ड ऑफ गवर्नर्स में अनिवार्य रूप से सरकार के प्रतिनिधि नामित करने के आदेश दिए हैं।

गौकरतलब हो कि निजी विश्वविद्यालयों की मनमानी को लेकर सरकार को अक्सर शिकायतें मिलती रहती हैं। इसे ध्यान में रखकर ही निजी विश्वविद्यालयों के लिए अंब्रेला एक्ट लाने का कदम उठाया जा रहा है। सरकार के स्तर पर किसी भी संभावित निगरानी से निजी विश्वविद्यालयों के संचालक गुरेज करते रहे हैं। हालत ये है कि इस मामले में वे उस एक्ट के प्रावधानों को भी दरकिनार कर रहे हैं, जिसकी वजह से वे अस्तित्व में आ सके हैं। निजी विश्वविद्यालयों के एक्ट में भी बतौर विजिटर राज्यपाल के प्रतिनिधि को नामित किए जाने की व्यवस्था की गई है। बावजूद इसके इन विश्वविद्यालयों में राजभवन या सरकार के प्रतिनिधि को नामित ही नहीं किया जा रहा है।

निजी विश्वविद्यालयों के इस रवैये का खुलासा बीते दिनों राजभवन में हुआ। उत्तरांचल विश्वविद्यालय की ओर से राजभवन की ओर से प्रतिनिधि नामित करने के संबंध में पत्र भेजा गया। पत्र मिलने पर राजभवन ने इससे पहले प्रतिनिधि नामित करने के बारे में उक्त निजी विश्वविद्यालय से पूछा। राज्यपाल बेबी रानी मौर्य यह जानकर आश्चर्यचकित रह गईं कि निजी विश्वविद्यालय राजभवन के प्रतिनिधि को नामित ही नहीं कर रहे हैं। उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक राज्यपाल ने इस पर नाराजगी जताई है। प्रदेश में वर्तमान में 18 निजी विश्वविद्यालय हैं। अब राजभवन की ओर से निजी विश्वविद्यालयों को अनिवार्य रूप से राजभवन का प्रतिनिधि नामित करने के बारे में हिदायत देते हुए आदेश जारी किए गए हैं।

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