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कारगिल विजय भारतीय सैनिकों के पराक्रम की अविस्मरणीय शौर्य गाथा!

कमल किशोर डुकलान

कारगिल विजय शौर्य दिवस को मनाते समय प्रत्येक भारतीय को राष्ट्रीय जीवन मूल्यों को नई दिशा प्रदान करने एवं देश की एकता और अखंडता को अक्षुण रखने की शपथ लेनी होगी।

1999 का कारगिल युद्ध भारतीय सेना के पराक्रम और शौर्य की अमर एवं अमिट गाथा है,जिसे भूले भुलाया नहीं जा सकता है। 22 वर्ष पर्व भारतीय पराक्रमी सैनिकों ने पाकिस्तानी सेना का मुंहतोड़ जवाब देकर अद्भुत विजय हासिल की। कारगिल युद्ध कई मायनों में अलग था। यह युद्ध इसलिए भी अलग था,क्योंकि सीमा पर तैनात सैनिकों को यह पता नहीं था कि दुश्मन कितनी संख्या में है और किस प्रकार के हथियारों से लैस हैं। लेह लद्दाख की भारतीय सीमा को राज्य के उत्तरी इलाके से अलग करने के उद्देश्य से की गई इस घुसपैठ ने भारतीय सेना को चौंका दिया था।

यह घुसपैठ लगभग उस समय हुई जब भारत-पाकिस्तान के बीच चल रही तनातनी को कम करने के लिए दोनों देशों ने फरवरी, 1999 में लाहौर घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए थे। इस समझौते के अनुसार दोनों देशों ने कश्मीर मुद्दे पर आपसी बातचीत से सुलझाने पर सहमति बनाई q, लेकिन पाकिस्तान ने धोखाधड़ी का अपना स्वभाव नहीं छोड़ा और अपने सैनिकों को चोरी-छिपे नियंत्रण रेखा पार कर भारत भेजना शुरू कर दिया। इसे पाकिस्तान ने ‘ऑपरेशन बंद्र’ नाम दिया। इसके पीछे उसकी मंशा कश्मीर और लद्दाख के बीच की कड़ी को तोड़कर भारतीय सेना को सियाचिन ग्लेशियर से हटाना था।

भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने सीमा पार कर घुसपैठी पाकिस्तानी सेना की मंशा को पहचाना और तत्काल कार्रवाई शुरू कर दी। जिसे ‘ऑपरेशन विजय’ नाम दिया गया था। उस लेह लद्दाख सीमा पर करीब दो लाख सैनिक मोर्चे पर भेजे गए थे। दुर्गम परिस्थितियों में भारतीय सेना की रणनीति, सेना के सभी अंगों के समन्वय और अद्भुत साहस के परिणामस्वरूप भारत को कारगिल विजय हासिल हुई। कारगिल विजय से यह सिद्ध हुआ कि भारतीय सेना के जवान सीमाओं की रक्षा करते हुए सर्वोच्च बलिदान देने में हर समय तत्पर रहते हैं।

पिछले वर्ष वैश्विक महामारी के बीच चीन और भारत के बीच जिस तरह से सीमा विवाद पर हुए संघर्ष में भारत जिस आक्रमक रुप से चीन पर हावी हुआ वह कारगिल विजय की ही सीख का परिणाम था। कारगिल युद्ध के बाद भारत ने जिस तरह से रक्षा के क्षेत्र में अपनी सैन्य शक्ति को हथियारों से लेकर प्रशिक्षण तक कई गुना बढ़ाया है।वहीं सुखोई,नए मिग,राफेल,अत्याधुनिक रडार सिस्टम एवं अंतरिक्ष में उपग्रहों के जाल ने परिदृश्य ही बदल दिया है।आज भारतीय सैनिक दुश्मनों की हर छोटी-बड़ी गतिविधियों पर सीधी नजर रखे हुए हैं।

पिछले वर्ष भारत ने कोरोना महामारी से और चीन एवं पाकिस्तान की धोखेबाजी से दो-दो मोर्चों पर एक साथ लड़ाई लड़ी। पाकिस्तान और चीन हमारे बीच हमारे सामने प्रत्यक्ष दिखाई देने वाले शत्रु हैं,परंतु कोरोना एक ऐसा अदृश्य शत्रु है,जो जानलेवा भी है। जिस प्रकार हम सभी युद्ध के समय राष्ट्र भक्ति से प्रेरित होकर एक ताकत के रुप में दुश्मन का सामना करते हैं वैसे ही भारत ने पिछले डेढ़ वर्ष से कोरोना के खिलाफ लड़ाई में निश्चित रूप से एकजुटता दिखाई है। मुझे आज भी कारगिल युद्ध के दिनों की यादें ताजा हैं। तब लोग कोटद्वार के दुग्गडा में सड़कों पर निकल कर सैनिकों का सम्मान करते थे। तिरंगे के पीछे लोगों का हुजूम उमड़ पड़ता था,मानों पूरा देश एकजुटता के साथ युद्ध लड़ रहा हो।

कारगिल युद्ध विजय दिवस को मनाते समय हमें देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने की शपथ लेनी चाहिए। वर्तमान समय में परस्पर प्रेम भाव एवं सामाजिक समरसता के जिस नए युग का हम सूत्रपात करेंगे वह हमारे राष्ट्रीय जीवन मूल्यों को नई दिशा प्रदान करेगा। हमारी भारतीय परंपरा एवं संस्कृति का मूल मंत्र भी यही है।

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