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जिनके लिए लौटकर आए हो, उनके लिए अपना फर्ज तो निभाइए

लॉकडाउन में फंसे लोगों के लिए सरकार ने उठाए बड़े कदम तो क्या लोग अपने लिए सतर्कता नहीं बरत सकते

कहीं भी रहो, संकट में घर और परिवार ही याद आते हैं, जब घर लौट आए हो तो अपनों के लिए कुछ दिन नियमों का पालन भी कर लो

क्वारान्टाइन  होना तो उन दिनों से ज्यादा बेहतर है, जब हम सैकड़ों, हजार किमी. घर से दूर थे

https://youtu.be/rsf6nmywPj0

देवभूमि मीडिया ब्यूरो

देहरादून। दुनिया के किसी भी कोने में रहो, देश में कहीं भी रहो, पर संकट में हमेशा अपना घर ही याद आता है। घर से आप भावनात्मक रूप से जुड़े होते हैं। अपना घर-परिवार किस को अच्छे नहीं लगते। बाहर रहने वालों को हमेशा उन लोगों की भी याद आती है, जो गांव या शहर में उनसे मिलते जुलते रहते हैं और सुख दुख में उनके साथ होते हैं। सरकारों ने बड़ी पहल की और लॉकडाउन में फंसे हजारों लोग अपने घर पहुंच गए। जब घरों तक पहुंच गए तो क्वारान्टाइन होने में क्या सोच रहे हो, अपने लिए और अपनों के लिए इस प्रक्रिया को भी निभा लो।  
हम यह बात उन लोगों के लिए कह रहे हैं, जो क्ववारान्टाइन की प्रक्रिया से बचना चाहते हैं। कुछ ऐसी सूचनाएं भी मिल रही हैं कि कुछ लोग लॉकडाउन में ही पैदल चलकर, रास्तों में तरह-तरह के संसाधनों के भरोसे चेक पोस्टों से बचते बचाते उत्तराखंड में प्रवेश कर गए, लेकिन नियमों का पालन नहीं कर रहे। इससे वो अपने साथ ही उन लोगों को भी खतरे में डालने का काम कर रहे हैं, जिनके लिए वो कष्ट झेलते हुए घर पहुंचे हैं।
लॉकडाउन में दूसरे राज्यों से घर पहुंचने वालों को अनिवार्य रूप से क्वारान्टाइन होना चाहिए, क्योंकि यह उनके साथ, उन लोगों के स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए भी बहुत जरूरी है, जो उनके अपने हैं और उनको रोजाना दिखते हैं और उनसे बातें करते हैं। अगर, ये लोग क्वारान्टाइन नहीं होते. छिपते छिपाते हैं तो इनके विरुद्ध दूसरों के जीवन को खतरे में डालने के मामले में कार्रवाई की जानी चाहिए।
इन लोगों को प्रशासन, पुलिस, ग्राम प्रधान या सरपंच को सूचना देकर व्यवस्थाओं का पालन करना चाहिए। सबसे पहले इनको अपना चेकअप कराना चाहिए। अपने आने की सूचना देनी चाहिए और प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग की निगरानी में क्वारान्टाइन की प्रक्रिया को पूरा करना चाहिए। 
गांवों में बाहर से आए लोगों को क्वारान्टाइन कराने के लिए प्रधानों और सरपंचों को सरकार ने अधिकार प्रदान किए हैं। प्रधान की बात सुनें और उनको सहयोग करें। भोजन, पानी और ठहरने की पूरी व्यवस्था हो रही है तो क्वारान्टाइन होने में हर्ज ही क्या हैै। 
कोरोना संक्रमण से लड़ने में सरकार की भूमिका व्यवस्थाएं बनाने, संसाधन उपलब्ध कराना, गाइड लाइन बनाने से लेकर हर तरह का सहयोग प्रदान करना और व्यवस्थाओं को लागू कराना है। हम सभी नागरिकों को अपनी जिम्मेदारियों को समझना होगा और कोरोना संक्रमण से निपटने और बचाव के लिए जो भी कुछ व्यवस्थाएं हैं, उनका हर हाल में पालन करना होगा।
केंद्र और राज्य़ सरकारों ने अपने स्तर से प्रयास किए, जिससे देश के एक कोने से दूसरे कोने तक लॉकडाउन में ही बड़ी संख्या में लोग अपने जिले, शहर और गांव में पहुंच गए। विशेष ट्रेनों के संचालन में दिनरात एक करने वालों की इच्छा है कि लॉकडाउन में फंसे लोग अपने घर पहुंच जाएं, अपने लोगों से मिल पाएं। यह कोई आसान टास्क नहीं है।
एक ट्रेन में 12 सौ लोगों को एक साथ, पूरी सावधानी और नियमों का पालन करते हुए सैकड़ों, हजार किमी. का सफर कराना आसान कैसे हो सकता है। इतनी बड़ी संख्या में सभी को स्वास्थ्य परीक्षण के बाद भोजन, पानी सहित अन्य सुविधाओं के साथ लंबे सफर पर भेजना आसान टास्क नहीं है। अपने राज्य में पहुंचे इन लोगों को सभी सावधानियों के साथ व्यवस्थित तरीके से उनके जिलों में भेजना आसान काम नहीं है। फिर भी सरकारों, अधिकारियों, कर्मचारियों ने इस कार्य को पूरे मनोयोग और सतर्कता के साथ किया और कर रहे हैं। 
सबसे बड़ा टास्क तो देशभर में फंसे लोगों से समन्वय बनाना, उनको परिवहन के साधनों तक पहुंचाना है। एक राज्य का दूसरे राज्य और फिर जिलों, ब्लाकों और गांवों से समन्वय के नेटवर्क को मजबूत बनाना, बड़ी जिम्मेदारी का काम है। उत्तराखंड जैसे छोटे राज्य ने भी इस टास्क को पूरा करने में सफलता हासिल की। 
जब सरकार इतने कठिन टास्क को पूरा कर रही है, वो भी महीनों से फंसे लोगों को उनके परिवारों तक पहुंचाने के लिए, तो क्या हम लोगों की जिम्मेदारी नहीं बनती कि हम उन प्रक्रिया का पालन करें, जो सभी के स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए सबसे जरूरी है। क्या हम क्वारान्टाइन नहीं हो सकते। कुछ ही दिनों की तो बात है। हम अपने घर के पास, अपने घर में या फिर गांव में कुछ ही दिन के लिए ही तो परिवार से दूर हैं। यह दूर होना तो, उन दिनों से ज्यादा बेहतर है, जब हम सैकड़ों, हजार किमी. दूर थे।

केशर सिंह बिष्ट का यह विडियो जरुर देखिये ……और विचार कीजिये हम कहाँ जा रहे हैं 

https://youtu.be/gAUqPh3ID5U

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