कोर्ट के आदेश ने बनाया रजनी को महिला से पुरुष !

- रजनी रावत के ”आप” में आने के बाद वो कैसे महिला से पुरुष बन गयी
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून : मेयर पद पर भाजपा-कांग्रेस के बीच देहरादून नगर निगम की प्रतिष्ठा की लड़ाई त्रिकोणीय हो चली है। चुनाव मैदान में आम आदमी पार्टी की तरफ से किन्नर रजनी रावत के मुकाबले में उतरने से समीकरण बदले हुए हैं।। हालांकि फिलहाल चर्चा रजनी रावत की मजबूती या चुनावी जीत को लेकर नही बल्कि इस बात पर है कि रजनी रावत के आप मे आने के बाद वो कैसे महिला से पुरुष हो गये।
चुनाव में यूं तो मतदाता अपने प्रत्यासी की पूरी जानकारी लेकर ही वोट देने का मन बनाता है लेकिन यदि प्रत्यासी के जेंडर को लेकर ही स्थिति संदेहात्मक हो तो मतदाता क्या करे।।।जी हां देहरादून मेयर पद पर किन्नर रजनी रावत ने दम भरा है। यूँ तो रजनी किन्नर समाज से आती हैं लेकिन चुनाव आयोग के नए आदेशों के चलते चुनाव नामांकन पत्रों में रजनी रावत को पुरुष मान लिया गया।लेकिन ताज्जुब की बात ये है कि साल 2008 और 2013 में रजनी रावत ने महिला प्रत्याशी के रूप में अपना नामांकन पत्र दाखिल किया था।
सुप्रीम कोर्ट की तरफ से पहले ही सभी राज्य सरकारों को ये आदेश दिया जा चुका है कि किन्नर समाज के लिए अलग व्यवस्था बनाई जाए। जिसके तहत नामांकन पत्रों में किन्नरों के लिए तीसरा कॉलम थर्ड जेंडर रखा जाए। बावजूद उसके नामांकन पत्रों में थर्ड जेंडर का कोई कॉलम ही नहीं बनाया गया है।यही कारण है कि हमारे समाज में आज भी किन्नरों को कभी महिला के तौर पर अपना नामांकन दाखिल करना पड़ता है तो कभी पुरुष के तौर पर। कुछ ऐसा ही इस बार मैडम रजनी रावत के साथ भी हुआ है, जो इस बार एक पुरुष कैंडिडेट के तौर पर आम आदमी पार्टी से देहरादून मेयर पद की प्रत्याशी हैं।
अब इस मामले में राजनीती टूल पकड़ लिया हे मामले की गंभीरता को देखते हुए आम पार्टी के प्रवक्ता में सुप्रीम कोट का हवाला देते हुए कहा कि जब कोर्ट ने किन्नर को पुरुष माना गया है तो हमने मैडम को पुरुष ने नाम से नामकन कराया है हालांकि पहले कोई कोर्ट का आदेश नहीं था अब आदेश के बाद से हमने भी आदेश का पालन किया हे हमें पहले से ही से ही रजनी रावत मैडम कहते थे और विपक्ष का तो काम ही कहना है। उसे पार्टी को कोई फर्क नहीं पड़ता है।