- दुनिया में सबसे अधिक ऊंचाई पर स्थित नैनीताल का यॉट क्लब
- दुनिया में दूसरी जगह इंगलैंड के शहर ससेक्स में हैं ऐसी पाल नौकाएं
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विनीता यशस्वी
नैनीताल : सुखद आश्चर्य वाली बात है कि नैनीताल (Nainital) का यॉट (Yacht पाल नौका) क्लब विश्व के सबसे अधिकतम ऊँचाई में स्थित एकमात्र यॉट क्लब है। यह क्लब समुद्रतल से 2084 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। नैनीताल की इन पाल नौकाओं का इतिहास उतना ही पुराना है जितना पुराना इन नौकाओं के बनने का इतिहास।
कहा जाता है कि सन् 1880 में पहली बार मेरठ के उस समय के कमिश्नर फ्लीटवुड विलियम्स ने ‘लिंटन होप हाफ रेटर’ नावों से मिलती-जुलती ‘स्कूनर’ यॉट को सबसे पहले सेंट अफ्सेस के पास नैनी झील में उतारा। इसके बाद कर्नल हेनरी ने ‘कैटरमैन’ आकार की दोहरे ढांचे वाली ‘जैमिनी’ यॉट को बनवाया। इसी क्रम में खेलों के सामान बनाने वाली कम्पनी ‘मरे एंड कम्पनी’ ने ‘कोया’, ‘डूडल्स’ और ‘डोरोथी’ नाम की तीन पाल नावें किराये पर ली और इन्हें झील में उतारा पर उस समय आये भीषण भूस्खलन के कारण इस काम को रोक देना पड़ा।
सन् 1890 में सफेद रंग की ‘कटर टाइप’ पाल नौकायें झील में चलनी शुरू हुईं। यह नौकायें हवाओं की दिशा पर निर्भर करती थी इसलिये जैसे ही हवा अपनी दिशा बदलती या हवा का तेज झोंका आता ये पाल नौकायें गिर जाया करती थी।
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सेलिंग क्लब की स्थापना
सन् 1897 में नैनीताल में ‘नैनीताल सेलिंग क्लब’ की स्थापना हो गयी। इस क्लब में ‘वेव डी’, ‘स्कीमिंग डिश’ और ‘साॅसर्श’ जैसी आधा दर्जन बेहतरीन पाल नौकायें थी। सन् 1910 में दो भाइयों मेजर सी। डब्ल्यू कैरे व कैप्टन एफ। कैरे ने नैनी झील के लिये ‘वन डिजाइन’ पाल नौकाओं को बनाने की सोची जिसके लिये उन्होंने इंग्लैंड के कारीगरों से मदद ली और ‘लिंटन होप’ पाल नौका बनवायी। कहा जाता है कि इन पाल नौकाओं को पहले ही दिन जब झील में उतारा गया तो वे हवा के तेज झोंकों के कारण टूट गईं। इस हादसे के बाद पाल नौकाओं में फिर सुधार किये गये। काफी सुधार करने के बाद आज के दौर में चलने वाली ‘लिंटन होप हाफ रेटर’ पाल नौकाओं का निर्माण हुआ है। कैरे भाइयों के सुझाव पर ही सन् 1910 में नैनीताल यॉट क्लब की स्थापना हुई और फिर ‘बनारस चेलेंज कप’ पाल नौका दौड़ भी शुरू हुई जो कि सबसे पुरानी पाल नौका दौड़ है। यॉट क्लब द्वारा मई से अक्टूबर तक झील में सेलिंग किया जाना शुरू हुआ और अक्टूबर माह में सेलर्स डिनर का आयोजन भी किया जाने लगा।
वर्तमान में यह पाल नौकायें रंग-बिरंगी हो गयी हैं पर अपने शुरूआती दौर में यह सिर्फ सफेद रंग की ही होती थी। सन् 1937 में पहली बार रंग-बिरंगी पाल नौकायें झील में उतारी गयी जिन्होंने अपने आकर्षक रंगों और आकार के कारण सब को अपनी ओर आकर्षित किया और नैनी झील की शान बन गयी।
- नैनीताल याॅट क्लब और गिरिराज सिंह
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इन पाल नौकाओं के बारे में यह जानना भी दिलचस्प होगा कि जब ‘नैनीताल याॅट क्लब’ की स्थापना हुई तब सिर्फ अंग्रेजों को ही इसकी सदस्यता मिलती थी और हिन्दुस्तानियों में गिने-चुने ऊँचे रुतबे वाले हिन्दुस्तानियों को ही इसकी सदस्यता देते थे वो भी बहुत ना-नुकुर करने के बाद। कहा जाता है कि सन् 1945 में सहारनपुर के राजकुमार गिरिराज सिंह को भी काफी मानमुनव्वल के बाद अंग्रेजों ने नैनीतान यॉट क्लब की सदस्यता दी।
सन् 1947 में जब देश आजाद हुआ तो नैनीताल याॅट क्लब का सौदा कोचीन के बोट हाउस क्लब से कर दिया गया पर गिरिराज सिंह ने यह पूरी संपत्ति खुद खरीद ली और बाद में इस पूरी संपत्ति को क्लब को ही दान कर दिया। इतना ही नहीं उन्होंने उस समय प्रधानमंत्री बने जवाहर लाल नेहरू से संपर्क स्थापित किया और क्लब को नगरपालिका से लीज पर जमीन दिलवा कर उसमें बोट हाउस क्लब की स्थापना कर दी।
नैनी झील की पाल नौकाओं की एक खासियत यह भी है कि ऐसी पाल नौकाओं पूरे विश्व में सिर्फ एक ही जगह और मिलती हैं उसके अलावा और कहीं नहीं मिलती। विश्व की यह दूसरी जगह है इंगलैंड का शहर ससेक्स। जहां इनका संचालन ‘नाॅरफाॅक्स ब्राॅड यॉट क्लब इंगलैंड’ द्वारा किया जाता है।
साभार : https://www.kafaltree.com