UTTARAKHAND
भारतीय भाषाएं बनें उच्च शिक्षा का आधार और अधिकार


उच्च शिक्षण संस्थानों में अगले सत्र से भारतीय भाषाओं में शिक्षण उपलब्ध कराने की केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक की घोषणा यदि मूर्त रूप लेती है तो यह शिक्षा जगत के लिए एक क्रांतिकारी परिवर्तन होगा। इसे पिछले कुछ वर्षों से भारतीय भाषाओं को बढ़ाने की उसी कड़ी के रूप में देखने की जरूरत है,जिसके तहत मेडिकल की नीट परीक्षा,आइआइआइटी एंट्रेंस, राष्ट्रीय भर्ती परीक्षा आदि में भारतीय भाषाओं में परीक्षा देने की सुविधा मिल चुकी है। एक स्वतंत्र लोकतांत्रिक देश में अपनी भाषाओं में शिक्षा तो स्वाभाविक रूप से दी ही जानी चाहिए थी, किन्तु आजादी बाद देश में अंग्रेजी के पक्ष में माहौल बने रहने के कारण शिक्षा जगत से लेकर लोक सेवा आयोग तक भारतीय भाषाएं हाशिए पर सिमटती गईं। केन्द्रीय शिक्षा मंत्री की इस घोषणा का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है कि हाल में संघ लोक सेवा आयोग से लेकर राज्यों की प्रशासनिक परीक्षाओं में अंग्रेजी का वर्चस्व अप्रत्याशित रूप से बढ़ा है। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग में हिंदी माध्यम के परीक्षार्थियों के साथ हुए अन्याय से दुखी होकर एक छात्र ने आत्महत्या तक कर दी थी। यह बिडम्बना ही है कि भाषाओं में पढ़े मेधावी छात्रों के साथ ऐसा सुलूक हो रहा है।Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur.