Uttarakhand

स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में सड़क पर बच्चा जनने को मजबूर पहाड़ की महिलाएं

कहीं महिलाये एंबुलेंस में तो कहीं सड़क पर दे रही बच्चे को जन्म

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

देहरादून : उत्तराखंड के स्वास्थ्य केन्दों की हालत इतनी बदतर हो चुकी है कि कहीं डॉक्टर के अभाव में महिलाएं बच्चे को सड़क पर जनने को मजबूर है तो कहीं स्वास्थ्य सुविधाओं को देने वाली एएनएम ही  प्रसव पीड़ा से कराहती महिलाओं का  प्रसव कराने से मना करती है वहीँ कहीं दर्द से कराहती महिलाओं को अस्पताल पहुँचाने के लिए एम्बुलेंस  उपलब्ध नहीं होती ,ऐसे में सरकार के दावों की पोल खोलती यह रिपोर्ट ……. 

घटना शनिवार प्रातः की है जब प्राथम‌िक स्वास्थ्य केंद्र त्यूनी में डॉक्टर के न होने पर जच्चा और बच्चा की जान पर बन आई। गर्भवती महिला को एंबुलेंस में ही बच्चे को जन्म देना पड़ा हालांकि, दोनों स्वस्थ्य हैं। शनिवार की सुबह निर्मला देवी (28) पत्नी अविनाश निवासी ग्राम कूणा को प्रसव पीड़ा होने पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र त्यूनी से 108 एंबुलेंस बुलाई गई।

एबुंलेंस 17 किमी का दुर्गम सफर तय कर सुबह 6:30 बजे महिला को लेकर अस्पताल पहुंची, लेकिन यहां डॉक्टर के न होने पर ड्यूटी वहां तैनात फार्मासिस्ट ने प्राथमिक उपचार के बाद परिजनों को महिला को हायर सेंटर ले जाने की सलाह दी। इस बीच महिला की प्रसव पीड़ा बढ़ने लगी। वह दर्द से कराहने लगी। मजबूरी में एंबुलेंस में तैनात स्टॉफ को अस्पताल परिसर में खड़ी एंबुलेंस में ही प्रसव करना पड़ा। सुरक्षित प्रसव होने पर सभी ने राहत की सांस ली। स्थानीय निवासी मनीष चौहान, विक्रम पंवार, संदीप राणा आदि का कहना है कि अक्सर क्षेत्र में डॉक्टर के न होने पर गर्भवती महिलाओं की जान पर बन आती है।

वहीँ दूसरी घटना रुद्रप्रयाग जिले के जखोली ब्लाक के चौरा एएनएम सेंटर की है जहाँ एएनएम ने सिर्फ इसलिए प्रसव कराने से इन्कार कर दिया कि प्रसव कक्ष की सफाई नहीं हुई थी। फलस्वरूप प्रसव पीड़िता ने सड़क पर ही बच्चे को जन्म दे दिया। 
प्राप्त जानकारी के अनुसार भटवाड़ी गांव की रहने वाली इंद्रा देवी अपनी गर्भवती बहू लक्ष्मी को लेकर निजी वाहन बुक कर जखोली स्थित एएनएम सेंटर पहुंची। इंद्रा देवी के अनुसार उन्होंने एएनएम से प्रसव पीड़ा का हवाला देकर बहू को भर्ती करने का आग्रह किया।

इंद्रा का आरोप है कि एएनएम बसंती सकलानी ने कहा के प्रसव कक्ष की सफाई नहीं हुई है। ऐसे में वह पीड़ित महिला को भर्ती नहीं कर सकती। एएनएम का कहना था कि यह सीएमओ का निर्देश है। इंद्रा के अनुसार वह करीब आधे घंटे एएनएम की मनुहार करती रही।

इस बीच आसपास के लोग भी एकत्र हो गए और उन्होंने भी एएनएम को समझाने का प्रयास किया। जब बात नहीं बनी तो इंद्रा अपनी बहू को लेकर लौटने लगीं, लेकिन सड़क पर खड़े वाहन तक पहुंचने से पहले ही प्रसव वेदना बढ़ गई। इंद्रा ने आसपास की महिलाओं की सहायता से किसी तरह प्रसव कराया।

एएनएम बसंती का कहना है कि सुबह-सुबह प्रसव कक्ष की सफाई नहीं हुई थी। सीएमओ के निर्देश के अनुपालन में उन्होंने गंदे कक्ष में प्रसव करना उचित नहीं समझा। हालांकि जब महिला का दर्द बढ़ गया तो प्रसव में उन्होंने मदद की।

मामले के प्रकाश में आने के बाद  मुख्य चिकित्साधिकारी ने एएनएम बसंती सकलानी को सस्पेंड कर दिया है । सीएमओ सरोज नैथानी ने संबंधित एएनएम से लिखित जबाव मांगते हुए उसे सस्पेंड कर दिया है। सीएमओ ने कहा कि यह भी जांच की जाएगी कि किन कारणों से गर्भवती महिला को भर्ती नहीं किया गया। एएनएम के सेंटर में गर्भवती महिला को भर्ती न किया जाना गंभीर विषय है। एएनएम का जवाब आने पर आने के बाद अग्रिम कार्रवाई की जाएगी। वहीं डीएम मंगेश घिल्डियाल ने भी सीएमओ से इस मामले में जबाव मांगा है।

वहीँ तीसरी घटना चार मई की है जब सूचना देने के बावजूद नजदीकी नौगांव अस्पताल से तीन घंटे बाद भी एंबुलेंस नहीं पहुंची तो प्रसव पीड़ा से कराहती महिला को सड़क पर ही बच्चे को जन्म देना पड़ा। गांव की चार महिलाओं ने यह प्रसव कराया। 

अस्पताल की संवेदनहीनता की हद देखिए कि बाद में एंबुलेंस खराब होने की बात कहकर इसे भेजने से ही मना कर दिया गया। हालत बिगड़ने पर जौनसार-बावर क्षेत्र विकास समिति लाखामंडल के सहयोग से जच्चा-बच्चा को निजी वाहन से नौगांव अस्पताल ले जाया गया। फिलहाल जच्चा-बच्चा की हालत खतरे से बाहर बताई जा रही है। एक जानकारी के अनुसार  सामाजिक संस्था जौनसार-बावर क्षेत्र विकास समिति लाखामंडल की अध्यक्ष बचना शर्मा समेत गांव की तीन अन्य महिलाओं मानवती, रजनी देवी व ममता देवी ने सड़क पर दर्द से कराहती महिला की सड़क पर ही डिलीवरी कराई। प्रसव के बाद महिला की हालत बिगड़ने पर समिति अध्यक्ष समेत कुछ अन्य लोग जच्चा-बच्चा को निजी वाहन से नजदीकी अस्पताल नौगांव ले गए।

एक जानकारी के अनुसार जौनसार-बावर परगने में तीन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हैं। जिनमें से चकराता सीएचसी में पांच चिकित्सक, साहिया सीएचसी में चार चिकित्सक व त्यूणी सीएचसी में मात्र एक चिकित्सक व दो फार्मेसिस्ट ही तैनात हैं।

तीन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में से पीएचसी क्वांसी व पीएचसी लाखामंडल पर लंबे समय से ताला लटका हुआ है। पीएचसी कालसी में मात्र एक चिकित्सक ही तैनात है। इसके साथ ही तीन दर्जन स्वास्थ्य उप केंद्रों में से 15 पर ताले लटके हुए हैं, जबकि 15 अस्पताल सिर्फ एएनएम के सहारे संचालित हो रहे हैं।

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