विभागीय मंत्री की अनदेखी आखिर कब तक !

- ब्यूरोक्रेसी के अहंकारी और हिटलरी निर्णयों से आक्रोशित जनता !
- मंत्री को आमंत्रण पत्र में कहीं भी तरजीह न देने से मंत्री हुए नाराज़
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
DEHRADUN : उत्तराखंड की ब्यूरोक्रेसी पर यूँ ही नेताओं को बरगलाने और उनकी न सुनने के आरोप नहीं लगाए जाते हैं। यही कारण है उत्तराखंड के आम जनमानस आज ब्यूरोक्रेसी के अहंकारी और हिटलरी निर्णयों को सूबे की जनता पर थोपे जाने से आक्रोशित है जिसका परिणाम बीते दिनों मुख्यमंत्री के जनता दरबार में एक महिला अध्यापिका के आक्रोश के रूप में तो बाहर निकला साथ ही सोशल मीडिया पर भी देखने को मिला। यह सूबे के अधिकारियों के प्रति जनाक्रोश की ही परिणीति माना जा रहा है जो इस मामले को इतना तूल दिया गया। ऐसा नहीं कि केवल मुख्यमंत्री को ही इस तरह के जनाक्रोश का सामना करना पड़ा बीते कुछ महीने पहले हल्द्वानी के एक ट्रांसपोर्टर का भाजपा कार्यालय में कृषि मंत्री सुबोध उनियाल के सामने ही सिस्टम से दुःखी होकर जहर खाने का मामला भी कही न कहीं अधिकारियों के प्रति जनाक्रोश का ही मामला था वहीँ कई बार सूबे के जनप्रतिनिधियों को ऐसे ही अहंकारी अधिकारियों के कुकृत्यों के आक्रोश से उपजे जनाक्रोश का सामना करना पड़ता रहा है।
ताज़ा मामला उत्तराखंड के डोईवाला विधानसभा क्षेत्र का है जहाँ केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार सहित मुख्यमंत्री और सांसद डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक व केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंदरजीत सिंह की उपस्थिति में वहां के आईटीआई भवन में सिपेट के कौशल विकास एवं तकनिकी सहयोग केंद्र के उद्घाटन के साथ ही नवीन सिपेट भवन का शिलान्यास किया गया। कार्यक्रम में कौशल विकास विभाग का सचिव तो मौजूद था लेकिन उत्तराखंड के जिस विभाग के अंतर्गत यह कार्यक्रम आयोजित किया गया था उस विभाग के कद्दावर मंत्री को औपचारिकता निभाने के लिए आमंत्रण पत्र तो भेजा गया लेकिन आमंत्रण पत्र में कहीं भी उनका नाम अंकित नहीं था, नियमानुसार इस कार्यक्रम की मेजबानी कौशल विकास योजना देख रहे मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत को करनी थी।
जबकि इस कार्यक्रम के एक दिन पहले विभागीय सचिव पंकज कुमार पांडेय की डॉ. हरक सिंह रावत से आधे घण्टे हुई मुलाकात को एक समाचार पत्र ने कुछ इस तरह बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत किया जैसे भारत और चीन के नेताओं का मिलन हुआ हो। जबकि मामला इतना गंभीर था कि कौशल विकास योजना के तहत उत्तराखंड में कहाँ क्या हो रहा है विभागीय सचिव विभागीय मंत्री को ही इन जानकारियों से दूर रखे हुए थे। थक-हारकर विभागीय मंत्री डॉ.हरक सिंह रावत को विभागीय जानकारी के लिए अपर मुख्य सचिव कौशल विकास ओम प्रकाश को पत्र लिखना पड़ा कि उन्हें विभाग की जानकारियां उपलब्ध करवा दी जाय। हालाँकि अपर मुख्य सचिव ने भी अपना पल्ला झाड़ते हुए मंत्री को बताया कि कौशल विकास का कार्य मात्र पंकज कुमार पांडेय ही देखते हैं। हालाँकि कौशल विकास विभाग द्वारा उस पत्र को विभागीय सचिव को अग्रसारित करते हुए विभाग द्वारा मंत्री को कुछ अस्पष्ट जानकारियां तो दी गयी जिनसे मंत्री संतुष्ट नहीं हुए। मामला बढ़ता देख अब विभागीय सचिव द्वारा मंत्री से पैचअप करने का प्रयास तो किया गया वह भी मजबूरी में।
लेकिन इसके बाद विभागीय सचिव द्वारा मंत्री के साथ सम्बन्ध कितना पैचअप हुआ यह तो नहीं कहा जा सकता लेकिन इसके बाद भी विभागीय सचिव ने मंत्री के साथ धोखा तब कर डाला जब डोइवाला में कौशल विकास विभाग के तत्वावधान में आयोजित होने वाले कार्यक्रम से विभागीय मंत्री को ही किनारे कर डाला। न तो विभागीय मंत्री का नाम आमंत्रण कार्ड में प्रकाशित किया गया और न ही मंत्री को कार्यक्रम में आने के लिए औपचारिक आमंत्रण ही दिया गया। इसके बाद से एक बार फिर विभागीय सचिव व मंत्री के बीच विभागीय सचिव की कारस्तानियों से खाई पैदा हो गयी है। उदघाटन के बाद से मंत्री हत्थे से उखड़े हुए हैं और उन्होंने मुख्यमंत्री को पूरे घटनाक्रम से अवगत भी करा दिया है कि किस तरह एक सचिव उनकी जानबूझकर अनदेखी ही नहीं कर रहा है बल्कि वह संवैधानिक दायित्वों की भी अनदेखी कर रहा है।