AGRICULTURE

बर्फवारी के चलते इस बार सेब की अच्छी फसल की बागवानों को उम्मीद

लंबे समय बाद कुदरत हुई है मेहरबान

चमोली जिले में 290 हेक्टेयर में हैं सेब के बागान

प्रदेश में करीब 34685 हेक्टेयर में सेब के बागान

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

उत्तराखंड में 1.22 लाख मीट्रिक टन है उत्पादन

प्रदेश में करीब 34685 हेक्टेयर में सेब के बागान हैं। सेब का उत्पादन लगभग 1.22 लाख मीट्रिक टन है और कारोबार 3500 करोड़ रुपये का है।

अच्छी बर्फबारी से सेब के पेड़ों को जरूरी नमी मिल रही है। सेब उत्पादकों के अनुसार अधिक बर्फबारी से फसल को नुकसान पहुंचाने वाले फंगस खत्म हो जाते हैं।

देहरादून। पहाड़ों में नवंबर से हो रही लगातार बर्फबारी से प्रदेश के सेब उत्पादकों के चेहरे पर मुस्कान नज़र आ रही है। मनमाफिक बर्फवारी से उत्साहित बागवान मानते हैं कि यह क्रम बना रहा तो इस बार सेब की अच्छी फसल की उम्मीद परवान जरूर चढ़ेगी। गौरतलब हो उत्तराखंड में सेब की प्रमुख प्रजातियों में रेड डेलिशस, रॉयल डेलिशस, अर्ली सनवरी, ग्रीन स्वीप, गोल्डन, सेनी, रेड गोल्डन शामिल है। जबकि उत्तरकाशी के हर्षिल घाटी में विल्ल्सन सेब कभी मशहूर हुआ करता था जो अब लगभग समाप्ति के कगार पर है इसकी जगह सेब उत्पादकों ने नई प्रजाति की पौध अपने बगानों में लगाई हैं।  

उत्तराखंड के उत्तरकाशी,चमोली जिले में जोशीमठ और घाट ब्लॉक सेब के अच्छे उत्पादक क्षेत्र हैं। सुदूरवर्ती इन क्षेत्रों में करीब 300 गांव बर्फ से लकदक हैं। खेत-खलिहान हों या पहाड़ चारों ओर बर्फ का साम्राज्य है।  उत्तरकाशी के पुरोला , नैटवाड और सांकरी सहित चमोली जिले के जोशीमठ ब्लाक में रामणी गांव के सेब के बागवान कहते हैं लंबे समय बाद कुदरत मेहरबान हुई है। पिछले साल कम बर्फबारी से उत्पादन प्रभावित हुआ था। मलारी हाईवे पर भापकुंड में सेब के कारोबारी कहते हैं कि मार्च से सेब के पेड़ों पर फ्लावरिंग शुरू हो जाती है।

इस बार चिलिंग प्वाइंट अच्छा मिला है तो पैदावार भी अच्छी होनी चाहिए। बशर्ते यह क्रम मार्च के पहले सप्ताह तक बना रहे। वहीं चमोली के उद्यान निरीक्षक डीपी डंगवाल ने बताया कि जिले में 290 हेक्टेयर में सेब के बागान हैं और यहां औसतन 3200 मीट्रिक टन उत्पादन होता है। वह कहते हैं कि सेब के लिए सबसे जरूरी है चिलिंग प्वाइंट। अच्छी पैदावार के लिए यह एक हजार से 1300 घंटे तक रहना चाहिए। इससे उत्पादन के साथ ही गुणवत्ता भी प्रभावित होती है। इस बार मौसम साथ दे रहा है।

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