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डहलिया बैंक हाउस के अंडरग्राउंड तहखाने में मिली हाईटेक तिजोरी

  • साइरन बजने लगता  है तिजोरी के पास तक जाने से ही 
  • छावनी परिषद के उच्च अधिकारियों की मौजूदगी में तिजोरी को तोड़ा जायेगा

मसूरी। मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर के खास दोस्त संजय नांरग का छावनी परिषद में बना आलिशान डहलिया बैंक हाउस अबतक खंडहर में तबदील हो चुका है। 28 हजार वर्ग मीटर पर बने बंगले के अवैध निर्माण को ध्वस्त करने की कार्रवाई जोरों पर है, वहीं जैसे-जैसे डहलिया हाउस टूट रहा है, वैसे-वैसे बंगले से कई चौंकाने वाले दृश्य सामने आ रहे हैं। डहलिया बैंक के ध्वस्तीकरण के दौरान बंगले से कई चौंकाने वाले दृश्य सामने आ रहे हैं। इस आलिशान बंगले के बेसमेंट में कई ऐसे तहखाने बने हुए हैं, जिन्हें देखकर लगता है सजय नांरग द्वारा डहलिया बैंक हाउस से ही अपने करोबार का संचालन किया करता था।

रविवार को डहलिया बैंक के ध्वस्तीकरण में लगे मजदूरों ने बताया कि शनिवार देर रात को बेसमेंट से कुछ साइरन जैसी अवाज़ें आ रही थी। जिसे सुनकर सभी मजदूर घबरा गए। उन्होंने सुबह उठकर इस संबध में उच्च अधिकारियों को बताया। जिसके बाद अधिकारी मजदूरों के साथ बेसमेंट के नीचे बने कई तहखानों में पहुंचे। तो वहां का नज़ारा देखकर सभी हैरान हो गए। जानकारी के मुताबिक बंगले के नीचे बने तहखानों के एक कमरे में आधुनिक किस्म की तिजोरियां मौजूद हैं। जो पासवर्ड से खोली और बंद की जाती हैं। तिजोरी के पास तक जाने से ही उसमें साइरन बजने लगता है। फिलहाल छावनी परिषद ने अबतक तिजोरी से किसी प्रकार कि छेड़छाड़ नही की है।

बताया जा रहा है कि सोमवार को छावनी परिषद के उच्च अधिकारियों की मौजूदगी में तिजोरी को तोड़ा जायेगा। बंगले के तहखाने में तिजोरी मिलने के बाद से अनुमान लगाया जा रहा है कि सजय नांरग अपने धन को इसी तिजोरी में रखता होगा। बता दें कि शनिवार को मेनगेट के पास सुरक्षा गार्ड का कमरा का ध्वस्तीकरण करते हुए फर्श के नीचे अंडर ग्राउंड निर्माण का पता चला था। जब उस जगह पर खुदाई की गई तो मजदूरों को अंडरग्राउंड तहखाने का पता चला। जब छावनी परिषद के अधिकारियों ने अंडरग्राउंड तहखाने का मुआयना किया तो वहां से उन्हें तीन जनरेटर सेट, पानी गर्म करने का प्लांट, एसी यूनिट, पानी फिल्टर करने का पंप, ट्रांसफार्मर और बैटरी बैकअप के लिए दर्जनों बैटरी मिले। वहीं डहलिया बैंक में महंगे झूमर और पियानो की भी सुविधा थी। करीब एक करोड़ रुपये से अधिक कीमत के झूमर कोठी के प्रमुख गेट के अंदर लगाए गए थे। माना जा रहा है कि संजय नांरग ने इन सभी राज़ को मिटाने के लिये सुप्रीम कोर्ट से बंगले को खाली करने के लिये तीन माह का समय मांगा था।

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