सड़क हादसों पर लोक निर्माण विभाग पर भड़के मुख्यमंत्री
राजपुर रोड सड़क हादसे में दो युवतियों की मृत्यु पर मुख्यमंत्री ने जताया गहरा दुःख
देहरादून : मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने लोक निर्माण विभाग की कार्यशैली पर नाराजगी व्यक्त करते हुए रविवार को राजपुर रोड पर सड़क हादसे में दो युवतियों की मृत्यु पर गहरा दुःख जताया है। उन्होंने लोक निर्माण विभाग के प्रमुख अभियन्ता को निर्देश दिये कि प्रदेश भर में सड़कों पर हुए गड्डो को तुरंत भरने के निर्देश दिए हैं । उन्होंने कहा गड्डों में पानी भरने से हादसों की आशंका ज्यादा रहती है। इसलिए यह सुनिश्चित करें कि मुख्य मार्ग गड्डा मुक्त हों। गड्डों की स्थायी मरम्मत तक उनका ट्रीटमेंट इस तरह से किया जाय जिससे बरसात में जनता को कोई परेशानी आवागमन में न हो। ’उन्होने अभी तक इस दिशा में लोक निर्माण विभाग की कार्यशैली पर नाराजगी व्यक्त भी की।
उन्होने मुख्य सड़कों पर जल भराव को भी गंभीरता से लेते हुए पानी की निकासी के लिए उचित कदम उठाने के निर्देश दिए। इसके लिए जिला प्रशासन और स्थानीय निकायों से तालमेल कर इस समस्या का निवारण करें। पहाड़ो में भारी बारिश को देखते हुए आपदा से निपटने के लिये जिलाधिकारियों को और एसडीआरएफ की टीमों को अलर्ट पर रहने के निर्देश भी दिए हैं।
गौरतलब हो कि राजधानी की बदहाल सड़कों में मौजूद ‘सरकारी गड्ढे’ बीते चार साल में 446 जिंदगियां लील चुके हैं। जबकि 500 से ज्यादा लोग इनकी वजह से महीनों अस्पताल में कराहते रहे और इनमें से कई को तो दिव्यांगता के रूप में जीवन भर का दर्द मिला। यह चौंकाने वाले आंकड़े यातायात पुलिस के सर्वे में प्राप्त हुए हैं।
राजधानी की सड़कों के ये गड्ढे कितने खतरनाक हैं, इसकी बानगी बीते दिन रविवार को राजपुर रोड पर हुए सड़क हादसे के रूप में फिर सामने आ गई। हालांकि, जिम्मेदारों की नींद अब भी नहीं टूटी है। गंभीर तो यह कि यातायात पुलिस ने संबंधित विभागों को दो माह पहले मई में ही गड्ढों को लेकर सचेत किया था, लेकिन उन्हें भरना तो दूर जिम्मेदारों ने उनका मुआयना करना भी जरूरी नहीं समझा।
यातायात पुलिस ने दून में लगातार बढ़ रहे सड़क हादसों को देखते हुए बीते दिनों वर्ष 2013 से 2016 के बीच हुए सड़क हादसों के कारणों की पड़ताल की। जिसमें पता चला कि दून में इस दरमियान कुल 1248 सड़क हादसे हुए। जिनमें 565 लोगों की मौत हुई और 1000 से ज्यादा घायल हो गए। पड़ताल में जो चौंकाने वाली बात सामने आई, वह यह थी कि इनमें से 967 हादसे चालक की गलती से नहीं बल्कि सड़कों पर मौजूद खामियों की वजह से हुईं।
इन हादसों में 444 लोगों की मौत हुई और रविवार को दो बालिकाओं की मौत के बाद यह आंकड़ा 446 पहुंच गया। यह खामियां किसी और की नहीं बल्कि सरकारी विभागों की देन हैं। कहीं अंधे मोड़ हादसे की वजह बने तो कहीं स्पीड ब्रेकर। इसके अलावा डिवाइडर न होने और जगह-जगह बने गड्ढों की वजह से भी कई लोग असमय काल का ग्रास बन गए। यातायात पुलिस ने पीडब्ल्यूडी समेत सभी संबंधित विभागों को हादसों के आंकड़ों के साथ गड्ढों को भरने के लिए भी कहा था, लेकिन उनके कानों पर जूं तक नहीं रेंगी।