सभी शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं का लगा रहा तांता
बाबा केदार के धाम में मनाया गया अन्न्कूट मेला
रुद्रप्रयाग । श्रावण मास के चौथे सोमवार के अवसर पर शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। केदारनाथ में प्रातः ब्रम्हबेला पर भगवान शिव का जलाभिषेक कर ब्रम्हकमल के फूल को अर्पित किया गया। केदारनाथ में पहुंचे तीर्थ यात्रियों ने भी बाबा केदार का महाभिषेक कर पुण्य अर्जित किया। वहीं दूसरी ओर जिले के सभी शिव मंदिरों में दिन भर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा।
सावन के चौथे सोमवार के अवसर पर केदारनाथ में प्रातः ब्रम्हबेला से ही बाबा केदार के दर्शनों एवं महाभिषेक करने के लिये श्रद्धालु पहुंचने लगे। तीर्थ पुरोहितों की ओर से भगवान केदारनाथ का महाभिषेक किया गया। इस दौरान केदारनाथ में मौजूद सभी श्रद्धालुओं ने बाबा को ब्रम्हकमल का पुष्प अर्पित किया। श्रद्धालु बाबा केदार को जल अर्पित करने के लिये सुबह से ही लाइन में खड़े हो गये थे। केदारनाथ के वरिष्ठ तीर्थ पुरोहित उमेश पोस्ती ने बताया कि श्रावण माह के चौथे सोमवार को बाबा केदार का महाभिषेक करने के साथ ही विशेष-पूजा-अर्चना की गई। उन्होंने बताया कि तीर्थ पुरोहितों की ओर से पूजा की सभी तैयारियां पूर्व से ही की गई थी।
वहीं विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी, शिव पार्वती विवाह स्थल त्रियुगीनारायण, भगवान केदारनाथ का शीतकालीन गददीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर, द्वितीय केदार भगवान मदमहेश्वर, तृतीय केदार तुंगनाथ, नारायणकोटी मंदिर समूह, कोटेश्वर, उमरा नारायण, भगवान रूद्रनाथ मंदिर सहित अन्य शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रही। इधर, प्रातः से ही अगस्त्यमुनि स्थित श्री अगस्त्य मन्दिर में शिवभक्तों की भारी भीड देखने को मिली। भक्तों ने जल, बिल्वपत्र, और पुष्पों से शिव की पूजा अर्चना कर अपने परिवार के कल्याण की कामना की। इस अवसर पर मन्दिर के मठाधिपति पंडित अनसूया प्रसाद बैंजवाल द्वारा विशेष तैयारी की गई थी। उन्होंने बताया कि भगवान शंकर साधारण पूजा पाठ से सहज ही प्रसन्न होने वाले देवता हैं। पुराणों के अनुसार श्रावण मास में शिवलिंग पर प्रतिदिन बिल्व पत्र अर्पित करने से मनुष्य के तीन जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं। श्रावण मास में शिवसाधना करने से धन धान्य, संतान व शान्ति की प्राप्ति होती है तथा जीवन को रोग व कष्टों से मुक्ति मिलती है। इसके साथ ही गंगतल महादेव, शाणेश्वर महादेव सिल्ला आदि शिवालयों में भी प्रातः से शिव का अभिषेक करने वाले शिवभक्तों की भीड़ लगी रही।
वहीँ द्वादश ज्योर्तिलिंगो में शुमार बाबा केदारनाथ तथा छोटा केदार के रूप में विख्यात विश्वनाथ मंदिर में अन्नकूट मेला भव्य रूप से मनाया गया। इस दौरान सैकड़ों शिव भक्तों ने भोले की चार प्रहर पूजा कर भक्तों को प्रसाद भी वितरित किया। गुप्तकाशी स्थित विश्वनाथ मंदिर को मंदिर समिति तथा स्थानीय भक्तों द्वारा फूल मालाओं से सजाया गया।
रविवार को देर शाम भक्तों द्वारा शिवलिंग को पुष्प चन्दन से सजाया गया। प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को रात्रि के चौथे प्रहर में भक्तों द्वारा नये अन्न चांवल का भोग लगाया गया। वेद मंत्र के साथ ही चांवलों से निर्मित भात द्वारा त्रिकोणीय लिंग को ढकाया गया, इसके साथ ही वेद पाठियों द्वारा रूद्रष्टध्यायी की ऋचाओं द्वारा भगवान शिव की पूजा अर्चना की गई, इसके साथ ही स्थानीय भक्त मण्डली द्वारा शंकर के भजन गाये गये। सुख, समृ़द्ध तथा हरियाली की कामना के लिए केदारनाथ तथा विश्वनाथ मंदिर में भारी श्रद्धालुओं की मौजूदगी में भोले के जयकारों के बीच भतूज मेले में भगवान शंकर को नये अन्न का भोग लगाया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से सबके घर में सुख वैभव का वास होता है और सभी के घर अन्न और धन से भरे होते हैं। ब्रह्म बेला पर इस भात को निकालकर जल में विसर्जित किया गया। मेले के पीछे यह भी तर्क दिया जाता है कि अन्न में सूक्ष्म मात्रा में विष का अंश रहता है। प्रभु को चढ़ाने के बाद विष का प्रभाव समाप्त हो जाता है और खाने योग्य बन जाता है।