पूर्व मुख्यमंत्रियों को हाई कोर्ट के छह महीने में किराया जमा करने के आदेश

- रुलक ने दायर की थी जनहित याचिका
- पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन आवास आवंटन अवैध
- विजय बहुगुणा पर कोर्ट ने की तख्त टिप्पणी
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
नैनीताल । गैरसरकारी संस्था रूरल लिटिगेशन एंड एंटाइटलमेंट केन्द्र (रुलक) की जनहित याचिका पर फैसला देते हुए नैनीताल हाईकोर्ट ने उत्तराखंड ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को छह माह के भीतर बकाया किराया जमा करने का महत्वपूर्ण आदेश पारित किया है। वहीं नैनीताल हाईकोर्ट ने उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्रियों के आजीवन आवास आवंटन को पूरी तरह से अवैध और असंवैधानिक ठहराते हुए पूर्व मुख्यमंत्रियों को छह माह के भीतर बाजार दर से बकाया किराया जमा करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने मुख्यमंत्रियों द्वारा यह व्यवस्था लिए जाने को बेहद आपत्तिजनक बताते हुए इस प्रथा पर गहरी नाराजगी जताई। ऐसा नहीं करने पर उन्हें अवमानना का सामना करना पड़ेगा। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने इस याचिका पर बीते 26 फरवरी को सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था।
पूर्व में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक व विजय बहुगुणा की ओर से बताया गया था कि उन्होंने सरकार की ओर से निर्धारित धनराशि जमा कर दी है जबकि पूर्व मुख्यमंत्री व भाजपा के सांसद भगत सिंह कोश्यारी की ओर से धन के अभाव में निर्धारित राशि जमा करने में असमर्थता जतायी गयी थी। याचिकाकर्ता की ओर से जोर दिया गया था कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को असंवैधानिक तरीके से आवासों का आवंटन किया गया है। उप्र की पूर्व मुख्यमंत्री आवास आवंटन नियमावली 1997 को उच्चतम न्यायालय ने असंवैधानिक घोषित करार कर दिया था। साथ ही कहा गया था कि सन् 2004 में जारी आवास आवंटन संबंधी शासनादेश भी पूर्व मुख्यमंत्रियों पर लागू नहीं होता है।
वहीं याचिकाकर्ता के अधिवक्ता कार्तिकेय हरि गुप्ता ने बताया कि कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि उन्होंने बतौर मुख्यमंत्री खुद ही अपने लिए आजीवन बंगले की व्यवस्था कर ली जो कि बेहद गंभीर मसला है साथ ही कार्यपालिका द्वारा यह व्यवस्था के दिया जाना कार्यपालिका की कार्यप्रणाली को भी दर्शाता है।
वहीं याचिकाकर्ता ने कोर्ट से कहा कि किराए के अलावा पूर्व मुख्यमंत्रियों को बिजली, पानी, पेट्रोल सहित अन्य सुविधाओं पर भी सरकार ने 13 करोड़ की राशि खर्च की है। याचिका में इसकी वसूली की मांग भी की गई। कोर्ट ने निर्देश दिए कि सरकार 4 माह के भीतर इन सुविधाओं पर खर्च राशि का पूरा ब्यौरा इन पूर्व मुख्यमंत्रियों को उपलब्ध करवाए और उसके 6 माह के भीतर ये पूर्व मुख्यमंत्री इस राशि को भी चुकाएं। राशि न चुकाने पर सरकार इसकी वसूली करे। जबकि पूर्व मुख्यमंत्री स्व. एनडी तिवारी का देहांत हो जाने के कारण कोर्ट ने बकाए की वसूली पर निर्देश न देते हुए कहा कि उनके वारिसों या संपत्ति से यह राशि वसूलने पर सरकार स्वयं ही निर्णय ले।
देहरादून की गैरसरकारी संस्था रूरल लिटिगेशन एंड एंटाइटलमेंट केन्द्र (रुलक) की जनहित याचिका दायर कर पूर्व मुख्यमंत्रियों भगत सिंह कोश्यारी, पं स्व. नारायण दत्त तिवारी, रमेश पोखरियाल निशंक, भुवन चंद्र खंडूड़ी व विजय बहुगुणा को सरकारी आवास आवंटित किये जाने का मामला उठाया गया था। जिन पर कुल 2.85 करोड़ रूपये की धनराशि बतौर किराया आंकी गयी थी। पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी पर 4757758 रूपये, स्व एनडी तिवारी पर 1,12,98182 रूपये, पूर्व सीएम डॉ रमेश पोखरियाल निशंक पर 40,95,560 रूपये, भुवनचंद्र खंडूड़ी पर 46,59,776 रूपये व पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा पर 37,50,638 रूपये की बकाया आंका गया है।