LAW & ORDERs

अस्थायी कार्मिकों के नियमितीकरण का रास्ता हाई कोर्ट ने किया बंद

  • हाई कोर्ट ने 2016 की नियमावली की रद्द 
  • सरकार के सामने एक और चुनौती आ खड़ी हुई

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

नैनीताल : उत्तराखंड के सरकारी महकमों में वर्षों से नियमितीकरण की बाट जोह रहे हजारों कार्मिकों को हाई कोर्ट से झटका लगा है। नैनीताल हाई कोर्ट ने 2013 की नियमितीकरण नियमावली के क्रियान्वयन पर रोक लगाते हुए सरकार को निर्देश दिए हैं कि वह इस नियमावली के अनुसार विभागों, निगम, परिषद व अन्य सरकारी उपक्रमों में कार्यरत अस्थाई कर्मियों को नियमित न करें। कोर्ट के फैसले के बाद इस नियमावली के अंतर्गत नियमित हुए हजारों कार्मिकों की नियमित नियुक्ति पर तलवार लटक गई है।इस निर्णय से सरकार के सामने एक और चुनौती आ खड़ी हुई है। 

नैनीताल जिला मुख्यालय के समीपवर्ती सौड़ बगड़ गांव निवासी नरेंद्र सिंह बिष्ट व अन्य ने याचिका दायर कर कहा था कि वह इंजीनियरिंग से डिप्लोमा होल्डर हैं और सरकार के अधीन अवर अभियंता पद पर नियुक्ति पाने की पूर्ण अर्हता रखते हैं। याचिका में नरेंद्र ने 2013 की नियमितीकरण नियमावली को भी चुनौती दी है। इसमें कहा गया है कि यह नियमावली सुप्रीम कोर्ट के उमा देवी व एमएल केसरी से संबंधित मामले में दिए गए निर्णय के विपरीत है। सरकार सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों को दरकिनार कर विभाग, निगम, परिषदों समेत अन्य सरकारी उपक्रमों में अस्थायी कार्मिकों को बिना चयन प्रक्रिया के नियमित कर रही है, जो पूरी तरह नियम विरुद्ध है।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता भगवत सिंह मेहरा ने कोर्ट को बताया कि हाल ही में उद्यान विभाग ने चाय विकास बोर्ड के अस्थायी कर्मियों को इस नियमावली के तहत नियमितीकरण की कार्रवाई आरंभ की है। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति रमेश चंद्र खुल्बे की खंडपीठ ने मामले को सुनने के बाद नियमितीकरण नियमावली-2013 के क्रियान्वयन पर फिलहाल के लिए रोक लगा दी।

हाई कोर्ट 2016 की नियमितीकरण नियमावली को भी निरस्त कर चुका है। 17 अप्रैल को हाई कोर्ट की एकलपीठ ने हिमांशु जोशी की याचिका पर सुनवाई करते हुए नियमितीकरण नियमावली-2016 निरस्त कर दी थी, जिसके बाद एकलपीठ के आदेश के खिलाफ विशेष अपील दायर की गई। 20 जुलाई को विशेष अपील भी खारिज हो चुकी है। याची के अधिवक्ता के अनुसार, ताजा फैसले के बाद दस अप्रैल 2006 के बाद दस साल पूरे कर नियमित हुए कार्मिकों का नियमितीकरण नियम विरुद्ध माना जाएगा। यहां बता दें कि राज्य के तमाम महकमों में हजारों संविदा, दैनिक, ठेका कर्मचारी कार्यरत हैं जो नियमितीकरण की बाटजोह रहे हैं ।

devbhoomimedia

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : देवभूमि मीडिया.कॉम हर पक्ष के विचारों और नज़रिए को अपने यहां समाहित करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह जरूरी नहीं है कि हम यहां प्रकाशित सभी विचारों से सहमत हों। लेकिन हम सबकी अभिव्यक्ति की आज़ादी के अधिकार का समर्थन करते हैं। ऐसे स्वतंत्र लेखक,ब्लॉगर और स्तंभकार जो देवभूमि मीडिया.कॉम के कर्मचारी नहीं हैं, उनके लेख, सूचनाएं या उनके द्वारा व्यक्त किया गया विचार उनका निजी है, यह देवभूमि मीडिया.कॉम का नज़रिया नहीं है और नहीं कहा जा सकता है। ऐसी किसी चीज की जवाबदेही या उत्तरदायित्व देवभूमि मीडिया.कॉम का नहीं होगा। धन्यवाद !

Related Articles

Back to top button
Translate »