यहाँ तो चौकीदार ही चोर हैं…….. !

- लोकसभा चुनाव तक भाजपा नेताओं की गिरफ़्तारी पर ब्रेक !
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून: सूबे के गरीब, निर्बल बच्चों के हक़ की छात्रवृति का पैसा डकारने वालों के खिलाफ चल रहे छात्रवृत्ति घोटाले में तमाम कॉलेजों के खिलाफ चल रही एसआइटी की जांच लोकसभा चुनाव के चलते धीमी कर दी गई है। क्योंकि इस मामले में भाजपा के दो बड़े नेताओं और उनके परिजनों तक जांच की आंच पहुँचने वाली थी और इनकी गिरफ्तारी की भी एसआईटी ने तैयारियां भी कर दी थी लेकिन ऐन मौके पर आलाकमान के हस्तक्षेप के बाद फ़िलहाल 11 अप्रैल तक इनकी गिरफ्तारी रोक दी गयी है। मामले का सबसे रोचक पहलू यह भी है कि ”मैं हूँ चौकीदार ” कार्यक्रम का एक राजनैतिक दल ने जिस व्यक्ति को संयोजक बनाया गया है वही छात्रवृति घोटाले का आरोपी भी बताया गया है , ऐसे में भाजपा के ” मैं हूँ चौकीदार ” अभियान उत्तराखंड में विवादों में आ सकता है।
दशमोत्तर छात्रवृत्ति घोटाले में दो मुकदमे दर्ज करने के बाद और लोकसभा चुनाव के चलते एसआइटी एक कदम भी आगे नहीं बढ़ सकी है। उत्तराखंड के तराई के इलाकों के 25 से ज्यादा प्राइवेट कॉलेज एसआइटी की रडार पर हैं। इनमें से कई कॉलेज के नाम 10 से 25 करोड़ रुपये तक छात्रवृत्ति हड़पने का आरोप है। सबसे रोचक बात तो यह है कि ” मैं भी चौकीदार हूँ” अभियान का जिस नेता को संयोजक बनाया गया है उस पर छात्रवृति मामले में गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है। ऐसे में मोदी का यह नारा कि ”मैं हूँ चौकीदार” उत्तराखंड में यह सन्देश देता प्रतीत हो रहा है कि यहाँ तो चौकीदार ही चोर हैं।
गौरतलब हो कि उत्तराखंड में करोड़ों के छात्रवृत्ति घोटाले में अभी तक हरिद्वार के कुछ कॉलेजों पर ही एसआइटी ने कार्रवाई की हैं। इनमें से भी कुछ कॉलेज के संचालक गिरफ्तार किए जा चुके हैं। हरिद्वार के रुड़की, लक्सर में संचालित कई कॉलेजों तक अभी एसआइटी की जांच तो नहीं पहुंच पायी है लेकिन ऐसे तमाम कॉलेज एसआईटी की जांच के दायरे में ही एसआईटी के पास इनके संचालकों की गिरफ्तारी के लिए पक्के सबूत भी हैं।
चर्चाएं आम हैं कि इनमें से कई ऐसे कॉलेज हैं जो राजनीतिक दलों से नाता रखने वालों के हैं। एक जानकारी के अनुसार देहरादून के प्रेमनगर, राजपुर, विकासनगर, डोईवाला आदि क्षेत्र में भी 25 से ज्यादा कॉलेज में करोड़ों की छात्रवृत्ति बांटी गई है।एसआइटी ने ऐसे कॉलेजों की जांच के लिए प्रेमनगर में एक मुकदमा दर्ज किया हुआ है। जांच के दायरे में आये इन छह कॉलेजों से छात्रवृति सम्बन्धी दस्तावेज भी मांगे जा चुके हैं।
एसआईटी ने डोईवाला में भी मेडिकल के छात्रों को फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर छात्रवृत्ति बांटने का मुकदमा दर्ज किया हुआ है। इस मुकदमे की जांच भी आगे नहीं बढ़ी है। सूत्रों के अनुसार हरिद्वार में हुई गिरफ़्तारी की कार्रवाई के बाद अब कॉलेज संचालक पूरे मामले को दबाने के लिए राजनैतिक दलों के संरक्षण में है और इनको फिलहाल 11 अप्रैल तक का समय भी मिल चुका है। सूत्रों का कहना है कि सत्ताधारी दल यह नहीं चाहता है कि मतदान से पहले उनके इन नेताओं या उनके परिजनों की गिरफ़्तारी हो इससे उसे पार्टी की छवि पर प्रतिकूल असर पड़ने आ अंदेशा है यही कारण है कि 11 तक अब इनकी गिरफ़्तारी नहीं होगी ! अब आप ही अपना दिमाग लगाइये कि उत्तराखंड में कहीं चौकीदार ही तो चोर नहीं?