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वैश्विक कम्युनिज्म की द्विशतकीय दुर्गति … 

साम्यवादियों ने सौ वर्ष बीतने पर कभी नहीं बनाई कोई भारतीय नीति 

यही भारतीय कम्युनिस्टों के पतन का सबसे प्रमुख कारण

डा. राजेश्वर उनियाल
आज कार्ल मार्क्स के जन्म को 202 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं तथा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का भी यह शतकीय वर्ष है । लेकिन जिस प्रकार से आज दुनिया के लिए कार्ल मार्क्स कालातीत हो गए हैं, ठीक उसी प्रकार से भारत में भी कम्युनिस्ट क्रांति अब केवल किताबों में या कांग्रेस के संरक्षण में पले बढ़े कुछ पत्रकार, साहित्यकार या विद्वतजन तक बची हुई है। बाकी कभी मजदूरों की पार्टी व कभी सड़कों पर क्रांति करने वाली पार्टी, अब सोशल मीडिया व  कुछ घराना पत्रकारिता व  चैनलों के अतिरिक्त दिन के उजाले में भी कहीं नहीं दिखती ।
जिस प्रकार से पहले दुनिया में कम से कम रूस, चीन व क्यूबा  में तो कम्युनिज्म था, ठीक उसी प्रकार से भारत में भी पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा व केरल में कम्युनिज्म बचा था । लेकिन इसका वैश्विक धरातल तथा भारतीय राजनीतिक जीवन में निरंतर पतन होता रहा । शायद कम्युनिस्टों ने कभी इसका मंथन ही नहीं किया ।
उनके चिंतन का सारा समय तो अमेरिकन शराब पीते हुए अमेरिका को कोसना तथा मुर्गे की टांग चबाते हुए भूख, गरीबी व मजदूरों की चिंता तथा सत्ता का राग दरबारी गाने व आर एस एस की बुराई करने में ही बीत गया ।  वैसे कई  बार इनपर दया भी आती है । अब दो महीने से ये गरीबों को भूख व बेरोजगारी आदि का माहौल बना रहे थे, लेकिन शराब की दुकानें खुली नहीं कि इनकी सर्वहारा की मेहनत बेकार हो गई ।
भारतीय कम्युनिज्म भी कार्ल मार्क्स की तरह सदैव अनिश्चितता में व्यतीत रहा । सन् 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन का विरोध कर अंग्रेजी सल्तनत का समर्थन करना, 1964 में रूस व चीन के कारण अपना विभाजन, 1975 में आपातकाल का समर्थन और 2004 में पहले कांग्रेस को समर्थन फिर वापसी और  इनकी दक्षता इतनी कि पैंतीस वर्ष तक पश्चिम बंगाल में निरंतर सत्ता में रहकर भी वहां की दुर्गति तथा मजदूरों व किसानों की पार्टी का दंभ भरने वाली पार्टी का सिंगूर एवं नंदीग्राम में नरसंहार,  मार्क्सवादियों का असली चेहरा बता देता है ।
केवल रूस व चीन के हित पर भारतीय राजनीति की दिशा तय करने वाले साम्यवादियों ने सौ वर्ष बीतने पर कभी कोई भारतीय नीति नहीं बनाई और यही भारतीय कम्युनिस्टों के पतन का सबसे प्रमुख कारण हैं ‌और बची खुची पहचान टुकड़े गैंग व अवार्ड वापसी गैंग ने इसकी देशद्रोही वाली असली पोल भी खोल दी है,, हालांकि इनका पतन स्वर्णिम भारत के भावी निर्माण हेतु प्रसन्नता की बात  है ।

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