UTTARAKHAND
उत्तराखंड में भी प्रॉपर्टी की जीआईएस यानी जियोग्राफिक इंफारमेशन सिस्टम मैपिंग शुरू।
हैदराबाद और शिमला जैसे शहरों की तर्ज पर उत्तराखंड में भी प्रॉपर्टी की जीआईएस यानी जियोग्राफिक इंफारमेशन सिस्टम मैपिंग शुरू हो चुकी है। पहले चरण के तहत चार शहरों देहरादून, हरिद्वार, हल्द्वानी और रुद्रपुर में मैपिंग अंतिम दौर में है। यहां कुछ कैंट एरिया में सर्वे होना बाकी है। इसके बाद पहले चरण में 10 और शहरों की जीआईएस मैपिंग होगी, जिसमें सभी निगम और जिला मुख्यालयों की पालिकाएं (जैसे पिथौरागढ़, अल्मोड़ा) भी शामिल हैं। मैपिंग से न सिर्फ भवनों की लोकेशन पता चलेगी बल्कि अवैध निर्माण और प्रॉपर्टी टैक्स चुराने वालों की भी जानकारी मिल जाएगी। इसमें सरकारी भूमि पर होने वाले कब्जों का भी पता लग सकेगा। यह सर्वे वर्ल्ड बैंक के प्रोजेक्ट से हो रहा है। दूसरे चरण में सभी नगर पंचायतों में भी हाउस टैक्स के लिए सर्वे किया जाएगा।
प्रदेश में अभी प्रापर्टी टैक्स निर्धारण की अलग-अलग प्रणालियां हैं। दून सहित बड़े निकाय जहां स्वकर निर्धारण की प्रणाली अपना चुके हैं। वहीं, अन्य निकाय कारपेट एरिया से टैक्स वसूल रहे हैं। बावजूद इसके किसी भी निकाय में हाउस टैक्स की वसूली उम्मीदों के मुताबिक नहीं हो पा रही है। जबकि प्रापर्टी टैक्स निकायों की कमाई का अहम आधार है। टैक्स निर्धारण की वर्तमान प्रणाली के तहत इसमें बड़े पैमाने पर राजनीतिक हस्तक्षेप भी होता है, लेकिन पूरी प्रक्रिया तकनीकी आधारित होगी तो इसमें छेड़छाड़ संभव नहीं होगी।
योजना के तहत निकाय क्षेत्र का जीपीएस मैप तैयार कर, सभी आवासीय, व्यावसायिक भवनों की जियो टैगिंग की जाएगी। सर्वे के दौरान सभी भवनों को एक यूनिक आईडी नंबर युक्त स्मार्ट कार्ड दिया जाएगा। इस आईडी में भवन की फोटो, आकार, कवर एरिया, मकान मालिक का नाम, मकान का नंबर सहित सभी विवरण दर्ज होगा। भविष्य में लोग इस आईडी से ही हाउसटैक्स ऑनलाइन दर्ज करा सकेंगे।
प्रदेश में भी प्रॉपर्टी कीजीआईएस यानी जियोग्राफिक इंफारमेशन सिस्टम मैपिंग शुरू हो चुकी है। पहले चरण के तहत देहरादून, हरिद्वार, हल्द्वानी और रुद्रपुर में मैपिंग अंतिम दौर में है।इसके बाद पहले चरण में 10 और शहरों की जीआईएस मैपिंग होगी। – अशोक कुमार पांडेय, अपर निदेशक, शहरी विकास निदेशालय