UTTARAKHAND

उत्तराखंड शासन ने लिये उधमसिंह नगर जिले के 15 मुकदमे वापस

वापस लिए गए 15 मुकदमों में से सात मुकदमें अरविन्द पांडेय के विरूद्ध हुए वापस

अपराधोें में एस.सी.एस.टी. एक्ट के 2 तथा 7 सी एल एक्ट के 8 अपराध भी शामिल

देवभूमि मीडिया ब्यूरो

देहरादून। उत्तराखंड शासन ने नवम्बर 2018 से दिसम्बर 2019 तक 14 माह की अवधि में उधमसिंह नगर जिले के 15 अपराधिक मुकदमेें वापस ले लिये जिसमें 7 मुकदमें अरविन्द पांडेय के विरूद्ध हैं। यह खुलासा सूचना अधिकार के अन्तर्गत संयुक्त अभियोजन निदेशालय कार्यालय द्वारा उपलब्ध करायी गयी सूचना से हुआ।

काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन ने अभियोजन निदेशालय से उत्तराखंड सरकार द्वारा अपराधिक मुकदमेें वापस लेनेे के सम्बन्ध में सूचना मांगी थी। इसके उत्तर में संयुक्त अभियोजन निदेशक कार्यालय केे लोक सूचनाधिकारी/सहायक अभियोजन अधिकारी उधमसिंह नगर ने नवम्बर 2018 से दिसम्बर 2019 तक शासन द्वारा वापस लिये गये मुकदमें की सूची उपलब्ध करायी हैै।

श्री नदीम को उपलब्ध सूची के अनुसार इसमें सर्वाधिक 7 मुकदमें अरविन्द पाण्डे के विरूद्ध दर्ज है जबकि 1-1 मुकदमा ओमवीर सिंह, कन्हैय्या लाल, बलविन्दर सिंह, रवीन्द्र बजाज, नरेश कुमार, भारत भूषण आदि तथा नरेन्द्र मानस के विरूद्ध शामिल हैं। 4 मुकदमें ऐसे भी हैै जिनमें अरविन्द पाण्डेे के साथ अन्य व्यक्तियोें के नाम शामिल है इन्हेें अरविन्द पाण्डेे आदि केे विरूद्ध दर्शाया गया है।

अरविन्द पाण्डे तथा अरविन्द पाडे आदि के विरूद्ध शासन द्वारा वापस लेनेे का आदेश किये गये मुकदमों में जसपुर थानेे का मुकदमा 139/2012, बाजपुर का 238/2013, 21/2015, 158/2014, 294/2011 रूद्रपुर का 139/2008 तथा गदरपुर थाने का 152/2015 शामिल है।

ओमवीर सिंह का खटीमा थाने में दर्ज 161/2016, कन्हैैय्या लाल का किच्छा का 359/2013, बलविन्दर सिंह का बाजपुर थाने का 121/2017, रविन्द्र बजाज का गदरपुर थाने का 65/2013, गुरमीत सिंह का रूद्रपुर थाने का 286/2013, नरेश कुमार का काशीपुर थाने का 291/2014, भारत भूषण आदि का रूद्रपुर थाने का 147/2010 तथा नरेन्द्र मानस पर काशीपुर थाने का मुकदमा संख्या 178/2013 शामिल हैै।

श्री नदीम को उपलब्ध सूचना के अनुसार जिन अपराधों के मुकदमों को वापस लेने का आदेश दिया गया है इसमें हत्या का प्रयास, लूट, वर्गों में विद्वेष फैलाने तथा सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाने तथा अनुसूचित जाति व जनजाति उत्पीड़न सम्बन्धी गंभीर अपराध भी शामिल हैैं।

मुकदमा वापसी वाले अपराधों में सर्वाधिक भारतीय दंड संहिता की धारा 147(बलवा) के 13, धारा 341 (रास्ता रोकना) व 353 (लोक सेवक पर हमला व बल प्रयोेग) के 7-7, धारा 427 (सम्पत्ति को नुकसान) व 332 (लोक सेवक को चोट पहुंचाना) के 6-6 धारा 504 (अपमान करना) के 5, धारा 148 (खतरनाक हथियारों के साथ बलवा) 149(अवैैध भीड़ द्वारा अपराध), 323 (चोट पहुुंचाना) व 506 (धमकी देेना) के 4-4, धारा 153ए(वर्गों के बीच शत्रुता फैैलाना) 333(लोक सेवक को गंभीर चोट) के दो अपराध शामिल हैैं।

इसकेे अतिरिक्त धारा 109 (अपराध को उकसाना), 153 (बलवे को उकसाना) 171च(चुनाव में अवैैध प्रभाव डालना), 186(लोक सेवक के कार्योें में बाधा डालना) 295ए (धार्मिक भावनाओं का अपमान), 307(हत्या का प्रयास), 325 (गंभीर चोट) 336(मानव जीवन को खतरनाक कार्य), 393 (लूट का प्र्रयास), 395 (डकैैती), 412 (डकैती की सम्पत्ति को प्राप्त करना), 436 (घर आदि मेें आग लगाना) तथा 511 (अपराध का प्रयास करना) के एक-एक अपराध शामिल हैै।

इन अपराधोें में एस.सी.एस.टी. एक्ट के 2 तथा 7 सी एल एक्ट के 8 अपराध भी शामिल है।

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