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दुश्मन मुल्क चीन को प्रसन्न करने जैसा है आल वेदर रोड पर अब तक का निर्णय

पीएम नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट आल वेदर रोड अब दो लेन से कम होकर रह जाएगी सिर्फ डेढ़ लेन

राजेंद्र जोशी  
आखिर उत्तराखंड के विकास कार्यों को लेकर अचानक कथित पर्यावरणविद ही क्यों सक्रिय होते हैं बात चाहे उत्तराखंड में बने टिहरी बाँध या निर्माणाधीन अन्य जल विद्युत परियोजनाओं की हो या सड़कों या अन्य पर्यटन से जुड़ी योजनाओं की, यहां हर बार विकास कार्यों में व्यवधान ही डाले जाते रहे हैं,जबकि ऐसे कथित पर्यावरणविदों का उत्तराखंड से कोई लेना देना नहीं है,चर्चा है कि ऐसे कथित पर्यावरणविद मात्र अपने को चमकाने और पुरस्कार पाने के लिए ही इस तरह के व्यवधान डालते रहे हैं।
देहरादून : नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) और सुप्रीम कोर्ट ने जो आदेश चार धाम यात्रा के आल वेदर रोड़ प्रोजेक्ट पर दिया है। इससे कहीं न कहीं दुश्मन मुल्क चीन प्रसन्न ही होगा। जी हां, आदेश के बाद प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट आल वेदर रोड अब दो लेन से कम होकर सिर्फ डेढ़ लेन की हो जाएगी। पहाड़ी इलाके में डेढ़ लेन की सड़क जबकि दुश्मन मुल्क चीन पहाड़ों में बुलेट ट्रेन दौड़ाने पर काम कर रहा है। सवाल यह है कि चीन से भविष्य में युद्ध होता है, तो क्या उत्तराखंड की इन डेढ़ लेन की सड़क पर युद्ध की स्थिति में भारतीय सेना के तोपखाने, भारी टैंक और भारी मालवाहक वाहन आसानी से तय समय पर पहुंच पाएंगे ? इसका जवाब राजनीतिक विशेषज्ञ न में देते हैं। इस लिहाज से तो चीन भारत की कई किलोमीटर सीमा पर प्रवेश पा जाएगा। ऐसे में यह कहने में कोई संकोच नहीं होगा कि यह आदेश दुश्मन मुल्क चीन को प्रसन्न करने जैसा ही है।

ऐसे वक्त आदेश देना केंद्र सरकार को नीचा दिखाना जैसा तो नहीं

हैरानी की बात तो यह है कि उत्तराखंड में आल  वेदर रोड प्रोजेक्ट का 70 फीसदी से अधिक का काम हो चुका है, कुछ एक इलाकों में इस आदेश का असर देखने को मिलेगा। चारधाम के कपाट खुलते ही देशभर के साथ विदेशी सरजमीं से यहां श्रद्धालु दर्शनार्थ पहुंचते हैं। पहाड़ी रूट और गड्ढ़ों से भरी सड़कें होने के कारण श्रद्धालुओं को पूरे रास्ते परेशानियां झेलनी पड़ती थी। इससे कहीं न कहीं राज्य की गलत छवि बनती थी और इससे पर्यटन पर भी असर पड़ता था, जो कि उत्तराखंड के लोगों का मुख्य आर्थिक संसाधन का जरिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यात्रियों को किसी भी रूट पर दिक्कतें न हो, यहां आल वेदर रोड की सौगात दी थी। इसके तहत 12 मीटर की सड़क दो लेन में बननी थी। मगर, आठ सितंबर को आए आदेश के बाद अब सड़क 5.5 मीटर की सड़क डेढ़ लेन की होकर रह जाएगी। जब प्रोजेक्ट का ज्यादातर काम हो चुका है तो ऐसे समय पर एनजीटी व सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश आना एक तरह से केंद्र सरकार को नीचे दिखाने जैसा ही है।

क्या है सुप्रीम कोर्ट का आल वेदर  रोड प्रोजेक्ट को लेकर आदेश

आठ सितंबर को आए सुप्रीम कोर्ट के आदेश में ऑलवेदर रोड प्रोजेक्ट के तहत राष्ट्रीय राजमार्गों की चौड़ाई अब 2018 में आये सड़क एवं परिवहन मंत्रालय के सर्कुलर के अनुसार करनी होगी। अब ऑल वेदर रोड प्रोजेक्ट में सड़क की चौड़ाई को साढ़े 5 मीटर विद प्योर शोल्डर ब्लैक टॉप यानी डेढ़ लेन रखना होगा।

ऐसे समझें आदेश के बाद होने वाले परिवर्तन को

ऑलवेदर रोड प्रोजेक्ट के तहत दो लेन सड़कें बनाई जा रही थी। तकनीकी पहलू की बात करें तो अब तक 12 मीटर रोड फॉर्मेशन ब्रिथ यानी 12 मीटर सड़क की कटिंग होनी थी। इस पर 10 मीटर ब्लैक टॉप शोल्डर यानी पक्की पेंटिंग वाली आठ से दस मीटर की सड़क बनाई जा रही थी। मगर, अब रोड फॉरमेशन ब्रिथ घटकर 9.5 से 10 मीटर के आसपास रह जाएगी। जिस पर ब्लैक टॉप 5.5 मीटर किया जाएगा। इसे इंजीनियरिंग की भाषा मे डेढ़ लेन की सड़क विद ब्लैक टॉप कहा जाता है। आदेश के बाद अब बनने वाली सड़क में तकरीबन ढाई से तीन मीटर चैड़ाई का फर्क होगा।

तो 175 किमी की सड़कें रह जाएंगी डेढ़ लेन की

चारधाम यात्रा रोड प्रोजेक्ट में करीब 175 किलोमीटर की सड़क पर काम होना शेष है, जहां पर सड़क की प्रस्तावित चैड़ाई दो लेन से डेढ़ लेन की जाएगी। यह सड़कें एनएच 58 जो कि बदरीनाथ की तरफ जाती है और जोशीमठ से आगे बदरीनाथ तक सड़क की चैड़ाई पर असर पड़ेगा. गंगोत्री की तरफ जाने वाले मार्ग पर उत्तरकाशी से गंगोत्री तक और यमुनोत्री की तरफ जाने वाले मार्ग पर धरासू से यमुनोत्री तक कोर्ट के फैसले के बाद सड़क की चौड़ाई पर असर पड़ेगा।

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