भू-दृश्य संरक्षण के जरिये वन्य जैवविविधता को दृढ़ बनाने पर दिया जोर
19 वें सी.एफ.सी. का हुआ समापन
एफआरआई में आयोजित पांच दिवसीय राष्ट्रमंडल वानिकी सम्मेलन संपन्न
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून । एफआरआई में आयोजित पांच दिवसीय राष्ट्रमंडल वानिकी सम्मेलन के समापन के अवसर पर प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों एवं प्रतिभागियों को स्वागत करते हुए डा0 सविता, निदेशक, वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून ने वैज्ञानिक विचार विमर्श से निकल कर आयी 19 वें सी.एफ.सी. कार्यवाही का विवरण एवं संस्तुतियों पर संक्षिप्त विवरण दिया। डा0 सविता ने कहा कि सम्मेलन का प्राथमिक उद्देश्य विश्व में व्याप्त पर्यावरणीय संकट, संबधित संसाधनों तथा विविध मूल्यों बढ़ी हुई वैश्विक आकांक्षाओं हेतु हमारे वनों के सतत् प्रबंधन हेतु भावी दिशा देने के अतिरिक्त व्यापक रूप से वन तथा जन को प्रभावित कर रहे वास्तविक मुद्दों पर जानकारी देकर संबोधित करना है।
सतत् विकास उद्देश्यों तथा वनों के संदर्भ में बढ़ रही पर्यावरणीय चुनौतियों तथा बढ़ रही वैश्विक आकांक्षओं पर जानकारी देना है। सम्मेलन में इस बात की अनुंशसा की है कि जब इन्हें परितंत्र तथा भू-दृश्य प्रबंधन तथा अपनाये जा रहे प्रबंधन में कार्यन्वित किया जाता है तब विभिन्न क्षेत्रों में वानिकी आवश्यकताओं हेतु संगठित प्रयासों की आवश्यकता है। वन नीतियो के अन्य क्षेत्रों के साथ जोड़ने में नये प्रयास आवश्यक होगें। सहभागिता प्रयासों में व्यय, हितधारकों के अर्थपूर्ण सहभागिता, प्रभाव सहयोग, जैवविविधता संकट की मुख्य रूप से संबोधन करने, उचित शासन कार्यप्रणाली विकसित करने, परितंत्र एवं समुदाय के लचीलेपन का मजबूत करने हेतु सीधा कार्य एवं शोध हेतु भी नये प्रयासों की आवश्यकता होगी, विविध सत्रों, व्यापक विचार-विमर्श से व्यापक अनुशंसायें प्राप्त हो हुई है जिसमें वन प्रबंधन प्राथमिकताओं की पुर्नव्याख्या, एकीकृत प्रयास तथा क्षमता निर्माण हेतु तैयारियों, हितधारक, समुदाय, सहभागी तथा सहयोगियों हेतु निम्नीकृत वन व्यय के वन योजनाओं, संरक्षित क्षेत्रों का अनुरक्षण, वन तथा परितंत्रीय संरक्षण की तैयारियों हेतु वन योजना, विधि तथा वन योजना कार्यनीति आवश्यक होगी।
डा. एस.सी.गैरोला, महानिदेशक, भारतीय वानिकी अनुसंधान संस्थान एवं शिक्षा परिषद ने कहा कि वैश्विक आकांक्षाओं की अच्छी समझ प्रदान की है। यह वानिकी शोध, शिक्षा तथा विस्तार, भावी मार्ग प्रशास्त होने तथा किये जा रहे प्रयासों में प्राथमिक आवश्यकताओं को पहचानने, वन तथा 2030 कार्य सूची के सतत् विकास तथा वनों के मध्य समन्वय से प्राप्त हुआ है। उन्होनें आगे कहा कि सम्मेलन की संस्तुतियों यह बात सामने आती है कि वन संसाधन राष्ट्रीय एवं वैश्विक नीति चर्चाओं में है तथा उन्हें किसी भी स्तर पर नकारा नही जा सकता है। उन्होनें कहा कि राष्ट्रमंडल देशों के जरिये वनों के संरक्षण एवं सुरक्षा तथा अन्य प्राकृतिक पारितंत्रीय की ओर महत्वपूर्ण योगदान मिला है।
श्री सिद्धांत दास, महानिदेशक तथा विशेष सचिव, पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार ने कहा कि सतत् विकास लक्ष्यों तथा उसमें योगदान की प्राप्ति हेतु वैश्विक वनों से विश्व की अांकाक्षाओं उभरी है। विगत चार दशकों में वानिकी क्षेत्र में ेबवचम निश्चित रूप से कई गुना बढ़े है। बहुत अधिक जैवीय दवाब के बावजूद देश सुरक्षित क्षेत्रों, उनके रक्षा सुधार प्रबंधन, सुदृढ़ीकरण का नेटवर्क स्थापित करने में सफल हुआ है। भारत ने प्रमुख प्रजातियों जैसे बाघ, हाथी, हिम तेंदुआ, ग्रेट इंडियन वसटर्ड, गंगेटिक डॉलफिन तथा डुगोंग के संरक्षण तथा अनुकूलन के प्रयासों में आशातीत सफलता पायी है।
श्री रजनी रंजनी रशमी, विशेष सचिव, भारत सरकार, पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार ने आशा व्यक्त की कि 19 वीं सी.एफ.सी. की संस्तुतियां प्राथमिक संरक्षण तथा विकास पहुलओं की ओर अधिक इच्छित प्रभाव प्रदान करने में राष्ट्रमंडल देशों का मदद करेगी तथा वनों के सतत् विकास प्रबंधन उद्देश्य हेतु कार्य करने की चाह प्रदान करेगी। उन्होनें समकालीन परिदृश्य पर बोलते हुए कहा कि वार्षिक विश्व जनसंख्या वृद्धि दर 1962 में लगभग 2.1 प्रतिशत गई थी जो आज लगभग आधा गिर गई है। अच्छी सूचना यह है कि कि संभवतः 2045 में विश्व की जनसंख्या लगभग 9 बिलियन पर स्थिर हो जायेगी। लेकिन वर्तमान तथा 2050 के बीच बहुत कुछ घटित होगा। राजनीतिक व सुरक्षा परिवर्तनों को छोड़कर बड़े आर्थिक, पर्यावरणीय एवं सामाजिक परिवर्तन होगें। ऐसा लगता है कि विश्व की जीडीपी नाटकीय ढंग से बढे़गी।
इससे पूर्व सम्मलेन के अंतिम दिन एफआरआई में आयोजित 19वें राष्ट्रमंडल सम्मेलन के पाचवें दिन चार मुख्य व्याख्यानों का प्रस्तुतीकरण किया गया।
डा. एच.एस.सिंह, पूर्व पीसीसीएफ, गुजरात ने भू-दृश्य संरक्षण के जरिये वन्य जैवविविधता को दृढ़ बनाने पर जोर दिया। जैक सेडलर, ब्रिटिश कोलंबिया विश्वद्यिलय, कनाड़ा नवीकरणीय ऊर्जा तथा जैव ऊर्जा एवं जैव ईंधनों योगदान पर विश्वव्यापी वृद्धि की स्थिति पर अपनी बात रखी। उन्होनें जैव ऊर्जा तथा जैव ईंधन पर मात्र प्रकाश डालने के बजाय एकीकृत जैवपुर्नपरिष्करण की आवश्यकता का आह्वान किया। इसके साथ ही पांच दिवसीय सम्मेलन संपन्न हो गया।
मि. सी.एम.सेठ, सेवानिवृत्त, भारतीय वन सेवा अधिकारी, जम्मू कश्मीर वन प्रभाग ने भारत तथा अफगानिस्तान, तजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान तथा उत्तर तथा मध्य पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों में वन बकरियों की बहुसंख्य प्रजातियों के पीर पंजाल मार्कर के असंबद्ध वितरण का विस्तृत विवरण दिया। श्री डी.बी.एस. खाती., पीसीसीएफ(वन्यजीव) उत्तराखण्ड ने कार्बेट भू-दृश्य, नन्दा देवी जैव क्षेत्र, फूलों की घाटी, धनोल्टी भू-दृश्य में राष्ट्र-आधरित पर्यटन का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए उत्तराखण्ड के संदर्भ में जैव विविधता संरक्षण हेतु जीविकोपार्जन सहायक विकल्पों के बारे में बताया।आज के तकनीकी सत्र में ‘शहरी वानिकी तथा भू-दृश्य प्रबंधन‘ तथा ‘वन प्रबंधन में समुदायों को भागीदारी‘ पर 10 प्रस्तुतीकरण समाहत रहे।
ज्योति पांडे शर्मा, भारत ने दिल्ली के पहाड़ियों को संरक्षण देने, शहरी संस्कृति के उन्नयन पर पुर्नविचार, जगदीश चंदर, भारत ने चंडीगढ़ में शहरी वानिकी की स्थिति, चुनौतियां तथा भविष्य पर, दिनेश कुमार शर्मा, भारत ने शहरी वानिकी ने शहरी वानिकी को एक नवीनीकृत सिद्धांत-सांस्कृतिक वन, एन.एस.हर्ष., भारत ने प्राचीन वृक्षों का संरक्षण-सफल कहानियां, ई.ए.श्री विद्या, भारत ने पवित्र वृक्ष समूहों का संरक्षण एवं दिग्दर्शन, जिसेंटा चंगवनी फोन्चा, कैमरन ने माउंट ओकू क्षेत्र, उत्तर-पश्चिम क्षेत्र कैमरन में सतत् वन शाशन में अकेन्द्रित स्थानीय शाशन के उदाहरण के रूप में इरूला जनजातीय महिला वेलफेयर सोसाइटी, रॉक्सवेन्टा ओघिम, केन्या ने निर्णय लेने में समुदाय वन संगठनों के उथल-पुथल तथा वन स्थिति पर इसका प्रभाव, राजू देब्बातया, भारत ने संयुक्त वन प्रबंधन में ग्रामीण महिलाओं की सहभागिता, देव श्रीनायक भारत ने फार्म तथा भू-क्षेत्रों पर वृक्ष के जरिये महिलाओं की श्रम कठिनाई कम करना, पर इन्होनें व्याख्यान दिये।
एम.सी. घिल्डियाल तथा शिरीश अग्रवाल द्वारा पार्टनर्स विशेष सत्र का संचालन किया गया। पार्टनर का एक तकनीकी सत्र जिसमें प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, हिमाचल प्रदेश, कृषि तथा राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक(नाबार्ड) तथा सेंचुरी प्लाईबोर्ड इंडिया लिमिटेड द्वारा बनाये गये 3 प्रस्तुतीकरण आयोजित किये गये। एम.सी. घिल्डियाल, पूर्व पीसीसीएफ (होफ), उत्तराखण्ड तथा शिरीश अग्रवाल, प्रबंध निदेशक, एमपीएफडीसी, छत्तीसगढ़ ने सत्र को संचालित किया।