Uttarakhand

त्रिवेंद्र मंत्रिमंडल ने लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय

शराब बेचने के लिए निकाला नया रास्ता 

देहरादून। राष्ट्रीय और राजकीय राजमार्गों के पांच सौ मीटर के दायरे में शराब के ठेके बंद करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का तोड़ उत्तराखंड सरकार ने निकाल लिया है। शुक्रवार को आयोजित कैबिनेट बैठक में प्रदेश के 64 राजकीय मार्गों के उस हिस्से को जिला मार्ग घोषित करने पर सहमति बन गई है, जो नगर निकायों के भीतर से होकर गुजरते हैं।
इससे ज्यादातर शराब ठेके कोर्ट के आदेश की परिधि से बाहर आ जाएंगे। इसी क्रम में किसानों को राहत देते हुए यह भी फैसला लिया गया है कि संपत्ति को बंधक बनाकर निर्धारित सीमा तक लोन लेने की स्थिति में उन्हें स्टांप शुल्क नहीं देना होगा।

त्रिवेंद्र सरकार की दूसरी कैबिनेट बैठक शुक्रवार शाम साढ़े चार बजे शुरू हुई। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में हुई बैठक में कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, डॉ. हरक सिंह रावत, प्रकाश पंत, मदन कौशिक और यशपाल आर्य मौजूद रहे। बैठक में सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट के आदेश से प्रभावित हो रहे आबकारी विभाग के राजस्व पर बातचीत शुरू हुई।

इस लिहाज से लोक निर्माण विभाग के उस प्रस्ताव पर कैबिनेट ने सहमति व्यक्त की, जिसमें राजकीय राजमार्गों के उस हिस्से को जिला मार्ग घोषित करने की बात कही गई थी जो राज्य के विभिन्न नगर निकायों से होकर गुजरते हैं। लोनिवि के अफसरों ने तर्क दिया कि शहरी निकायों की आबादी काफी बढ़ गई है। ऐसे में मौजूदा जिला मार्गों को चौड़ा करना संभव नहीं है। नतीजतन राजकीय राजमार्गों के शहरी हिस्से को जिला मार्गों में शामिल कर दिया जाए।

इस प्रस्ताव को कैबिनेट ने सर्वसम्मति से पास कर दिया, जिसके चलते राज्य के 63 नगर निकायों से होकर गुजरने वाले 64 राजकीय राजमार्गों का तमाम हिस्सा जिला मार्ग हो जाएगा। ऐसे में चालीस फीसदी शराब ठेके शिफ्टिंग के झंझट से मुक्त हो जाएंगे। इसी प्रकार राज्य के किसानों को अब पांच लाख रुपए तक की संपत्ति को बंधक बनाकर लोन लेने के लिए स्टांप ड्यूटी नहीं देनी होगी।
ये प्रस्ताव हुए पास
पूर्व में भी यह सुविधा किसानों को दी गई थी, जो बाद में बंद कर दी गई। कैबिनेट ने इसे अगले पांच साल के लिए माफ करने संबंधी प्रस्ताव को भी हरी झंडी दी है।

उधर रीजनल कनेक्टिविटी सर्विस (आरसीएस) के लिए आगे आने वाली कंपनियों को एयर टर्बाइन फ्यूल (एटीएफ) की खरीद पर वैट छूट संबंधी प्रस्ताव में संशोधन किया गया है।

इसके तहत केवल आरसीएस के तहत आने वाली हेली सर्विसेज कंपनियों को एटीएफ एक फीसदी वैट लेकर दिया जाएगा, जबकि अन्य सभी एयरलाइंस कंपनियों से बीस फीसदी वैट लिया जाएगा।

ये प्रस्ताव भी हुए पास :- 
– नगर निकायों के आबादी वाले भाग से गुजरने वाले राजकीय राजमार्गों को जिला मार्ग घोषित किया जाएगा। कैबिनेट से प्रस्ताव पास होने के बाद उत्तराखंड के 63 नगर निकायों से होकर गुजरने वाले 64 राजकीय राजमार्गों का बड़ा हिस्सा इस जद में आ जाएगा।

– उत्तरांखंड राज्य विधिक सेवा नियमावली में संशोधन करते हुए अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए अलग-अलग पदेन सदस्य को अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव भी कैबिनेट ने पास किया है। अभी तक एक ही व्यक्ति एससीएसटी आयोग का अध्यक्ष होता था।

– पैनल अधिवक्ता को मुकदमों की पैरवी के लिए फीस के भुगतान का प्रावधान था, जो उत्तराखंड सेवा नियमवाली के हिसाब से चलता आ रहा है। चूंकि यह प्रावधान पहले ही राष्ट्रीय विधि सेवा नियमावली में है, इसलिए इसे उत्तराखंड सेवा नियमवाली से हटा दिया गया है।

– पांच लाख रुपए तक की भूमि को बंधक बनाकर ऋण लेने वाले किसानों को अब स्टांप ड्यूटी नहीं देनी होगी। कैबिनेट ने अगले पांच साल तक के लिए इस छूट को दिए जाने का फैसला किया है। पूर्व में दी गई यह छूट 31 मार्च 2007 तक के लिए लागू किया गया था।

– राजभवन की संविलियन सेवा नियमावली-2011 में यह प्रावधान है कि जो कर्मचारी राजभवन में संबद्ध हैं, उन्हें रिक्त पदों के सापेक्ष रखने के लिए कट ऑफ डेट 30 सितंबर 2010 से बढ़ाकर एक फरवरी 2012 करने के प्रस्ताव को भी कैबिनेट ने पास किया है।

– नागरिक उड्डयन विभाग की रीजनल कनेक्टिविटी स्कीम के तहत हेली सर्विस प्रदान करने वाली कंपनियों को एक फीसदी वैट देकर एटीएफ दिए जाने का निर्णय लिया गया है। पूर्व में हुए इस फैसले का लाभ सभी हवाई सेवा प्रदाता कंपनियों ने उठाना शुरू कर दिया था।

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