हरीश सरकार के MDDA व चीनी कंपनी से एमओयू की होगी जांच!

देहरादून । पिछली कांग्रेस सरकार ने राजधानी देहरादून को स्मार्ट सिटी बनाने की आपाधापी में बिना केंद्र से शहर के स्मार्ट सिटी की सूची में आने की प्रतीक्षा किये बिना ही शहर को स्मार्ट बनाने को एक चीनी कंपनी से एमओयू हस्ताक्षरित कर लिया था ? जनता में ज्यादातर को तब भी तत्कालीन सरकार का यह कदम गले नही उतरा था और यहां तक आपत्ति की गई थी कि कांग्रेस सरकार के प्रस्तावित स्मार्ट सिटी क्षेत्र चाय बागान से आईएमए सटा हुआ है जिसके नजदीक चीनी कंपनी की अपने साजो सामान मौजूदगी आईएमए की सुरक्षा से समझौता साबित हो सकता है।
लेकिन क्योकि तब इस सबमें तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत की भी रूचि बताई जा रही थी, तो नौकरशाही ने किसी की परवाह नही की और अपनी करके ही मानी । तब बताया और दावा किया गया था कि इसी कंपनी ने चीन के कई बडे शहरों को स्मार्ट बनाया है। यह भी देखने की बात है कि देहरादून के बिना स्मार्ट सिटी सूची में आये,केंद्र को उसके लिये भेजे डीपीआर के आधार पर ही कंपनी को काम देने का निर्णय ’ऊपर’ से मिले इशारे पर हुआ या फिर इसमें रूचि ले रहे चर्चित अफसर ने मुख्यमंत्री को इसके लिये ’समझाने’ में सफलता पा ली थी । अब देहरादून स्मार्ट सिटी सूची में तो न जाने कब आयेगा लेकिन इस बीच सरकार बदलने के बाद अब तक की गतिविधियों की पडताल जरूर षुरू हो रही है।
इसी क्रम में केंद्र सरकार ने उत्तराखंड के मुख्य सचिव एस रामास्वामी को बिना केंद्र सरकार की पूर्व स्वीकृति इस तरह आनन फानन चीनी कंपनी से किये गये एमओयू के विवरण मांगे हैं । रामास्वामी ने इसके लिये संबंधित विभाग से इस एमओयू के विवरण देने के आदेष दे दिये हैं । ध्यान रहे, विदेषी कोई भी कंपनी बिना सुरक्षा क्लीयरेंस देष में कोई काम नही ले सकती ।
विषेशकर तब जब विगत में चीन के भारत के साथ बेहद संघर्शपूर्ण संबंध रहे हैं और तिब्बती धर्म गुरू दलाई लामा की प्रस्तावित अरूणाचल यात्रा को लेकर चीन की सामने आ रही बेहद आक्रामक और धमकाने वाली प्रतिक्रिया के साथ उत्तराखंड से लगती नेपाल व चीन सीमा के चलते यह जांच कहां तक पहुंचती है, देखने की बात होगी ।