UTTARAKASHI

पलायन रोकने के लिए सरकार कर रही प्रयास : सीएम

  • हर्षिल की राजमा की ग्रेडिंग की जाय तो काश्तकारों इसका अच्छा लाभ होगा 
  • रोजगार उपलब्ध कराने के लिए राज्य के 670 न्याय पंचायतों में ग्रोथ सेंटर
उत्तरकाशी : मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि राज्य की समस्या स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर थी, जिसे सरकार ने चुनौती के रूप में लिया। राज्य सरकार ने पहला ध्यान चिकित्सालयों में डाक्टरों की तैनाती पर दिया। उन्होंने कहा कि पहले सैकड़ों डाॅक्टर अटैचमेंट थे, लेकिन सरकार ने कड़ा फैसला लेते हुए अटैचमेंट  व्यवस्था समाप्त कर दी है । जहां पर डाॅक्टरों की पूर्व में तैनाती थी, उन्हें वहीं भेज दिया गया है। इसके साथ ही डाक्टरों को नोटिस जारी कर 31 दिसम्बर तक जिला चिकित्सालयों में तैनात होने के निर्देश दिये गये थे,  जिसमें से कई डाॅक्टर अपने तैनाती स्थल पर पहुचं गये है।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने मंगलवार को उत्तरकाशी के रामलीला मैदान में आयोजित कृषि महोत्सव-2018 एवं विकास मेले के उद्घाटन के दौरान जनसभा को सम्बोधित कर रहे थे । इससे पहले मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारी डाॅ.आशीष चौहान की पहल की प्रशंसा करते हुए उद्योग विभाग के हिमाद्री इम्पोरियम में किसान आउटलेट एवं रैथल होम स्टे वेबसाइट का शुभारम्भ किया। मेला स्थल पर उन्होंने विभिन्न विकास योजनाओं का लोकार्पण किया। 
अपने सम्बोधन में उन्होंने कहा कि दो माह के भीतर प्रदेश के सभी जिला चिकित्सालय में डाॅक्टरों की तैनाती कर दी जायेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा लक्ष्य है कि वर्ष 2019-20 तक आॅलवेदर रोड़ का कार्य अंतिम चरण में हो। इसके साथ ही इस वर्ष फरवरी एवं मार्च में आॅलवेदर सड़क के कार्यो में और तेजी आयेगी। उन्होंने कहा कि आॅलवेदर रोड़ बनने से जहां एक ओर जनपद में पर्यटन के क्षेत्र में बढ़ावा मिलेगा 
मुख्यमंत्री ने हर्षिल की राजमा का जिक्र करते हुए कहा कि हर्षिल की राजमा की ग्रेडिंग की जाय तो इसका अच्छा लाभ काश्तकारों को मिल सकता है। उन्होंने कहा किसान अपनी फसल को ब्रांडेड पैकिंग कर अच्छे लाभ ले सकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पशुपालन के क्षेत्र में सबसे ज्यादा मांग भेड़ पालन की है। इस मौके पर उन्होंने पशुपालन के क्षेत्र में उपस्थित किसानों एवं लोगों से हिसाब लगाने की बात कही, कहा कि कितनी मेहनत ओर कितना लाभ पशुपालन में हुआ है। उन्होंने किसानों से घरेलू शहद का उत्पादन करने की अपेक्षा की। उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा मांग बड़े राज्यों में पहाड़ पर उत्पादित शहद की रहती है। यदि शहद को बड़े शहरों तक पहुंचाया जाय तो किसानों को इसका अत्यधिक लाभ मिलेगा। गांव में समूह बनाकर शहद का उत्पादन किया जाय तो इससे गांव के लोगों को रोजगार मिलेगा। 
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने कहा कि रोजगार उपलब्ध कराने के लिए राज्य के 670 न्याय पंचायतों में ग्रोथ सेंटर खोले जायेंगे, जिसमें 15 सेन्टर रेडिमेट गारमेंट के शुरू किये जायेंगे। उनहोंने कहा कि देहरादून में पिरूल रिसर्च सेन्टर खोला जायेगा। जिसमें तारपीन का तेल निकाला जायेगा, इसकी सारी तैयारी कर ली गई है तथा 10 महिने के भीतर इस पर कार्य शुरू कर दिया जायेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि एलईडी बल्ब एवं लड़िया अधिक कीमतों पर बाजार से खरीदी जाती है। इसके लिए राज्य सरकार ने फैसला लिया है कि न्याय पंचायतों में ग्रोथ सेन्टर खोले जायेंगे, जिसमें गांव की महिलाओं को पांच दिन का प्रशिक्षण देकर गांव की महिलायें वहीं पर एलईडी बल्ब एवं लड़िया बनायेंगी। उन्होंने कहा कि गांव से पलायन रोकने के लिए गांव में ही रोजगार के साधन उपलब्ध हो इसके लिए सरकार प्रयास कर रही है। मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में आंगनबाड़ी केन्द्र के कुपोषित बच्चों को ऊर्जा पोषाहार भी वितरित किये, साथ ही गंगा डेरी योजना के तहत पात्र किसानों को 40-40 हजार रूपये चैक भी वितरित किये। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कृषि विभाग द्वारा तैयार की गई ‘‘कृषि रैबार’’ पत्रिका का भी विमोचन किया।
इस अवसर पर कृषि मंत्री श्री सुबोध उनियाल ने कहा कि राज्य सरकार ने कृषकों के हित में 70 से ज्यादा निर्णय लिये है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि पलायन रोकना है, तो कृषि को बढ़ावा देना होगा। पहाड़ी क्षेत्रों को फसल बीमा योजना में शामिल करने का निर्णय लिया गया है।  उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार से तीन हजार कृषि कलस्टर बनाने की स्वीकृति मिल चुकी है, जिसका कार्य शीघ्र किया जायेगा। राज्य सरकार द्वारा कृषकों को 02 प्रतिशत ब्याज पर एक लाख तक के ऋण उपलब्ध कराये जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार ने एकीकृत आदर्श कृषि योजना शुरू की है, जिसमें राज्य के 95 विकास खण्डों से हर विकास खण्ड से एक गांव को इस योजना में शामिल किया जायेगा। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों के हितों एवं कृषि को बढ़ावा दे रही है। राज्य की तरक्की के लिए पहले जड़ों को मजबूत करना होगा। उन्होंने कहा कि कृषि एवं उद्यान के क्षेत्र में राज्य के नौजवानों को हिमाचल के नौजवानों की तरह आगे आने की जरूरत है। उन्होंने राज्य के किसानों की खुशहाली के लिए चंकबंदी पर भी जोर दिया। कहा कि खेती के साथ-साथ पशुपालन, मधुमक्खी पालन आदि पर भी ध्यान देने की जरूरत है।
मुख्यमंत्री ने इस दौरान पुरोला विधान सभा क्षेत्र में विश्व बैंक पोषित रू0 334.89 लाख की लागत से पन्द्राणु-धनीयारा पैदल मार्ग झूला पुल का लोकापर्ण किया वहीं उन्होने भदरासू-रमालगांव मोटर मार्ग के पुनर्निर्माण कार्य कुल रू0 223.5 लाख, एवं 9 किमी लम्बाई के बसाली-झोटाडी मोटर मार्ग के पुनर्निर्माण लागत रू0 662.50 लाख, जबकि पुरोला में पलेटा-खांसी मोटर मार्ग जिसकी लम्बाई 3 किमी तथा लागत रू0 266.50 लाख एवं पुरोला के गढ-देवल मोटर मार्ग जिसकी लम्बाई 4.500 किमी तथा लागत रू0 312.68 लाख, गंगोत्री विधान सभा क्षेत्र के सौरा-सारी मोटर मार्ग लम्बाई 1.750 लागत रू0 206.95 लाख, अस्सी गंगा नदी पर जंगारा तोक में 102 मीटर स्पान के झूला पुल के निर्माण लागत रू0 615.22 लाख, गंगनानी मोटर पुल से भंगेली मोटर मार्ग लम्बाई 4.600 लागत रू0 468 लाख, भुक्की-कुजन-तिहार मोटर मार्ग के पुनर्निर्माण जिसकी लम्बाई 05 किमी तथा लागत रू0 198.91 लाख का लोकापर्ण किया वहीं विकास भवन कार्यालय में वीडियो कान्फ्रेंसिंग कक्ष लागत कुल रू0 8.450 लाख का शिलान्यास भी किया। 
इस अवसर पर विधायक  गोपाल सिंह रावत, अध्यक्ष जिला पंचायत जशोदा राणा, अध्यक्ष नगर पालिका जयेन्द्री राणा, जिलाधिकारी आशीष चौहान सहित जनपद स्तरीय अधिकारी, क्षेत्रीय जनता एवं जनप्रतिनिधि उपस्थित थे। 

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