उत्तराखण्ड जनांदोलन के प्रणेता जगदीश नेगी के आकस्मिक निधन से स्तब्ध राज्य आंदोलनकारी
उत्तराखण्ड पब्लिक स्कूल नोएडा के अध्यक्ष जगदीश नेगी के निधन से नोएड़ा, दिल्ली में उतराखण्डी समाज में गहरा शोक
देव सिंह रावत
नई दिल्ली । उत्तराखण्ड राज्य गठन जनांदोलन के प्रणेता, अग्रणी समाजसेवी व उत्तराखण्ड जनमोर्चा के संस्थापक अध्यक्ष जगदीश नेगी का 1 दिसम्बर को जयपुर में आकस्मिक निधन होने से उत्तराखण्ड राज्य गठन आंदोलनकारी स्तब्ध है। वहीं उत्तराखण्ड पब्लिक स्कूल नोएडा के अध्यक्ष जगदीश नेगी के निधन की खबर सुनते ही दिल्ली व नोएडा, गाजियाबाद स्थित उत्तराखण्डी समाज में शोक छा गया। खबर है कि दिवंगत नेगी अपनी धर्मपत्नी ऊषा नेगी के साथ किसी कार्य से जयपुर गये थे। जहां श्री नेगी का आकस्मिक निधन हो गया। उनके पार्थिक शरीर को उनके निवास नोएडा लाया गया। उनका अंतिम संस्कार आज किया जायेगा। 2 दिसम्बर को प्रातः 8 से 10 बजे तक उनका पार्थिक षरीर उत्तराखण्ड पब्लिक स्कूल नोएडा में दर्शनार्थ लाया जायेगा। जहां उत्तराखण्डी समाज व उत्तराखण्ड पब्लिक स्कूल का परिवार दिवंगत नेगी जी को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे।
उत्तराखण्ड जनमोर्चा के संस्थापक अध्यक्ष जगदीश नेगी के निधन की खबर जैसे ही राज्य गठन आंदोलनकारी अनिल पंत से प्यारा उत्तराखण्ड के सम्पादक देवसिंह रावत को मिली। इस पर श्री रावत ने कहा कि उन्है विष्वास नहीं हुआ। उसके बाद जनमोर्चा के वर्तमान पदाधिकारी डा एस एन बसलियाल ने भी इस दुखद खबर की सूचना दी। इसके बाद मैने जगदीश नेगी का फोन नम्बर मिलाया, मुझे लगा उनके बेटे ने फोन उठाया। मैने पूछा बेटे यह कब हुआ तो उन्होने बताया आज ही। मैं दोपहर में उस समय जंतर मंतर पर भारतीय भाषा आंदोलन के धरने में था। मेरे साथ मनमोहन शाह, सुभाष चैहान व कमल किशोर नौटियाल सहित भारतीय भाषा आंदोलन के साथी थे। बाद में पत्रकार दाताराम चमोली का भी इसी दुखद खबर के लिए फोन आया। मेरे मस्तिष्क में जगदीश नेगी के साथ राज्य गठन का लम्बे संघर्ष एक चलचित्र की तरह आंखों में छाने लगा। केसे दिवंगत नेगी जी के साथ मिल कर हमने 1993 में उत्तराखण्ड जनमोर्चा का गठन किया। जनमोर्चा के गठन से पहले मैने प्यारा उत्तराखण्ड समाचार पत्र प्रकाशन प्रारम्भ कर दिया था। नेगी जी के साथ जनमोर्चा के तमाम साथियों ने मिल कर न केवल दिल्ली में अलख जगायी अपितु उत्तराखण्ड में भी व्यापक जनजागरण किया। कैसे नेगी जी के साथ मिल कर दिल्ली के युवाओं को जनमोर्चा में जोड़ने की लम्बा सफर।
गढवाल भवन से लेकर रामकृष्ण पुरम, जलबिहार, मोतीनगर, पालम, नोएडा सहित पूरे दिल्ली के युवाओं को जोड़ा। कैसे जगदीश नेगी के साथ मिल कर तालकटारो स्टेडियम में हरीश रावत के हिल काउंसिल के तिकडम को ध्वस्थ किया। कैसे 9 -10 अगस्त 1994 को पौड़ी में ंआंदोलनकारियों पर हुए बर्बर लाठीचार्ज के खिलाफ हम दिल्ली से जगदीश नेगी के नेतृत्व में एक जत्थे में पौड़ी पंहुचे। कैसे पौड़ी बस अड्डे में आयोजित सभा में जगदीश नेगी की जीप को मंच बना कर आंदोलनकारियों को दिवाकर भट्ट, काशीसिंह ऐरी व पूरण सिंह डंगवाल संबोधित किया। उस दिन जब दिवाकर भट्ट सभा को संबोधित कर रहे थे तो काशीसिंह ऐरी से सलाह करके जनमोर्चा की उक्रांद में विलय की घोशणा करने की पर्ची को दिवाकर भट्ट ने नजरांदाज किया। अगर उस दिन दिवाकर भट्ट अहंकार में ग्रसित हो कर जनमोर्चा को नजरांदाज नहीं करते तो जनमोर्चा का विलय उक्रांद में हो जाता। जनमोर्चा का विलय उक्रांद में होता तो दिल्ली में मृतप्राय उक्रांद में सैकड़ों युवाओं का साथ मिलता और पूरा आंदोलन उक्रांद के नेतृत्व में संचालित होता। कैसे जनमोर्चा को 16 अगस्त 1994 से जंतर मंतर पर राज्य गठन के धरने में 18 अगस्त में खुद सम्मलित हो कर मैने जगदीश नेगी के नेतृत्व में जनमोर्चा को आंदोलन से जोड़ा। उसके बाद उत्तराखण्ड आंदोलन संचालन समिति में जनमोर्चा ने सबसे बडी भूमिका निभाते हुए अगस्त व सितम्बर की बड़ी रैलियों को सफल बनाया तो आंदोलनकारी अन्य गुटों को आशंका हो गयी कि अगर जनमोर्चा पर अंकुश नहीं लगाया गया तो पूरा आंदोलन जनमोर्चा पर केन्द्रीत हो जायेगा।
जगदीश नेगी के नेतृत्व में जनमोर्चा ने जंतर मंतर पर हजारों हजार लोगों को जोड़ने में सफलता हासिल की। इसके बाद उक्रांद, जनसंघर्ष वाहिनी के लोगों से मतभेद होने के कारण जनमोर्चा जंतर मंतर से अलग हो कर आंदोलन में अपनी प्रखर भूमिका निभाता रहा। पर मै जगदीष नेगी सहित जनमोर्चा को जंतर मंतर से हटने से मना करता रहा। वे नहीं माने मै जंतर मंतर पर आंदोलन का हिस्सा बना रहा। मुजफ्फरनगर काण्ड -94 के दोशियों को दण्डित कराने के लिए जनमोर्चा ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में बड़ी सराहनीय भूमिका निभाई। इसके बाद राज्य गठन तक जगदीश नेगी जनमोर्चा के साथ आंदोलन में प्रखरता से रहे। वे सदेव अपनी पत्नी के साथ आंदोलन में भाग लेते थे। राज्य गठन आंदोलन को जनांदोलन में तब्दील करने में जगदीश नेगी का महत्वपूर्ण योगदान रहा। उन दिनों उनकी नोएडा सेक्टर 12 में टेण्ट की दुकान भी थी। राज्य गठन आंदोलन के प्रारम्भिक चरण में उत्तराखण्ड जनमोर्चा की टीम के साथ मैने भी उत्तराखण्ड पब्लिक स्कूल के निर्माण में श्रमदान किया। जगदीश नेगी आंदोलन के हर आंदोलनकारी का ध्यान रखते थे।
उन्होने एक बार उक्रांद सहित आंदोलनकारियों के संयुक्त प्रत्याशी के रूप में गढवाल लोकसभा चुनाव के दंगल में भी उतरे थे। राज्य गठन आंदोलन में मै उनके नोएडा स्थित पुराने घर के साथ देहरादून स्थित घर में भी गया। इस बीच दिवंगत नेगी की धर्मपत्नी का निधन होने से नेगी जी बिलकुल टूट गये थे। उनकी डाक्टर बेटी सहित सभी बच्चों ने जब अपनी माता के निधन पर नेगी जी को टूटते देखा तो बच्चों व आंदोलन के साथी दलबीर रावत आदिे सबने मिल कर राज्य गठन आंदोलन में जनमोर्चा की समर्पित आंदोलनकारी ऊषा नेगी से जगदीश नेगी की शादी करायी। उस शादी में एक बराती के रूप में मैं भी सम्मलित हुआ। राज्य गठन के बाद श्री नेगी जी हमेशा उत्तराखण्ड के नव निर्माण में अपने योगदान के लिए तत्पर रहते। सामाजिक कार्यो में चढ़ बढ़ कर हिस्सा लेते। परन्तु दलगत राजनीति से उपर उठ कर वे राज्य के नव निर्माण में योगदान देना चाहते परन्तु दलगत राजनेताओं ने जगदीश नेगी जैसे समर्पित ऊर्जावान व प्रखर वक्ता को हमेशा नजरांदाज किया। श्री नेगी बहुत स्वाभिमानी के साथ कर्मयोगी उद्यमी थे। वे भवन निर्माता से लेकर टेण्ट व्यवसायी होने के साथ साथ उत्तराखण्ड समाज में शिक्षा के प्रसार के लिए समर्पित योेधा रहे। वे उत्तराखण्ड में शिक्षा के गिरते स्तर पर हमेशा चिंतित रहते। उत्तराखण्ड पब्लिक स्कूल को नोएडा के शीर्ष विद्यालयों की पंक्ति में पंहुचाने में दिवंगत जगदीश नेगी का महान योगदान है। इसी माह कुछ सप्ताह पहले मेरी जगदीश नेगी से वार्ता हुई थी। बातचीत में उन्होने देहरादून स्थित घर व माता जी के बारे में बताया। बहुत दुख हुआ उनके दर्शन एक साल से नहीं हुए। राज्य गठन के अपने अग्रणी साथी, समर्पित समाजसेवी जगदीश नेगी के आकस्मिक निधन पर मैं उनकी पावन स्मृति को शतः शतः नमन् करते हुए भगवान को अपने श्रीचरणों में उनकी आत्मा को जगह देने की प्रार्थना करता हॅू। भगवान उनके परिवार को इस दुखद त्रासदी को सहने का धैर्य दे। ओम शांति हरि ओम शांति।