लंबित मांगों को लेकर श्रीनगर जल विद्युत परियोजना के खिलाफ ग्रामीणों का प्रदर्शन

- प्रदर्शनकारियों ने कंपनी के पीआरओ की कर डाली पिटाई !
श्रीनगर (गढ़वाल) : जीवीके जल विद्युत परियोजना श्रीनगर से प्रभावित 25 गांवों के ग्रामीणों ने बुधवार को परियोजना क्षेत्र में सैकड़ों ग्रामीणों की उपस्थिति में जमकर प्रदर्शन किया। आक्रोशित ग्रामीणों ने इस दौरान विद्युत परियोजना को बंद करने का प्रयास भी किया लेकिन व सफल नहीं हो पाए। हालाँकि ग्रामीणों ने पावरहाउस में घुसकर वहां चल रहे निर्माण कार्य को रोकने की जरूर कोशिश की । घटनास्थल पर मौजूद पुलिसकर्मी निर्माण कार्य का विरोध कर रहे लोगों के विरोध के सामने बेबस नजर आए और प्रदर्शनकारियों का मुकाबला नहीं कर पाए। जिससे प्रदर्शनकारियों ने वहां उपस्थित कंपनी के पीआरओ की पिटाई कर डाली। समाचार लिखे जाने तक किसी ने भी पुलिस में शिकायत दर्ज नहीं कराई थी।
बुधवार को उत्तराखंड संवैधानिक अधिकार संरक्षण मंच के संयोजक दौलत कुंवर के नेतृत्व में 25 गांवों के ग्रामीणों ने जमकर प्रदर्शन किया। इस दौरान प्रभावित ग्रामीणों का आरोप है कि उनकी लंबित मांगों के खिलाफ उनको आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं मिला। ग्रामीणों का कहना है कि शासन प्रभावितों को मुआवजा देने के निर्देश दिये थे, किंतु शासन के निर्देशों का भी कम्पनी द्वारा पालन नहीं किया जा रहा है। प्रभावितकारियों की मांग है कि जब तक उन्हे उनका मुआवजा और रोजगार नहीं मिल जाता है तब तक श्रीनगर जल विद्युत परियोजना के पॉवर हाउस का काम नहीं होने देंगे।
गौरतलब है कि 320 मेगावाट की श्रीनगर जल विद्युत परियोजना से उत्तराखंड को वर्तमान में केवल 12 प्रतिशत बिजली मिलती है और यदि यह बंद हुई तो उत्तरप्रदेश में बिजली का संकट गहरा सकता है। उल्लेखनीय है कि परियोजना निर्माण के लिए उत्तराखंड के ग्रामीणों से लीज पर ली गई भूमि का मुआवजा, रोजगार, पैकेज, भवनों का मुआवजा, गुगली गांव के काश्तकारों का मुआवजा, मंजाकोट नाले पर मोटर पुल, गुगली तोंक में पैदल पुल, बांध की नहर को भू-वैज्ञानिकों द्वारा खतरा बताये जाने पर नहर के आस-पास के गांवों का विस्थापन आदि कई लंबित मांगें हैं।जिन पर न तो सरकार ध्यान दे रही है और न ही परियोजना बनाने वाली कम्पनी ने ही ध्यान दिया है। यही कारण है कि बार-बार ग्रामीणों का आंदोलन करने को बाध्य होना पड़ता रहा है।