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देहरादून : भ्रष्टाचार के मामले में मेयर गामा को राहत, याचिका निरस्त

देहरादून : आय से अधिक संपत्ति जुटाने के मामले में मेयर सुनील उनियाल गामा को अपर जिला एंव सत्र न्यायालय से राहत मिल गयी है। इस मामले में आटीआई एक्टिविस्ट एडवोकेट विकेश नेगी द्वारा दायर की गयी याचिका को अदालत ने निरस्त कर दिया।

अदालत ने कहा कि, मामले की जांच विजिलेंस कर रही है। ऐसे में अदालत का हस्तक्षेप करना सही नहीं है। अदालत के इस आदेश के बाद एक्टिविस्ट एडवोकेट विकेश नेगी ने कहा कि विजिलेंस इस मामले की जांच में कोताही कर रही है। उन्होंने कहा कि अब इस मामले में हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करेंगे।

सप्तम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (सर्तकता गढ़वाल परिक्षेत्र) अंजली नौलियाल ने इस मामले की सुनवाई की। अदालत ने कहा कि मामले की सुनवाई विजिलेंस कर रही है। विजिलेंस ने अदालत में कहा कि मामले की जांच गतिमान है।

गौरतलब है कि आरटीआई एक्टिविस्ट विकेश नेगी ने अदालत में याचिका दाखिल की थी कि मेयर लोक सेवक थे और उन्होंने मेयर चुनाव के अपने निर्वाचन घोषणा प्रार्थना पत्र में अपनी चल और अचल सम्पत्ति का जो विवरण जिला निर्वाचन आयोग में दिनांक 22 अक्टूबर 2018 को शपथपत्र दाखिल किया था, उसमें अपनी एक सम्पत्ति छिपाई है।

अभियुक्त संख्या-1 ने मेयर बनने के बाद अपने व अपने परिवार के सदस्यों के नाम चल-अचल सम्पत्ति अवैध रूप से अर्जित की जो उनकी आय से कही अधिक हैं। यह भ्रष्टाचार निरोध अधिनियम की भ्रष्टाचार निवारण अधिनियमों के तहत संज्ञेय अपराध है।

इस मामले में एडवोकेट विकेश नेगी ने महंत देवेंद्र दास को भी आरोपी बनाया है कि, किस तरह से उन्होंने कर से बचने के लिए मेयर गामा को ट्रस्ट की तीन जमीनों को लीज पर दे दिया।

याचिका निरस्त होने के बाद एडवोकेट विकेश नेगी ने कहा कि, भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग जारी रहेगी। वह अदालत के इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देंगे।

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