वन्य जीव के नाम पर चल रही धन की लूट के पत्र से हरकत में आया मुख्य सचिव कार्यालय
- अपर प्रमुख वन संरक्षक को मामले की जांच कर आख्या प्रस्तुत करने को कहा
- सूचनाधिकार कार्यकर्ता राकेश बड़थ्वाल ने वन विभाग के वन्य जीव विभाग की खोली पोल
देहरादून। समाजवादी पार्टी के पूर्व प्रदेश सचिव एवं सूचनाधिकार कार्यकर्ता राकेश बड़थ्वाल ने वन विभाग के वन्य जीव के नाम पर चल रही धन की लूट को लेकर मुख्य सचिव को पत्र लिखा था। बड़थ्वाल के पत्र के बाद मुख्य सचिव कार्यालय हरकत में आ गया और उसने अपर मुख्य वन संरक्षक को इस मामले की जांच कर आख्या प्रस्तुत करने का आदेश दिया है।
गौरतलब हो कि बड़थ्वाल ने अपने पत्र में लिखा था कि उत्तराखण्ड के अलग प्रदेश बनते ही सीमान्त क्षेत्र के नाम पर गोविन्द वन्य जीव विहार के निवासियों को सुविधाएं देने के लिए शासन द्वारा धन आवंटित किया जाता है लेकिन उक्त धन की वन विभाग द्वारा बन्दरबाट की जाती है। उन्होंने आरोप लगाया था कि स्थानीय लोगों के फर्जी अंगूठे लगाकर विभागीय कर्मचारियों द्वारा बिल चार्ज कर सरकारी धन की लूट की जा रही है।
उनका कहना था कि उक्त आवंटित धन का मार्गाे पर पक्के पुलों का निर्माण, पक्की सड़कें बनाकर सद्पयोग हो सकता था लेकिन वन विभाग द्वारा लकड़ी की पुलिया का निर्माण कार्य दिखाकर पेड़ों का चिरान किया जाता है और धन ठिकाने लगाया जाता है।
बड़थ्वाल ने इसके लिये साक्ष्य देते हुये कहा कि जिन तिथियों तक स्थानीय लोगों को वन विभाग द्वारा विभागीय फार्मों पर दिखाया गया है, उन्हीं तिथियों पर मनरेगा, विकासखण्ड स्तर के कार्यों में कार्य वे कर रहे थे तो फिर किस प्रकार दो-दो विभागों में वही व्यक्ति कार्य कर सकता है, यह भी जांच का विषय है।
उन्होंने यह भी कहा था कि उक्त कार्याे की स्थानीय जनप्रतिनिधियों द्वारा कई बार शिकायतें की गयी लेकिन वाइडलाइपफ के उच्च अधिकारियों की मिलीभगत से शिकायती पत्रों पर कोई कार्यवाही नहीं हो पायी। इस संदर्भ में बड़थ्वाल ने सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत प्रमुख संरक्षक ;वन्य जीव कार्यालय से सूचना मांगी है। उन्हें विश्वसनीय सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि भ्रष्ट अधिकारियों ने रिकार्डों में हेराफेरी शुरू कर दी है।
अपने पत्र में बड़थ्वाल ने आशंका जताई थी कि भ्रष्ट अधिकारी रिकार्डों में हेरापफेरी कर सकते है अथवा बैक डेट में अभिलेखों में लिपापोती जरूर होगी। क्योंकि वन विभाग पर एक ही पद पर अपर प्रमुख वन संरक्षक दो बार पदोन्नति ले चुके है और सब तीसरी पदोन्नति की तैयारी है जो बिना भ्रष्टाचार के सम्भव नहीं है।
उन्होंने मांग करते हुये कहा था कि प्रमुख वन संरक्षण वन्य जीव कार्यालय के इनडेन्स रजिस्टर्ड को तुरन्त सील किया जाये ताकि अपने बचाव में ये कुख्यात अधिकारी अभिलेखों में हेराफेरी न कर सकें क्योंकि इन भ्रष्ट अधिकारियों के ऊपर किसी ताकतवर का भी हाथ है जोकि वन विभाग के मुखिया के आदेशों को भी बदलने का दुःसाहस कर सकते है।
जानकारी में आया है कि वाइड लाइफ के अन्तर्गत कार्यों की जांच वन विभाग के तेज तर्रार जांच अधिकारी को साैंपी गयी थी लेकिन अभी तक इन भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ जांच शुरू होगी, ऐसा प्रतीत नहीं होता। उन्होंने मांग की है कि वाइड लाइफ के उच्च अधिकारियों को शासन से अटैच कर सीबीआई जांच की जाये।