- राज्य विधानसभा सत्र चार दिन में 19 घंटे 29 मिनट चला
- -विधानसभा अनिश्चितकाल के लिए स्थगित
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून । विधानसभा के मानसून सत्र के अंतिम दिन सोमवार को कांग्रेस ने लोकायुक्त के मसले पर प्रदेश सरकार को घेरने का प्रयास किया। सरकार के जवाब से असंतुष्ट कांग्रेस विधायकों ने वेल में आकर हंगामा किया। वे सवाल कर रहे थे सरकार लोकायुक्त की नियुक्ति कब तक करने जा रही है। भोजनावकाश के बाद कांग्रेस के विधायक सदन में नहीं गए। नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश ने दावा किया कि बहिर्गमन के चलते कांग्रेस विधायक सदन में नहीं गए। उधर, सोमवार शाम को विधानसभा सत्र की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई।सोमवार को सदन की कार्यवाही प्रांरभ होते ही नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश ने नियम 310 के तहत लोकायुक्त के मामले में चर्चा कराने की मांग की। इस पर पीठ ने नियम 58 में यह मसला सुनने की व्यवस्था दी। प्रश्नकाल खत्म होने के बाद नेता प्रतिपक्ष ने यह मसला उठाते हुए कहा कि भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस का दावा करने वाली राज्य सरकार लोकायुक्त से पीछे क्यों भाग रही है। उन्होंने सरकार से पूछा कि वह कितने दिन में लोकायुक्त की नियुक्ति करेगी। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं विधायक प्रीतम सिंह ने जीरो टॉलरेंस पर सवाल उठाते हुए कहा कि प्रदेश सरकार ने एनएच-74 मुआवजा घपले में सीबीआई जांच से कदम पीछे क्यों खींचे। पूर्व विस अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने कहा कि सत्तापक्ष के लोग जब विपक्ष में थे, तब उनके द्वारा लोकायुक्त को लेकर गंभीर आरोप लगाए गए। आज वे इस पर चुप क्यों हैं। विधायक मनोज रावत ने कहा कि सरकार लोकायुक्त पर तुरंत निर्णय ले।
चर्चा का जवाब देते हुए संसदीय कार्यमंत्री प्रकाश पंत ने लोकायुक्त को लेकर 2011 से अब तक की स्थिति को सदन में रखा। कहा कि पूर्ववर्ती सरकार ने यह प्रावधान किया कि लोकायुक्त की नियुक्ति से लोकायुक्त बिल प्रभावी होगा। हम सशक्त लोकायुक्त लाना चाहते थे और सरकार ने बिल पेश किया। प्रवर समिति में जाने के बाद इस पर विधानसभा का विनिश्चिय आ चुका है। यह अब सदन की प्रॉपर्टी है। लिहाजा, उसकी आलोचना नहीं हो सकती।
इस पर कांग्रेस सदस्य वेल में आ गए और लोकायुक्त नियुक्त करो के नारे लगाने लगे। संसदीय कार्यमंत्री ने कहा कि लोकायुक्त की नियुक्ति पर सम्यक विचारोपरांत शीघ्र निर्णय लिया जाएगा। हंगामे के बीच भोजनावकाश होने तक सदन की कार्यवाही चलती रही।
वहीँ उत्तराखण्ड विधान सभा अध्यक्ष प्रेम चन्द अग्रवाल ने उत्तराखण्ड विधानसभा का द्वितीय सत्र अनिश्चितकाल के लिये स्थगित कर दिया। इस दौरान विधान सभा अध्यक्ष ने पत्रकार वार्ता के दौरान माननीय सदस्यों का धन्यवाद किया। श्री अग्रवाल ने कहा कि 04 दिन का विधान सभा सत्र बिना बाधा के शांतिपूवर्क सम्पन्न हुआ। उन्हांेने कहा कि 19 घण्टे 29 मिनट चलने वाले सदन के दौरान व्यवधान के कारण सदन एक बार भी स्थगित नहीं हुआ यह अपने आप में एक इतिहास है।
पत्रकार वार्ता के दौरान विधान सभा अध्यक्ष ने बताया कि नियम 300 के अन्तर्गत 110 सूचनाऐं प्राप्त हुई जिसमें से 21 स्वीकृत एवं 32 सूचनाऐं ध्यानाकर्षण के लिए रखी गयी। नियम 53 के अन्तर्गत 57 सूचनाओं में से 6 स्वीकृत एवं 17 ध्यानाकर्षण के लिए रखी गयी। नियम 58 के अन्तर्गत 21 सूचनाओं में 11 सूचनाऐं स्वीकृत की गयी। श्री अग्रवाल ने बताया कि सदन में 01 सरकारी संकल्प 04, असरकारी संकल्प, नियम 105 के अन्तर्गत 04 प्रस्ताव एवं 179 याचिकाऐं सदन के पटल पर रखी गयी। श्री अग्रवाल ने बताया कि इस सत्र के दौरान 06 विधेयक एवं 02 अध्यादेश सदन के पटल से पारित हुए। श्री अग्रवाल ने बताया कि वर्ष 2018 के द्वितीय सत्र में कुल 1020 प्रश्न प्राप्त हुए जिसमें 159 तारांकित प्रश्नों में 60 उत्तरित हुए, 740 अतारांकित प्रश्नों में 349 उत्तरित हुए, 08 अल्प सूचित प्रश्नों में 04 अल्पसूचित प्रश्न उत्तरित किये गये।
श्री अग्रवाल ने बताया कि 18 सितम्बर एवं 20 सितम्बर को सदन के पटल पर प्रश्नकाल के दौरान सभी तारांकित प्रश्नों को समयावधि पर उत्तरित कराया गया। चार दिन चले विधानसभा सत्र के दौरान विधान सभा अध्यक्ष पीठ लीसा मामले में सरकार को निर्देश दिये गये की सही जानकारी सदन को दें। परिसीमन को शहरी विकास और पंचायती राज विकास को समन्वय बनाने को कहा गया। अतिक्रमण पर विपक्ष द्वारा उठाये गये सवालो ंपर सरकार को समाधान निकालने के निर्देश दिये गये। विधान सभा सदस्यों के प्रोटोकॉल को लेकर सरकार को निर्देश दिये गये कि वे अधिकारियों को ताकीद करें। उत्तराखण्ड राज्य आन्दोनकारियों को लाभ-पेंशन सम्मान सुविधाऐं देने के लिये सरकार को एक समेकित एवं स्पष्ट नीति की अधिसूचना जारी कर प्रकरणों को निस्तारित करने के लिये कहा गया।