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आर्थिक तंगी के कारण मां के दो बेटों सहित आत्महत्या करने पर कांग्रेस प्रवक्ता आरुषि सुंद्रियाल का बयान

Congress spokesperson Aarushi Sundriyal’s statement on the suicide of the mother along with her two sons due to financial constraints

भाजपा शासनकाल में आर्थिक तंगी से देशवासी आत्महत्या को मजबूर – आरूषी सुंद्रियाल

देहरादून के सहसपुर क्षेत्र में रहने वाली 32 वर्षीय सरोजा पाल ने अपने दो बेटों अंश उम्र 12 वर्ष और अर्णव उम्र 7 वर्ष, को जहर देकर स्वयं भी जहर खाकर बीते 6 मार्च को रात्रि 11:30 बजे आत्महत्या कर ली। पुलिस द्वारा पूछताछ में आत्महत्या का मुख्य कारण आर्थिक तंगी निकल कर सामने आया है।

यह घटना पाताल में पहुंची देश की अर्थव्यवस्था को आइना दिखा रही है, निकट भूतकाल में देखें तो हमसे पिछली पीढ़ी के लोग घर में एक आदमी की कमाई से 6 बच्चे भी सरलता से पाल रहे थे, और साथ ही उन बच्चों को अच्छी शिक्षा देकर उन्हें सरकारी नौकरी या व्यवसाय में आत्म निर्भर बनाकर स्वयं पेंशन तथा मेडिकल फैसिलिटी के साथ एक सुरक्षित वृद्धावस्था यापन कर रहे थे। 4 से 6 बच्चों के भरण-पोषण के साथ-साथ हमसे पहले की पीढ़ी ने अपना स्वयं का भवन भी बना लिया। यह था कांग्रेस का सुशासन, कांग्रेस की अर्थव्यवस्था परंतु भाजपा ने जनता को ना जाने कौन से अच्छे दिनों के स्वर्णिम ख्वाब दिखाकर, काला धन वापस लाकर सबको 15 लाख रुपए देने, हिंदू राष्ट्र बनाने, रामराज्य वापस लाने जैसे खोखले सपने दिखाकर ठगा है।

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आज देश में महंगाई चरम सीमा पार कर रही है और आय के साधन भरते नजर नहीं आ रहे। यदि इन परिस्थितियों को गंभीरता से ना लिया गया तो ना जाने देश की कितनी माताओं को उपरोक्त सरोजा पाल का मार्ग अपनाना पड़ जाएगा। भाजपा के शासनकाल में अमीरी और गरीबी की खाई बढ़ती जा रही है। भाजपा अपने स्वार्थ पूर्ण कार्यों की पूर्ति हेतु देश की संपत्ति को दो पूंजीपतियों पर लुटाने मैं लगी है। भाजपा की गरीब विरोधी नीतियों से ऐसा प्रतीत होता है जैसे भाजपा देश से गरीबी नहीं गरीबों को ही मिटा देना चाहती है।

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आज के समय में एक आदमी की कमाई में दो बच्चों का खर्च उठाना ही बहुत कठिन हो गया है, ऐसे में यदि घर भी किराए का हो तो गुजारा करना और भी मुश्किल। जिन लोगों को बुढ़ापे में कोई पेंशन और मेडिकल सुविधाएं नहीं मिलने वाली और वह अपना वर्तमान समय भी जैसे तैसे काट रहे हैं उन्हें अपनी वृद्धावस्था मैं होने वाली दुर्दशा के बारे में सोचकर भी डर लगता है। अब समय आ गया है कि देश के हर नागरिक को देश की अर्थव्यवस्था पर आए संकट को गंभीरता से देखना चाहिए।

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