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संयुक्त कमांडर कांफ्रेंस में छाया रहा सीमापार आतंकवाद का मुद्दा,ठोस व कारगर नीति बनी

देहरादून : भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) में आयोजित हुई संयुक्त कमांडर कांफ्रेंस में सीमापार आतंकवाद का मुद्दा प्रमुख तौर पर छाया रहा। कांफ्रेंस में सीमापार आतंकवाद से निपटने की ठोस रणनीति बनाई गई। इसके अलावा सेना के आधुनिकीकरण और साइबर सुरक्षा पर खास बातचीत हुई। सेनाओं की यूनिफाइड कमांड पर भी थल सेना ने अपनी प्रस्तुति दी, जिस पर जल्द कोई फैसला लिया जा सकता है।

चुनाव आयोग के बंदिशों के साये में शनिवार को निर्धारित समय और एजेंडे पर कमांडर कांफ्रेंस हुई। आईएमए के विक्रम बत्रा मेस में कमांडर कांफ्रेंस में पीएम नरेंद्र मोदी ने अध्यक्षता की। वे यहां सेना के शीर्ष नेतृत्व से रूबरू हुए। बीते साल सितंबर में सर्जिकल स्ट्राइक और हाल ही में थलसेना और वायुसेना के नेतृत्व परिवर्तन के बाद यह पहला मौका थाजब पीएम मोदी तीनों सेनाओं के कमांडरों के साथ एक ही मंच पर थे।

भारतीय सैन्य अकादमी (आइएमए) में पहली आर आयोजित संयुक्त कमांडर्स कॉन्फ्रेंस में भविष्य की चुनौतियों के मद्देनजर देश की सुरक्षा का खाका तैयार किया गया। रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और तीनों सेना अध्यक्षों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में सैन्य कमांडरों के साथ विस्तृत विचार विमर्श किया। कॉन्फ्रेंस में प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में सेना के आधुनिकीकरण में तेजी लाने का आह्वान किया।

वहीँ  कांफ्रेंस के तय एजेंडे और क्रियान्वयन के अनुमान के मुताबिक सेना के तीनों अंगों को निचले स्तर से शीर्ष तक एकजुट होकर टीम के रूप में काम करने का सुझाव दिया गया। बैटल कैजुएलिटी कम करने पर भी विचार किया गया। सेना के ढांचे, भविष्य की जरूरत और साइबर, स्पेस और गुप्त युद्धों के लिए यूनिफाइड कमांड की संभावनाओं पर विचार किया गया। माना जा रहा है कि इस पर जल्द ही कोई फैसला लिया जा सकता है। इस दौरान सैन्य तैयारियों, सीमा के खतरों के अलावा रक्षा प्रबंधन से जुड़े मुद्दों पर चर्चा हुई। विभिन्न कमान के प्रमुखों ने अपनी रिपोर्ट कांफ्रेंस में रखी।

कांफ्रेंस में देश की सुरक्षा से जुड़े मुख्य रणनीतिकारों ने भविष्य का खाका तैयार किया। लगभग छह घंटे चली इस कांफ्रेंस में सामरिक एवं सुरक्षा जरूरतों पर भी बात की गई। अधिकाधिक संसाधनों की उपलब्धता, भविष्य की संचालन संबंधी जरूरतों और प्रौद्योगिकीय संकेतों को ध्यान में रखते हुए दीर्घकालिक खरीद योजनाओं पर विचार किया गया। सीमापार आतंकवाद पर ठोस रणनीति बनाई गई। वर्तमान समय में जरूरी प्रौद्योगिकीय कौशल पर लंबी चर्चा हुई। कांफ्रेंस में शामिल एजेंडे का एक खास पहलू यह भी रहा कि भारत सैन्य शक्ति के संतुलन को कैसे मजबूत किया जाए। वहीँ हाल ही में सोशल मीडिया में जवानों की ओर से वायरल हुए वीडियो का मुद्दा भी कांफ्रेंस में छाया रहा। माना जा रहा है कि यह हालात दोबारा न आएं इस पर भी गहन विचार-विमर्श किया गया।

चुनाव आयोग की सशर्त अनुमति के बाद कड़े सुरक्षा इंतजाम के बीच शुरू हुई बहुप्रतीक्षित कॉन्फ्रेंस को लेकर बेहद गोपनीयता बरती गई। देश की सुरक्षा से जुड़े संवेदनशील मुद्दों को देखते हुए मीडिया को इससे दूर रख प्रेस ब्रीफिंग से भी परहेज किया गया। सैन्य विशेषज्ञों के अनुसार कॉन्फ्रेंस में उच्च रक्षा प्रबंधन में सुधार की जरूरत पर जोर दिया गया। सूत्रों के अनुसार करीब छह घंटे चली कॉन्फ्रेंस में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद और रक्षा मंत्रालय की ओर से चीफ ऑफ स्टाफ समिति के स्थायी चेयरमैन के प्रस्ताव पर भी चर्चा की गई।

यह पद सेना, नौसेना और वायु सेना के प्रमुख के बराबर होगा। सूत्रों की मानें तो कमांडर्स के साथ चर्चा में सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान के साथ संबंध, जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा हालात और सुमद्री सीमा पर चीन के साथ संबंधों का मामले भी उठे। इससे पहले सुबह करीब नौ बजे पीएम मोदी वायु सेना के विशेष विमान से जौलीग्रांट एयरपोर्ट और यहां से हेलीकॉप्टर से आइएमए पहुंचे। आइएमए में उन्होने सबसे पहले शहीद स्मारक पर श्रद्धांजलि दी।

इसके बाद मोदी आइएमए के चैटवुड ड्रिल स्क्वायर पहुंचे। यहां थल सेना, वायु सेना व नौसेना की संयुक्त टुकड़ी ने उन्हें सलामी दी। इस दौरान उनके साथ थल सेना अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत, वायु सेना प्रमुख बीएस धनोवा व नौ सेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा मौजूद रहे। युवा जेंटलमैन कैडेट्स भी इस मौके के साक्षी बने। बाद में उन्होंने कैडेट्स से भी मुलाकात की। शाम करीब पौने चार बजे प्रधानमंत्री लौट गए।

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