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हवाई दुर्घटना रोकने के लिए घाटियों में झूलती तारों पर लगने चाहिये रंगीन बलून संकेतक


प्रदेश की कई घाटियों में हेलीकाप्टर चलाना खतरों से खेलने से कम नहीं है ऊपर से घाटियों में बिजली और ट्राली की लाइनें बिना किसी हवाई संकेतक (Warning spheres on power line) के इन खतरों को और बढ़ा देती हैं। उत्तरकाशी जिले के सुदूरवर्ती मोल्डी गांव में राहत सामग्री ड्रॉप कर वापस लौट रहे हेलीकाप्टर के क्रैश होने के बाद प्रदेश की घाटियों में हवा में लटक रही ऐसी तारों पर कोई संकेतक (Warning spheres on power line) न होने से हेलीकाप्टर से यात्रा करने वाले लोगों की बेचैनी बढ़ गयी है और वे इस तरह की दुर्घटनाओं को रोके जाने के लिए विदेशों की तकनीक अपनाये जाने के पक्ष में हैं।
उल्लेखनीय है कि विदेशों में ऐसे स्थानों पर जहाँ घाटी में बिजली की तारें या ट्राली की तारें होती हैं वहां उन पर रंगीन बलून संकेतक (Warning spheres on power line) कुछ -कुछ दूरी पर इन तारों के बीच के रूप में स्थायी तौर पर लगाया जाता है, और यह रंगीन बलून संकेतक (Warning spheres on power line) दूर से ही पायलट को दिखाई देते हैं और वह इन्हे देखते हुए अपनी दिशा और ऊंचाई निर्धारित कर सकता है, जिससे तारों पर उलझने से दुर्घटना का खतरा नहीं रहता। वर्तमान में इस तरह के संकेत केवल जोशीमठ के पास विष्णुप्रयाग से अलकनंदा घाटी में विद्युत पारेषण लाइनों में ही लगाए गए हैं।Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur.