EXCLUSIVE
..तो क्या, ग्रीष्मकालीन राजधानी से स्थाई राजधानी की ओर बढ़ रहा उत्तराखंड


उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों के सपने को यदि किसी सरकार ने सही मायने में साकार किया है, तो वह वर्तमान में स्थापित त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार है। जी हां, राज्य का गठन 09 नवंबर 2000 को हुआ और उत्तर प्रदेश से उत्तराखंड बनाने के लिए पर्वतीय और मैदानी स्थलों के कई आंदोलनकारियों ने इसकी रूपरेखा तैयार की और लंबी लड़ाई लड़ी। आंदोलनकारियों को इसमें सफलता भाजपा सरकार में अर्जित हुई। राज्य गठन से पूर्व ही आंदोलनकारियों नकी मांग थी कि राजधानी चमोली जिले के गैरसैंण में बने। इसके पीछे का एक कारण था चूंकि उत्तराखंड एक पहाड़ी राज्य है और पहाड़ी राज्य की राजधानी पहाड़ में ही बने, जिससे पहाड़ का विकास हो और पलायन रुक सके।
मगर, सरकारें आती और जाती रहीं, आंदोलनकारियों का पहाड़ (गैरसैंण) में राजधानी बनाने का सपना महज सपना ही रहा। मगर, वर्तमान सरकार में इस सपने को साकार करने का न सिर्फ मन बनाया बल्कि शुरूआती दौर में गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित कर दिया। राज्य हित में फैसले लेने, पारदर्शिता की पहचान रखने वाले मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने राज्य गठन के लिए अपने प्राणों की आहूति देने वाले आंदोलनकारियों को गैरसैंण राजधानी बनाकर सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित की है।
त्रिवेंद्र सरकार ने ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण के लिए अवस्थापना करने का बजट 25 हजार करोड़ रूपए रखा है, जिसे अगले 10 वर्षों में खर्च किया जाना है। इतना भारी बजट सिर्फ ग्रीष्मकालीन राजधानी के लिए रखना, जानकारों के लिए भी आश्चर्य पैदा कर रहा है। जानकारों की मानें तो गैरसैंण स्थाई राजधानी की ओर बढ़ रहा है। इसी के तहत यहां विधानसभा भवन, राज्य सचिवालय भवन तक का शिलान्यास हो चुका है। इसके अलावा यहां तमाम विकास योजनाओं का सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने स्थापना दिवस के मौके पर शिलान्यास किया है।
त्रिवेंद्र सरकार ने हर क्षेत्र चाहे पलायन रोकने, युवाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना, सरकारी नियुक्तियों में भर्ती, स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट, आने वाला कुंभ मेला, वनाग्नि रोकने, महिलाओं की सुरक्षा, प्रदेश की कानून व्यवस्था तथा शांति की स्थापना, भ्रष्टाचार पर कड़ा प्रहार, अपणि सरकार पोर्टल के जरिए रिश्वत को रोकना, समस्या के तीव्र निदान हेतु मुख्यमंत्री पोर्टल, पहाड़ तक रेल पहुंचाने में तीव्र गति से होता निर्माण कार्य, रिस्पना नदी को पुनर्जीवित, पर्यटन बढ़ाने में होम स्टे योजना, साहसिक खेलों के लिए अलग से विभाग, नई खेल नीति लागू करना आदि ऐसे तमाम फैसले हैं, जिसके कारण विपक्ष के पास अब कोई मुद्दा ही नहीं रह गया। ऐसे में विपक्ष आत्ममंथन कर सरकार को गलत तरीके से घेरने की तैयारी में जुटा है।Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur.