Uttarakhand

एसडीएम द्वारा उत्तरकाशी जिले में कार्यभार ग्रहण न करने पर सीएम सख्त नाराज

देहरादून : मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उत्तरकाशी स्थानांतरित किए गए उपजिलाधिकारियों द्वारा अभी तक कार्यभार ग्रहण न करने पर सख्त नाराजगी जाहिर करते हुए उनका स्पष्टीकरण लिए जाने के निर्देश दिए हैं। सूखा आदि दैवीय आपदा घोषित किए जाने के लिए न्याय पंचायत को इकाई के रूप में माना जाएगा। मुख्यमंत्री श्री रावत गुरूवार को देर सांय तक सचिवालय में वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से समस्त जिलाधिकारियों, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों, पुलिस अधीक्षकों के साथ आपदा प्रबन्धन व मानसून से पूर्व की जाने वाली तैयारियों की समीक्षा कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रत्येक जनपद से विस्थापन के लिए शीर्ष प्राथमिकता वाले दो-दो गांवों का चयन तत्काल कर लिया जाए। आपदा प्रबंधन की ट्रेनिंग तहसील व ब्लाॅक स्तर तक दिए जाने के निर्देश दिए।उन्होंने कहा कि यह भी सुनिश्चित किया जाए कि आपदा की स्थिति में प्रभावितों को त्वरित राहत मिले। अति संवेदनशील लैंडस्लाईड क्षेत्रों में वैकल्पिक मार्ग चिन्हित कर लिए जाएं। मुख्यमंत्री रावत ने आपदा से संबंधित कार्यों के लिए जिलों को दो-दो  करोड़ रूपए की अतिरिक्त राशि उपलब्ध करवाए जाने के निर्देश दिए।
 
उन्होंने कहा पुलिस प्रशासन के पास नाईट विजन के उपकरण उपलब्ध होने चाहिए। प्रयास किया जाए कि प्लास्टिक का न्यूनतम प्रयोग  हो। समस्त ऐसे मार्गों, जो भारी वर्षा के कारण बन्द हो सकते हैं,की जानकारी और उनके वैकल्पिक मार्गों को तैयार रखे जाएं। साथ ही समस्त सबन्धित अधिशासी अभियंता, सहायक अभियंता, कनिष्ठ अभियंता जेसीबी ड्राईवरों के मोबाईल नम्बर भी संकलित किये जाएं। आपदा संभावित एवं महत्वपूर्ण स्थानों पर साईनेजज के माध्यम से महत्वपूर्ण मोबाईल व दूरभाष नम्बर डिस्प्ले किये जाएं ताकि भारी बारिश अथवा आपदा की स्थिति में इनसे सम्पर्क किया जा सके। आपदा कंट्रोल रूम में विभिन्न कम्पनियों के अनलिमिटेड प्लान युक्त न्यूनतम एक-एक मोबाईल फोन रखे जाएं, ताकि किसी एक कम्पनी की मोबाईल सेवा बाधित होने पर अन्य के माध्यम से संपर्क किया जा सके.
 
 मुख्यमंत्री रावत ने निर्देश दिये कि चारधाम यात्रा मार्ग, अन्य पर्यटक स्थलों तथा जनपद में अन्य महत्वपूर्ण स्थानों पर आपदा की स्थिति में अथवा लम्बे समय के लिये रास्ता आदि बंद होने की स्थिति में यात्रियों एवं स्थानीय नागरिकों आदि के  लिये आवासीय, खान-पान, पेयजल, परिवहन तथा संचार आदि की व्यवस्था की जाए। टेण्डर के माध्यम से जनपद में कई स्थानों पर वेण्डर तैयार कर लिये जाये ताकि आवश्यकता के समय इनका उपयोग किया जा सकें। ऐसे लैंडस्लाईड जोन, जहां अक्सर लैंडस्लाईड होती है, पर जेसीबी की तैनाती की जाए। ऐसे स्थानों पर वैकल्पिक पैदल मार्ग भी तैयार रखे जाएं। अत्यन्त खतरनाक स्थानों को चयनित कर साइनबोर्ड लगाए जाएं। पूर्व में क्रय किये गये उपकरणों का सत्यापन, खराब होने पर ठीक कराया जाना तथा सभी संबंधित द्वारा उनका उपयोग कराकर समय रहते सत्यापन एवं चैकिंग कर ली जाए।

मुख्यमंत्री रावत ने निर्देश दिये कि राज्य में मोबाईल सेवा प्रदाता कम्पनियों से समन्वय तथा फोन एवं इंटरनेट सेवा की निर्बाध गति बनाये रखने हेतु रणनीति एवं इनकी सेवायें बाधित होने पर वैकल्पिक व्यवस्था की जाए। जनपद के समस्त हेलीपैड्स की अक्षांश-देशान्तर के विवरण सहित तहसीलवार सूची बनायी जाए तथा उसे अधीक्षण अभियंता, लोनिवि से सत्यापन कराया जाए। साथ ही सभी जनपदों के रिमोट एरीया में खाद्यान्न की स्थिति पर ध्यान दिया जाए। जिन स्थानों पर आम तौर पर रास्ता बंद हो जाता है, उन स्थानों पर पी.डी.एस. गोदामों में पर्याप्त खाद्यान्न की उपलब्धता सुनिश्चित करायी जाए। विभिन्न बाजारों तथा व्यापार मण्डलों से स्थानीय प्रशासन द्वारा संपर्क करते हुए सभी प्रकार की आवश्यक दैनिक उपभोग की वस्तुओं का लगभग दो माह का आवश्यक स्टाॅक रखा जाए। 

मुख्यमंत्री रावत ने निर्देश दिये कि जनपद में मेडिकल एम्बुलेंस, डाॅक्टर, 108 वाहन, पैरामेडिकल स्टाॅफ व दवाईयों की आवश्यकता एवं उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। वर्षा के दौरान संक्रमण से फैलने वाली बीमारियों की संभावना का आंकलन तथा इससे बचने के लिये आवश्यक तैयारियां भी पूर्ण कर ली जाएं, साथ ही, इस दौरान पशुओं में होने वाली बीमारियों की संभावना का आंकलन तथा इससे बचने के लिए आवश्यक तैयारियों को भी पूर्ण कर लिया जाए। उन्होंने कहा कि जनपद में पैरामिलिट्री फोर्सेस के साथ समन्वय बनाकर उनके पास उपलब्ध मानव शक्ति, उपकरण आदि की जानकारी तथा आवश्यकता पड़ने पर उपयोग हेतु उनसे सहयोग लिया जाए।  

मुख्यमंत्री  रावत ने कहा कि जिलाधिकारियों द्वारा दैवीय आपदा मद में धनराशि निर्गत करने व कार्यदायी संस्थाओं द्वारा मानकों के अनुरूप प्रस्ताव तैयार करने के संबंध में जिलाधिकारियों के स्तर पर सभी संबंधित अधिकारियों के साथ कार्यशालाएं आयोजित की जाएं। 

प्रत्येक जनपद से शीर्ष प्राथमिकता वाले विस्थापन हेतु प्रस्तावित 2-2 गांवों का चयन तथा 29 बिन्दु पर आवश्यक रिपोर्ट एवं अपर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित समिति की रिपोर्ट के साथ जिलाधिकारी के हस्ताक्षर से प्रस्तावों का विवरण प्राथमिकता से पे्रषित किया जाए।  मुख्यमंत्री श्री रावत ने आपदा की स्थिति में सूचना दिए जाने व मीडिया से समन्वय हेतु नोडल अधिकारी की तैनाती करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि आपदा प्रभावितों के लिए की जा रही कार्यवाही का पूरा डाॅक्यूमेंटेशन किया जाए। 

मुख्यमंत्री श्री रावत ने जिलाधिकारी चमोली को घाट क्षेत्र पर विशेष फोकस करने व पिथौरागढ़ के डीएम को शहर के नालों की सफाई कराए जाने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारी उŸाराकाशी को असी गंगा व भागीरथी के संगम पर जमा अत्यधिक सिल्ट का समाधान करने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री श्री रावत ने प्रदेश में वनाग्नि की घटनाओं व इसकी रोकथाम के लिए जनपद स्तर की गई व्यवस्थाओं के बारे में भी जिलाधिकारियों से विस्तार से जानकारी प्राप्त की। बरसात के सीजन में प्रस्तावित वृक्षारोपण की कार्ययोजना व जनपदों में बायोमैट्रिक्स उपस्थिति की प्रगति की भी समीक्षा की गई।

सभी जिलाधिकारियों द्वारा जानकारी दी गई कि संवेदनशील व अति संवेदनशील लैंडस्लाईड क्षेत्रों को चिन्हित कर यिला गया गया है। यहां वैकल्पिक मार्ग चिन्हित कर लिए गए हैं। इन क्षेत्रों में जेसीबी, पोकलैंड, डोजर आदि मशीन लगाई गई हैं। गोदामों में तीन माह का राशन व अन्य आवश्यक वस्तुएं रख ली गई हैं। 

वीडियो कान्फ्रेंसिंग में प्रमुख सचिव डा.उमाकांत पंवार, सचिव श्री अमित नेगी, सहित शासन के वरिष्ठ अधिकारी, सभी जिलाधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक व अन्य अधिकारी उपस्थित थे। 

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