बर्खास्त हों सरकारी खजाने से पल रहे दायित्वधारी: अमेंद्र
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादूनः कोरोना महामारी की मार उत्तराखंड पर खूब पड़ रही है। प्रदेश में संक्रमण लगातार बढ़ रहा है। अगर संक्रमण की रफ्तार यही रही तो सूबे में सामुदायिक संक्रमण का खतरा बन जायेगा। यह स्थिति सरकार के लिए बड़ी चुनौती होगी। फिलहाल सरकार बढ़ते संक्रमण पर काबू पाने में जुटी है। प्रदेश के मुखिया ताबड़तोड़ फैसले ले रहे हैं। यहां तक कि सीएम ने कर्मचारियों के वेतन-भत्ते और माननीयों के मानदेय व निधि पर भी कौंची चला दी। राज्य की लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था को थामे रखने के लिए सीएम निर्भीक फैसले लिये।
मुख्य विपक्षी कांग्रेस ने भी वर्तमान परिस्थियों के चलते सीएम के फैसलों पर कोई टीका-टिप्प्णी नहीं की लेकिन कांग्रेस के युवा नेता और कांग्रेस ओबीसी विभाग के जिलाध्यक्ष अमेंद्र बिष्ट ने दायित्वधारियों को लेकर सवाल खड़े किये। अमेंद्र बिष्ट ने इस बावत मुख्यमंत्री को पत्र लिखा। अपने पत्र में उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार ने सैकड़ों लोगों को दायित्वधारी बनाया है और उन्हें कैबिनेट और राज्यमंत्री का दर्जा दिया है। जबकि ये किसी काम के नहीं है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को बड़ा साहसिक निर्णय लेते हुए दायित्वधारियों को बर्खास्त कर देने चाहिए। ताकि उन पर होने वाले खर्च का सदपयोग किया जा सके।
टिहरी जिला पंचायत और जिला नियोजन समिति में सदस्य अमेंद्र बिष्ट ने प्रदेश की लड़खडाती अर्थव्यवस्था को लेकर मुख्यमंत्री को पत्र भेजा। उन्होंने अपने पत्र में कहा कि कोरोना संक्रमण से राज्य के हालात बेकाबू हो रहे हैं और वित्तीय ख़जाना भी खाली हो रहा है। उन्होंने कहा कि वैश्विक महामारी से अर्थव्यवस्था को बचाये रखने के लिए जो फैसले लिये वह राष्ट्रीय आपदा के दौरान गलत नहीं हैं। लेकिन सरकार एक ओर कर्मचारियों के वेतन-भत्तों में कटौती कर रही है और दूसरी ओर उन्हें सैकड़ों दायित्वधारी नजर नहीं आते जो असल में सरकारी खजाने पर भार बने हैं। उन्होंने कहा कि जिस तरह से मुख्यमंत्री ने कर्मचारियों और माननीयों के वेतन-भत्तों में कटौती की है उसी तरह सीएम को दायित्वधारियों की बर्खास्तगी का बड़ा फैसला लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश में दायित्वधारी सरकार पर सिर्फ बोझ है जो किसी काम-धाम के नहीं है।
कांग्रेस के युवा चेहरे अमेंद्र बिष्ट बेबाकी से कहते हैं कि दायित्वधारियों की परंपरा प्रदेश हित में नहीं है। उन्होंने कहा सूबे में चाहे जो भी सरकार रही उन्होंने इस गतल परम्परा को आगे बढ़ाया। वह कहते हैं कि सरकार अपने लोगों को एडजस्ट करने के चक्कर में सरकारी धन का दुरूपयोग करती है जो गलत है और इस परम्परा को समाप्त किया जाना चाहिए। उन्होने कहा कि वर्तमान समय में कोरोना ने प्रदेश की अर्थव्यवस्था को चौपट कर दिया है। पूरा प्रदेश कोरोना के खिलाफ जंग लड़ रहा है। प्रदेश में आर्थिक संसाधन कम पड़ने लगे हैं, लिहाजा ऐसी विकट परिस्थितियों में मुख्यमंत्री को बड़ा फैसला लेना चाहिए और इन माननीयों को बर्खास्त किया जाना चाहिए। जिससे राजकोष पर पड़ने वाला भार कम हो जायेगा। उन्होंने कहा कि यह निर्णय ऐतिहासिक और व्यापक प्रदेश हित में रहेगा।