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गंगा सहित सभी नदियों की स्वच्छता हो सुनिश्चित : निशंक

गंगा सफाई में नयी तकनीक का उपयोग किए जाने का निशंक ने उठाया मुद्दा 

नई दिल्ली :  सरकारी आश्वासनों संबंधी समिति के सभापति, सांसद हरिद्वार एवं पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तराखण्ड डॉ. रमेश पोखरियाल ’निशंक’ ने गुरुवार को लोकसभा में प्रश्नकाल के तहत नमामि गंगे मिशन हेतु प्रौद्योगिकी हस्तांतरण पर बल देते हुए गंगा सफाई अभियान में देश-विदेश की उच्चतम तकनीकी प्रौद्योगिकी का उपयोग किए जाने की वकालत की।

 डॉ. निशंक ने जल संसाधन नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री से पूछा कि नमामि गंगे मिशन के अंतर्गत उत्तराखंड राज्य को कितनी धनराशि आवंटित की गई है। उत्तर में जल संसाधन नदी विकास और गंगा संरक्षण राज्यमंत्री ने  डॉ. निशंक को बताया कि नमामि गंगे के तहत 2017-18 में अब तक देश के विभिन्न राज्यों को कुल 59.52 करोड़ की धनराशि आवंटित की जा चुकी है तथा उत्तराखंड राज्य को अब तक कुल 16.25 करोड़ की धनराशि आवंटित की गई है । मंत्री जी ने  डॉ.निशंक को आगे बताया कि वर्ष 2014 से लेकर 2017 तक उत्तराखंड राज्य को नमामि गंगे मिशन के तहत अब तक 81.44 करोड़ की धनराशि आवंटित की जा चुकी है।  डॉ. निशंक ने मंत्रालय से यह भी जानना चाहा कि नमामि गंगे मिशन के अंतर्गत विभिन्न राज्यों में कितनी परियोजनाएं कार्यान्वित हैं । 

 डॉ. निशंक को मंत्रालय द्वारा बताया गया कि नमामि गंगे कार्यक्रम के अंतर्गत सीवेज अवसंरचना, नदी तट विकास, घाट और शवदाहगृह , घाट की सफाई , ग्रामीण स्वच्छता, वनरोपण, जैवविविधता संरक्षण आदि जैसे विभिन्न कार्य-कलापों के लिए राज्य को कुल 12892. 33 करोड़ रुपए की लागत से 163 परियोजनाओं को मंजूरी दी जा चुकी है। मंत्रालय ने आगे डॉ. निशंक को यह भी बताया कि वर्ष 2020 तक लघु अवधि और मध्यम अवधि की परियोजनाओं को पूरा करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।

 डॉ. निशंक ने अपने प्रश्न को आगे बढाते हुए मंत्रालय से पूछा कि उत्तराखंड सहित सभी राज्यों में गंगा नदी में अपशिष्ट जल प्रवाहित करने पर रोकथाम करने के लिए सरकार द्वारा क्या कदम उठाए गए हैं तथा प्रदूषण करने वाले उद्योगों से बहिस्राव के गंगा नदी में जाने से रोकने हेतु सरकार द्वारा क्या कार्यवाही की गयी है।  डॉ. निशंक को मंत्रालय द्वारा बताया गया कि नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत केन्द्रीय नियंत्रण बोर्ड द्वारा शुरु की गई गंगा नदी प्रदूषण सूचीकरण आकलन और सर्वेक्षण परियोजना के तहत गंगा और उसकी प्रमुख सहायक नदियों की मुख्य धारा में प्रमुख नालो से गिरने वाले सीवेज भार का आकलन किया जा चुका है तथा वर्ष 2016-17 की सी पीसीबी आंकड़ों के अनुसार गंगा नदी की सहायक नदियों में गिरने वाले 211 नालो से 10705 एमएलडी बहाव का अनुमान लगाया गया।

मंत्री ने  डॉ. निशंक को आगे बताया कि राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन द्वारा किए गए आकलन और व्यवहार्यता अध्ययन के अनुसार गंगा नदी की मुख्य धाराओं के किनारे पर स्थित 108 शहरों से निकलने वाले सीवेज का अनुमान 3078 एमएलडी के रूप में लगाया गया है। इसके अलावा, मंत्रालय ने बताया कि सीपीसीबी 2016-17 के आंकड़ों के अनुसार गंगा नदी की मुख्यधारा और उसकी सहायक नदियों के किनारों पर व्यापक रुप से प्रदूषण फैला रही 1109 औद्योगिक इकाइयों की पहचान की गई है और औद्योगिक निस्सरण मानक के अनुसार अनुपालन की जांच के लिए निमित्त आधार पर इन व्यापक प्रदूषण फैलाने वाली औद्योगिक इकाइयों का औचक निरिक्षण किया जाता है तथा पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 तथा जल अधिनियम, 1974 में निहित प्रावधानों के अनुसार उल्लंघन करने वाले उद्योगों के विरुद्ध उचित कार्रवाई की जाती है ।

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