जनमत के बिना राजस्व पुलिस को हटाने के पक्ष में नहीं : अनिल रतूड़ी
देहरादून । उत्तराखंड की धरातलीय वास्तविकता को गहराई से जानने-समझने वाले पुलिस महानिदेशक अनिल कुमार रतूडी ने साफ कर दिया है कि जब तक पर्वतीय क्षेत्र में नागरिक पुलिस की तैनाती के पक्ष में जनमत नही बन जाता तब तक वहां से राजस्व पुलिस को हटाने के पक्ष में वे नही हैं । हालांकि वे यह भी अनुभव करते हैं कि पर्वतीय क्षेत्र में सडक आदि अवस्थापना सुविधाओं का विकास होने के साथ ही वहां अपराध की दर और प्रकृति दोनों में ही उल्लेखनीय परिवर्तन आया है जिसे कई बार ब्रिटिशकालीन राजस्व पुलिस संभाल पाने में असमर्थ हो जाती है लेकिन यह भी सच है कि पर्वतीय क्षेत्र में लोग नियमित पुलिस से भय खाते हैं। इसके लिये हमें पुलिस के व्यवहार में भारी परिवर्तन कर उसे मित्र पुलिस बनाने की जरूरत है।
पुलिस को सामान्यजन के प्रति सहानुभूतिपूर्ण तथा विनम्र व्यवहार अपनाने की जरूरत है ताकि लोगों का उसके प्रति हिचक समाप्त हो । वे अपनी समस्यायें सहज ढंग से पुलिस को बता सकें। पुलिस को भी उनकी शिकायतें धैर्य से सुनने और तेजी से उनका निराकरण की जरूरत है।
पत्रकारों से बातचीत में रतूडी का कहना था कि जैसे-जैसे विकास हुआ है,वैसे-वैसे पर्वतीय क्षेत्र में बाहरी लोगों का प्रवेश बढा है और वे वहां बसने-व्यवसाय के प्रयोजन से रहने लगे हैं । इससे सामाजिक समीकरण तथा आपसी व्यवहार भी बदला है । यहां तक कि इन्ही सब कारणों से वहां साईबर क्राइम भी होने लगे हैं । इस सबके चलते वहां पुलिसिंग भी बदली जानी है लेकिन इसे समुदाय के भीतर से अनुभव किया जाये तो ही अच्छा है। उन्हे ऐसा नहीं लगना चाहिये कि अज्ञात कारणों से उन पर नागरिक पुलिस थोपी जा रही है।
एक सवाल के जवाब में उन्होने कहा कि विशेषकर कुमाऊ मंडल में माओसिस्ट गतिविधियों पर विभाग की तेज नजर है। इस बारे में नैनीताल, अल्मोडा व बागेश्वर जनपदों में उनके प्रशिक्षण शिविर नष्ट कर दिये गये हैं और उनकी गतिविधियों में संलग्न पाये गये लोगों पर नजर रखी जा रही है। इनमें कई की गिरफ्तारी भी की गई है ।