गंगोत्री को ग्रिड से जोड़ने के दावे हवा-हवाई
यात्राकाल शुरू होने से पूर्व गंगोत्री को ग्रिड से जोड़ने का किया था दावा
ग्रिड से न जुड़ पाने से उरेडा की सूर्योदय स्वरोजगार योजना का नहीं मिल रहा लाभ
यूपीसीएल की लापरवाही पर भड़के डीएम 20 अगस्त तक का दिया अल्टिमेटम
उरेडा और यूपीसीएल के अधिकारी एक दूसरे पर कर रहे दोषारोपण
गिरीश गैरोला
उत्तरकाशी : इस वर्ष अप्रैल महीने मे यात्रा काल से पूर्व जिला प्रशासन मे गंगोत्री को ग्रिड से जोड़ने का दावा चार महीने बाद भी पूरा नहीं हो सका है। उरेडा और यूपीसीएल के अधिकारी एक दूसरे पर दोष मढ़कर अपना पल्ला झड़ने मे लगे हुए है। गुस्साये डीएम ने 20 अगस्त तक का अल्टिमेटम दिया है। वही ग्रिड से न जुड़ पाने के चलते उत्तराखंड अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण उरेडा की सूर्योदय स्वरोजगार योजना के अंतर्गत लगे सोलर पैनल से पैदा हो रही बिजली भी ग्रिड को नहीं भेजी जा रही है जिसके चलते योजना के लाभार्थी असमंजस मे है।
गंगोत्री धाम को ग्रिड से जोड़ने की दिशा मे यूपीसीएल और उत्तराखंड अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण उरेडा दो विभागो के आपसी तालमेल न होने के चलते चार महीने के लेट – लतीफी के बाद डीएम को 20 अगस्त तक का अल्टिमेटम देना पड़ा है। दरअसल अभी तक गंगोत्री मंदिर और आसपास के क्षेत्र को उरेड़ा ही स्थानीय केदार गंगा 20 किलोवाट और रुद्र गैरा 150 किलोवाट से बिजली उत्पादन कर बिजली देता है और वही उपभोक्ताओ से बिल भी वसूल करता है। ग्रिड से जुडने के लिए उरेड़ा को अपनी परियोजना यूपीसीएल को हैंडओवर करनी होगी।उरेड़ा के वारिस्थ परियोजाना अधिकारी मनोज कुमार कहते है की उनकी तरफ से पूरी तैयारी की जा चुकी है और अप्रैल महीने मे जाइंट इन्सपैक्शन भी हो चुका है यूपीसीएल जब चाहे उनसे हैंडओवर ले सकता है। उरेड़ा की तरफ से इस संबन्धित पत्र भी यूपीसीएल को भेजे गए है। वही यूपीसीएल के अधिसशी अभियंता गौरव सकलानी कहते है की उनके द्वारा ट्रान्सफर और लाइन गंगोत्री तक पहुचई जा चुकी है किन्तु अभी तक कनैक्शन के लिए किसी ने आवेदन नहीं किया है उन्होने कहा कि इस संदर्भ मे उरेड़ा के साथ पावर पर्चेज अग्ग्रेमेंट एमडी स्तर से भी होना है ज्सिके बाद गंगोत्री धाम को ग्रिड से जोड़ा जा सकेगा।
वही यूपीसीएल और उरेड़ा की आपसी उलझन और बहाने बाजी से तंग आ चुके डीएम उत्तरकाशी ने 20 अगस्त टीके हर हाल मे गंगोत्री को ग्रिड से जोड़ने की बात कही है चाहे इसके लिए उरेड़ा कि बिजली बंद ही क्यू न करनी पड़े।
गंगोत्री धाम को ग्रिड से नही जुडने से ग्रामीणो को उरेड़ा की सूर्योदय स्वरोजगार योजना का फाइदा भी नहीं मिल पा रहा है। उत्तराखंड अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण उरेडा विभाग की लचर कार्य प्रणाली सोलर प्लांट लगाने वाले लाभार्थियो पर भारी पड़ रही है सरकार की ओर से उरेड़ा ने सोलर पैनल के माध्यम से बिजली बचाने तथा लोगो को रोजगार देने के लिए सूर्योदया स्वरोजगार योजना के तहत पर्वतीय क्षेत्रो के लिए 90 फिसदी अनुदान पर सूर्योदय ऊर्जा आधारित आय एवं स्वरोजगार योजना संचालित कि है।
सोलर प्लांट के लिए आवेदन कर चुके बगोरी गाव के लोगो की माने तो लाभार्थी को कुल लागत का 90 फ्रतिशत अंश राज्य सरकार सबसिडी के रूप मे तथ 10 % अंश लाभार्थी को जमा करना था
बागोरी गाव के माधवेन्द्र रावत ने बताया की उरेड़ा की स्वरोजगार योजना मे उनके द्वारा सोलर पट्टीया लगाई गयी थी धूप से पैदा होने वाली अतिरिक्त बिजली ग्रिड को बेची जानी थी उन्होने आरोप लगाया की बिजली गुल होते ही उनका मीटर शून्य हो जाता है लिहाजा सूरज की रोशनी से पैदा होने वाली बिजली ग्रिड को नहीं जा पा रही है।
उत्तरकाशी के सीडीओ विनीत कुमार मानते है कि ग्रिड फ़ेल होने कि दशा मे उपभोक्ता के सोलर पैनल से तैयार होने वाली बिजली ग्रिड को नहीं जा सकती इसके पीछे वो तकनीकी कारण भी बताते है किन्तु यदि लाभार्थी सोलर पैनल को इंवर्टर से जोड़ दे तो दिन मे पैदा होने वाली बिजली को रात के समय खुद के प्रयोग के लिए तो उपयोग कर ही सकते है। उन्होने बताया कि जनपद मे 132 लोगो ने योजना के लिए आवेदन किया था जींस एसे 42 लोगो के घर सिस्टम लग चुका है और 25 लोगो के घर पर अभी तक मीटर लगाया जा सका है।
सूबे मे दो विभागो मे अधिकारियो के तालमेल के अभाव के चलते विश्व विख्यात गंगोत्री धाम का ग्रिड से न जुड़ना और डीएम का गुस्से मे अल्टिमेटम देना सूबे मे की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है। गंगोत्री धाम मे उरेड़ा जो बिजली पैदा कर रहा है वो गंगोत्री मंदिर परिसर के लिए ही पर्यपात नहीं है ऐसे या तो गंगोत्री धाम मे जेनरेटर का शोर परायवरण को प्रदूषित करेगा अथवा धाम अंधेरे मे रहेगा। यदि निर्धारित समय पर धाम ग्रिड से जुड़ जाता तो रात के समय रोशनी मे जगमग धाम मे अधिक यात्री रुके सकते थे जिससे बेहतर व्यापार के साथ राजस्व भी प्राप्त होता और उरेड़ा कि सूर्योदय स्वरोजगार योजन का भी लोगो को लाभ मिल सकता था