गौंडार वासियों की दो चुनावों के बाद अब तीसरे चुनाव की बहिष्कार की तैयारी
-
आजादी के 70 वर्ष बाद भी सड़क की मांग अधूरी
-
केदारनाथ विधानसभा के अन्तर्गत पड़ता है गांव
-
शासन-प्रशासन के साथ ही जनप्रतिनिधियों ने भी फेरा मुंह
-
एक बार फिर दी ग्रामीणों ने चुनाव बहिष्कार की चेतावनी
-
जिलाधिकारी के समझाने के बाद भी नहीं माने ग्रामीण
गुप्तकाशी । केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र का सीमांत गांव आज तक मूलभूत सुविधाओं से कोसो दूर हैं। आज भी ग्रामीण जनता गांव पहुंचने के लिए छः किमी का पैदल सफर तय करती है। दिक्कतें तो तब बढ़ जाती हैं जब ग्रामीणों को किसी मरीज को ले जाना पड़ता है और सही समय पर इलाज न मिलने के कारण उसकी मौत हो जाती है। ऐसे में ग्रामीणों ने जिलाधिकारी से मुलाकात की और गांव का विकास न होने पर चुनाव बहिष्कार की बात कही।
रुद्रप्रयाग जनपद का सीमांत गांव गौंडार आजादी के 70 दशक बाद भी सुविधाओं के लिए तरस रहा है। डिजीटल इंडिया की बात करने वाले देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को शायद ही यह मालूम होगा कि उत्तराखण्ड के पहाड़ी ठेठ इलाकों में आज भी ऐसे कईं गांव हैं, जिन्हें डिजीटल का मतलब ही मालूम नहीं है और उन्हें देश-दुनिया का भी ज्ञान नहीं है। केदारनाथ विधानसभा का यह गांव आज भी ठेठ पिछड़ा हुआ इलाका है। जहां न तो विद्युत की व्यवस्था है और ना ही गांव में संचार की सुविधा। इसके अलावा सड़क न होने से ग्रामीणों को छः किमी का सफर पैदल ही तय करना पड़ता है।
गौंडार गांव के ग्रामीण वर्ष में 2012 में विधानसभा और 2014 में लोकसभा चुनाव का भी बहिष्कार कर चुके हैं, बावजूद इसके शासन व प्रशासन ने गांव की सुध नहीं ली। जबकि जनप्रतिनिधियों ने तो गांव की ओर देखा तक नहीं। ऐसे में ग्रामीणों ने इस बार भी चुनाव बहिष्कार कर मन बना लिया है। इसके लिए उन्होंने जिलाधिकारी से मुलाकात की और चुनाव बहिष्कार को लेकर ज्ञापन सौंपा। ग्रामीणों ने बताया कि सड़क से छः किमी की दूरी के कारण ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। बुखार की दवा के लिए जहां छः किमी पैदल चलकर रांसी आना पड़ता है, वहीं गांव में संचार सेवा का भी अभाव है।
इसके अलावा ग्रामीणों ने कहा कि गांव को जोड़ने के लिए तरसाली-तोक-गौंडार मार्ग का निर्माण अधर में लटका पडा हैं। सेंचुरी एरिया के कारण मार्ग का कार्य नहीं हो पा रहा है। गांव में सड़क, संचार, विद्युत की सुविधा देने के लिए वनाधिनियम में बदलाव की आवश्यकता है। ग्राम प्रधान सुमन देवी, वन पंचायत सरपंच मदन सिंह पंवार ने कहा कि गौंडार गांव केदारनाथ विधानसभा का सबसे पिछड़ा गांव है। ग्रामीणों को यह भी मालूम नहीं है कि उनके साथ ऐसा भेदभाव क्यों अपनाया जा रहा है। दो बार चुनाव बहिष्कार के बाद भी शासन-प्रशासन ने मुंह फेरा हुआ है। ऐसे में ग्रामीण तीसरे चुनाव बहिष्कार का मन बना चुके हैं। वहीं जिलाधिकारी रंजना ने ग्रामीणों को मतदान करने को कहा। साथ ही कहा कि यदि ग्रामीणों को कोई जनप्रतिनिधि पसंद नहीं है तो वे नोटा का प्रयोग भी कर सकते हैं, मगर ग्रामीण नहीं माने।