टकराने के बजाए TDP को ‘बेनकाब’ करेगी भाजपा !

- चंद्रबाबू को घर में ही घेरने की योजना!
नयी दिल्ली : भाजपा नेतृत्व ने आंध प्रदेश के अपने पार्टी नेताओं को तेलुगुदेशम (टीडीपी) से राजनीतिक टकराव के बजाए उसे राज्य को वित्तीय सहायता के मुद्दे पर बेनकाब करने को कहा है। तेलुगुदेशम के एनडीए से अलग होने के बाद भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने शनिवार को राज्य कोर ग्रुप के प्रमुख नेताओं के साथ रणनीति पर चर्चा की।
दरअसल, भाजपा नहीं चाहती कि एनडीए से अलग होने के बाद चंद्रबाबू नायडू विपक्षी एकता में कोई अहम भूमिका निभा सकें। तेलुगुदेशम का भाजपा से अलग होने का प्रभाव आंध्र प्रदेश से ज्यादा राष्ट्रीय राजनीति पर पड़ने की वजह से भाजपा नेतृत्व ने इसे गंभीरता से लिया है। दोनों दल भले ही बिना राजनीतिक कटुता के अलग हुए हों, लेकिन चंद्रबाबू के राजनीतिक कद और विपक्षी एकता में उनकी पुरानी भूमिका को देखते हुए भाजपा उन्हें आंध्र प्रदेश में ही उलझाकर रखना चाहती है। इसके लिए वह तेलुगुदेशम के संस्थापक एनटी रामाराव की बेटी डी. पुरंदेश्वरी को आगे बढ़ा सकती है। पुरंदेश्वरी केंद्र की यूपीए सरकार में प्रभावी मंत्री रही थीं। पिछले लोकसभा चुनाव से पहले वह भाजपा में आ गई थीं। हालांकि चंद्रबाबू नायडू के दबाव के चलते भाजपा अब तक पुरंदेश्वरी को आगे बढ़ाने में सफल नहीं हो सकी है।
- केंद्र के पैसों का हिसाब मांगेगी
भाजपा अध्यक्ष के साथ शनिवार को हुई बैठक में महासचिव राम माधव, प्रदेश अध्यक्ष के हरिबाबू, डी पुरंदेश्वरी, केएस राव व अन्य प्रमुख नेता मौजूद रहे। सूत्रों के अनुसार, भाजपा नेतृत्व केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद आंध्र प्रदेश को दी गई वित्तीय सहायता और योजनाओं को जनता के सामने ले जाएगी। पार्टी नेताओं से कहा गया है कि वे जनता को बताएं कि विशेष राज्य का दर्जा देने के अलावा आंध्र प्रदेश को केंद्र से अन्य राज्यों की तुलना में कितनी सहायता मिली। इन पैसों का हिसाब भी पार्टी तेलुगुदेशम सरकार से मांगेगी।
- वाईएसआर कांग्रेस पर नजर
भाजपा प्रदेश की राजनीति में तेलुगुदेशम की विरोधी वाईएसआर कांग्रेस पार्टी का भी उपयोग कर सकती है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि हम वाईएसआर कांग्रेस पार्टी से कोई तालमेल नहीं करेंगे, लेकिन वह कोई मुद्दा उठाती है तो उनका साथ जरूर देंगे। भाजपा राज्य में अपने दम पर चुनाव लड़ेगी।
- दक्षिण के लिए गठबंधन से परे रणनीति
सूत्रों के अनुसार, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पूरे दक्षिण भारत की अलग रणनीति पर काम कर रहे हैं, जिसमें छोटे दलों से तो सहयोग लिया जाएगा, लेकिन किसी बड़े दल के साथ गठबंधन करने से बचेंगे। दक्षिण में भाजपा सबसे कमजोर है और अब पार्टी वहां अपनी ताकत बढ़ाने के लिए धुआंधार प्रचार अभियान चलाएगी, जिसकी शुरुआत कर्नाटक के मई में होने वाले चुनाव से होने जा रही है।
- भाजपा की मजबूती पर ही लाभ
चंद्रबाबू नायडू के बाहर जाने से गठबंधन पर उठ रहे सवालों से भाजपा नेतृत्व ज्यादा चिंतित नहीं है। पार्टी के एक नेता ने कहा कि जब भाजपा मजबूत होती है तभी सहयोगी दलों से ज्यादा लाभ होता है। पंजाब व बिहार के विधानसभा चुनाव में भाजपा के खुद के कमजोर पड़ने पर सहयोगी भी ज्यादा कुछ नहीं कर सके। महाराष्ट्र में भी शिवसेना अलग जाकर भाजपा से ही पीछे रही। ऐसे में भाजपा को मजबूत किया जाना जरूरी है।