बेहतर समन्वय से सशक्त होगा उत्तरी भारत का सुरक्षा ढाँचा: डीजीपी उत्तराखण्ड

उत्तराखण्ड। 09 अक्टूबर, 2025
◼️ उत्तराखण्ड पुलिस की मेजबानी में NRPCC की 12वीं बैठक, उत्तरी राज्यों ने बनाई सुरक्षा और कानून-व्यवस्था की साझा रणनीति
◼️ ड्रग्स, साइबर अपराध, आपदा प्रबन्धन और पुलिसिंग में आधुनिक तकनीकों के उपयोग को लेकर एकजुट हुईं उत्तरी राज्यों की पुलिस
◼️ बेहतर समन्वय से सशक्त होगा उत्तरी भारत का सुरक्षा ढाँचा: डीजीपी उत्तराखण्ड
आज पुलिस महानिदेशक, उत्तराखण्ड दीपम सेठ की अध्यक्षता में पुलिस मुख्यालय, देहरादून स्थित सभागार में उत्तरी क्षेत्र पुलिस समन्वय समिति (Northern Region Police Coordination Committee – NRPCC) की 12वीं बैठक का आयोजन किया गया।
बैठक का उद्देश्य उत्तरी क्षेत्र के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बीच बेहतर सहयोग बढ़ाना, नई चुनौतियों का मिलकर समाधान खोजना, और पुलिसिंग से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर समन्वय को मजबूत करना था।
पुलिस महानिदेशक दीपम सेठ ने सभी प्रतिनिधियों का स्वागत करते हुए अपने सम्बोधन में कहा कि उत्तरी क्षेत्र पुलिस समन्वय समिति (NRPCC) की स्थापना वर्ष 2015 में डीजी/आईजी सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री के vision के अनुरूप की गई थी। समिति में हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, चंडीगढ़ और दिल्ली के पुलिस प्रमुख शामिल हैं। समिति की पिछली बैठक अक्टूबर 2024 को शिमला, हिमाचल प्रदेश में आयोजित हुई थी। मुझे प्रसन्नता है कि वर्ष 2025 की बैठक की मेजबानी का अवसर उत्तराखण्ड पुलिस को प्राप्त हुआ है।
बैठक में कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की गई, जिनमें प्रमुख रूप से मादक पदार्थों की तस्करी, साइबर अपराध और डिजिटल माध्यमों से फैल रही कट्टरपंथी विचारधाराएँ शामिल थे।
इसके अलावा, हाल ही में उत्तरी भारत के कई राज्यों में भारी वर्षा, बादल फटने और flash floods जैसी आपदाओं के मद्देनजर पुलिस बलों की आपदा प्रबंधन क्षमता और तैयारियों को और मजबूत बनाने पर विशेष चर्चा की गयी।
बैठक में रेलवे सुरक्षा, विशेषकर उत्तराखण्ड में आगामी महाकुंभ मेला-2027 को ध्यान में रखते हुए रेलवे अवसंरचना की सुरक्षा पर चर्चा की गई। साथ ही, भारत-नेपाल सीमा की सुरक्षा व्यवस्था और पर्यटन पुलिस की भूमिका को और प्रभावी बनाने के उपायों पर भी विचार-विमर्श किया गया।
पुलिस महानिदेशक दीपम सेठ ने कहा कि इस बैठक से प्राप्त सुझाव अत्यन्त व्यावहारिक और उपयोगी सिद्ध होंगे, जो उत्तरी क्षेत्र में बेहतर समन्वय और मजबूत सुरक्षा ढाँचे की दिशा में मार्ग प्रशस्त करेंगे।
बैठक में विभिन्न राज्यों के अधिकारियों ने अपने-अपने क्षेत्र में अनुभव और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा किया। प्रमुख प्रस्तुतिकरण निम्नलिखित थे:
▪️ शत्रुजीत कपूर, डीजीपी हरियाणा: Cyber Crime: Latest Strategies & Trends
▪️ प्रकाश डी, महानिदेशक, रेलवेज उत्तर प्रदेश: Securing Railway Infrastructure: Concerns & Challenges
▪️ देवेश श्रीवास्तव, विशेष आयुक्त, दिल्ली पुलिस: Social Media Disinformation: Mitigating Impact on Law & Order
▪️ एस.डी. सिंह जम्वाल, डीजीपी लद्दाख: Tourist Police: Helping Visitors for a True Ladakh Experience
▪️ सागर प्रीत, डीजीपी चंडीगढ़: Implementation of New Criminal Laws: Best Practices & Success Stories
▪️ नीलाभ किशोर, एडीजी पंजाब: Drugs of Concern: Future Strategies for Effective Enforcement
▪️ नावेद, एसएसपी, स्पेशल ब्रान्च, जम्मू-कश्मीर: Weaponising Narratives
▪️ अर्जित सेन ठाकुर, पुलिस अधीक्षक SDRF, हिमाचल प्रदेश: Extreme Weather Events: Enhancing Disaster Preparedness & Response
▪️ मंजूनाथ टी.सी., पुलिस अधीक्षक, सुरक्षा, उत्तराखण्ड: Managing the Indo-Nepal Border: Security Concerns and Challenges
प्रस्तुतिकरणों के माध्यम से नए आपराधिक कानूनों के सफल क्रियान्वयन, आपदा प्रबंधन, रेलवे सुरक्षा, सोशल मीडिया पर फर्जी खबरों और दुष्प्रचार से निपटने के तरीके, मादक पदार्थों की तस्करी और साइबर अपराध से निपटने की नई रणनीतियाँ, भारत-नेपाल सीमा सुरक्षा, तथा पर्यटक पुलिस को और प्रभावी बनाने* पर विशेष जोर दिया गया।
इन सत्रों में सभी प्रतिभागियों ने अपने अनुभव और सर्वोत्तम कार्यप्रणालियाँ साझा कीं और उत्तरी क्षेत्र में कानून-व्यवस्था एवं सुरक्षा को मजबूत करने के लिए साझा रणनीति तैयार करने पर बल दिया।
उत्तराखण्ड की ओर से पुलिस अधीक्षक, सुरक्षा, मंजूनाथ टी.सी. ने “भारत-नेपाल सीमा प्रबंधन” विषय पर विस्तृत प्रस्तुतिकरण दिया। उन्होंने भारत–नेपाल सीमा की विशिष्ट भौगोलिक एवं सामाजिक परिस्थितियों का उल्लेख करते हुए सीमा प्रबंधन से जुड़ी सुरक्षा चुनौतियों, जैसे – मानव एवं मादक पदार्थों की तस्करी, अवैध व्यापार, सीमा पार अपराध आदि गतिविधियाँ – पर विस्तार से चर्चा की।
हाल ही में नेपाल में घटित घटनाक्रमों के परिप्रेक्ष्य में, भारत–नेपाल सीमा की संवेदनशीलता एवं रणनीतिक महत्व को ध्यान में रखते हुए सीमा सुरक्षा प्रबंधन पर भी विशेष रूप से विचार-विमर्श किया गया। उन्होंने भविष्य की रणनीतियों को साझा किया गया, जिनमें सीमा क्षेत्र में निगरानी बढ़ाने, तकनीकी साधनों के उपयोग को विस्तारित करने और स्थानीय जनसहभागिता को प्रोत्साहित करने जैसे ठोस सुझाव शामिल थे।
बैठक के अंत में अपर पुलिस महानिदेशक, अभिसूचना एवं सुरक्षा, ए.पी. अंशुमान ने सभी प्रतिभागियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस प्रकार के समन्वय मंच न केवल अंतरराज्यीय पुलिस सहयोग को सशक्त करते हैं, बल्कि राष्ट्र की आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसमें न केवल सर्वोत्तम प्रथाओं (Best Practices) को साझा किया गया, बल्कि आपसी समन्वय, क्षमता निर्माण और तकनीकी सहयोग को बढ़ाने का सामूहिक संकल्प भी लिया गया।
इस अवसर पर वी. गुरूगेशन, एडीजी, अपराध एवं कानून व्यवस्था, सहित प्रदेश के समस्त पुलिस महानिरीक्षक एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।