हाईकोर्ट ने हरियाणा की पवित्रा चौहान समेत अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए उत्तराखंड लोक सेवा आयोग की उत्तराखंड सम्मिलित सेवा, प्रवर सेवा के पदों के लिए आयोजित परीक्षा में उत्तराखंड की महिला अभ्यर्थियों को 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण देने के 2006 के शासनादेश पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को आयोग की मुख्य परीक्षा में बैठने की अनुमति देने को कहा है।
याचिकर्ताओं के अनुसार आयोग ने विभिन्न विभागों में 200 से अधिक पदों के लिए 26 मई को प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम घोषित किया था, जिसमें अनारक्षित श्रेणी की दो कट आफ लिस्ट जारी की गई। उत्तराखंड मूल की महिला अभ्यर्थियों की कट आफ 79 थी, जबकि याचिकाकर्ता को 79 से अधिक अंक के बावजूद अयोग्य घोषित किया गया।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आरएस खुल्बे की खंडपीठ ने उत्तराखंड की महिला अभ्यर्थियों को 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण देने के 2006 के शासनादेश पर रोक लगा दी है। साथ ही याचिकाकर्ताओं को आयोग की मुख्य परीक्षा में बैठने की अनुमति देने को कहा है।