भव्य व कलात्मक दुर्गा प्रतिमाओं के निमार्ण के लिए विख्यात है पर्यटक नगरी

- रंगकर्मी प्रभात साह तथा ध्रुव तारा जोशी ने की थी शुरुवात
अल्मोड़ा। एतिहासिक, सांस्कृतिक व पर्यटक नगरी भव्य व कलात्मक दुर्गा प्रतिमाओं के निर्माण के लिए भी विख्यात है। यहां दुर्गा प्रतिमाओं का निर्माण सबसे पहले नगर के गंगोला मोहल्ला में सन 1981 में किया गया। तब से यह परंपरा बदस्तूर जारी है और वर्तमान में नगर में अब नौ दुर्गा प्रतिमाओं का निर्माण किया गया है।
नगर में दुर्गा प्रतिमाओं के निर्माण की विशेषता यह है कि यहां बंगाल से इतर बैक ग्राउंड को हर वर्ष समसामयिक बनाया जाता है। नवरात्र के बाद दशमी तिथि को इन प्रतिमाओं की शोभा यात्रा के दर्शनार्थ देश के विभिन्न हिस्सों से श्रद्धालु यहां जुटते हैं। हर साल अश्विन मास की प्रथम नवरात्र से नगर नगर के गंगोला मोहल्ला, लाला बाजार, राजपुरा, पातालदेवी, लक्ष्मेश्वर, न्यू इंदिरा कॉलोनी खत्याड़ी, ऑफीसर्स कॉलोनी, चौघानपाटा व धारानौला में शक्ति स्वरूपा मां दुर्गा की विभिन्न मुद्राओं में स्थानीय कलाकारों द्वारा निर्मित प्रतिमाएं स्थापित कर पूरे नवरात्र भर पूजा अर्चना चलती है।
सन् 1981 से गंगोला मोहल्ला में मां दुर्गा की प्रतिमा का निर्माण शुरू हुआ। गंगोला मोहल्ला में इस पुनीत कार्य को शुरू करने के लिए रंगकर्मी प्रभात साह तथा धु्रव तारा जोशी ने अग्रणी भूमिका निभाई है। प्रभात साह का कहना है कि इस कार्य को शुरू करने के पीछे उनका ध्येय कला के प्रति रूझान रखने वाले लोगों को जोड़ना व आपाधापी के इस युग में आपसी मेल मिलाप को बरकरार रखना है।
उनका कहना है कि एतिहासिक व सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा में दुर्गा प्रतिमाएं निर्माण की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहां बंगाल से पर्वतीय अंचल के परिवेश में दुर्गा प्रतिमाओं का भव्य व कलात्मक निर्माण किया जाता है। वहीं हर साल दुर्गा प्रतिमाओं के बैक ग्राउंड को समसामयिक बनाया जाता है। उनका कहना है कि 36 साल पहले शुरू हुई इस परंपरा को आगे बढ़ाने में युवा पीढ़ी लगातार आगे आ रही है। लाला बाजार दुर्गा समिति के रवि गोयल समेत विभिन्न दुर्गा समितियों के पदाधिकारियों का कहना है कि नवरात्र से डेढ़ माह पहले से ही प्रतिमा का निर्माण शुरू कर दिया जाता है। इसमें विभिन्न स्थानीय कलाकार पूरे मनोयोग से जुटते हैं।