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संघर्ष की भट्टी में तपकर कुंदन बने अजय भट्ट

देवभूमि मीडिया ब्यूरो। उत्तराखंड राज्य आंदोलन के दौरान हाथ में झंडा लिए, ज़हन में अपनों की सुख—सुविधा का ख़्याल और उनके हकों  की लड़ाई के लिए एक योद्धा की भूमिका निभाने वाले अजय भट्ट आज अपने राजनीतिक करियर के उस पायदान पर पहुंच चुके हैं, जिसका एक सच्चा सिपाही हक़दार है। केन्द्र की मोदी कैबिनेट में उन्होंने अपनी जगह बना ली है। पीएम मोदी की कैबिनेट में उन्हें राज्य मंत्री बनाया गया है। कल शाम करीब 7:45 पर उनको राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद एंव गोपनियता की शपत दिलाई। आपको बता दें कि अजय भट्ट वर्तमान में नैनीताल-ऊधमसिंहनगर से सांसद हैं।

..तो कुछ यूं रहे अजय भट्ट

1 मई 1961 को रानीखेत के गांव ढंकाल में जन्में अजय भट्ट ने युवाअवस्था में ही अपने पिता श्री कमलापति भट्ट को खो दिया था, और पिता की मौत के कुछ समय बाद उन्होनें अपने दो भाईयों को भी खो दिया, परिवार की ज़िम्मेदारी कंधों पर लेते हुए उन्होने कॉलेज में मैस चला कर अपनी पढ़ाई की। अपने जीवन के संघर्ष के दिनों में अजय भट्ट ने मां दूनागिरी मंदिर एवं हदीदखान बाबा मंदिर में बिंदी व चूड़ियों को बेचने का भी काम किया। इसमें उनके बड़े भाई ने भी उनका खूब साथ दिया और इस बीच उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी।

करीब 25 साल की उम्र में उनकी पुष्पा भट्ट से शादी हुई, अजय भट्ट और पुष्पा भट्ट की तीन बेटियां और एक बेटा है। शादी के और बच्चे होने के बाद दोनों ने साथ में वकालत की हालांकि अजय भट्ट ने करियर के तौर वकालत को नहीं अपनाया लेकिन उनकी पत्नी पुष्पा भट्ट आज एक पूर्व जज हैं.

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एक नज़र उनके राजनीतिक करियर पर……

—1985 में भारतीय जनता युवा मोर्चा में हुए शामिल।
— कम ही समय में उत्तर प्रदेश इकाई की वर्किंग कमिटी में बने सदस्य।
—रानीखेत और बिखियासिन तहसील समन्वयक के तौर पर भी संभाली ज़िम्मेदारी।
—1985 में भाजपा राज्य कार्यकारिणी की सदस्यता प्राप्त की।
—उत्तराखंड आंदोलन के दौरान उत्तरांचल संघर्ष समिति में भी निभाई भूमिका।
— भाजपा पार्टी से ही कई विभागों के भी रह चुके हैं मंत्री
—विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष और पार्टी प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर संभाली है पार्टी की कमान।
—साल2019 में चुने गए सांसद।

इंटरनेट और अनेक वैवसाईटों से ली गई जानकारी के अनुसार…..

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